फिल्म डबिंग व बैकग्राउण्ज म्यूजिक की सुविधा अब रतलाम में भी
ख्यात संगीतकार हरीश शर्मा के प्रयासों से मिली सौगात
रतलाम,14 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। ध्वनियों की रेकार्डिंग की अत्याधुनिक सुविधाएं अब रतलाम में भी उपलब्ध हो चुकी है। फिल्मों के बैक ग्राउण्ड म्यूजिक और डबिंग के लिए फिल्म निर्माताओं को मुंबई या हैदराबाद जैसे शहरों की ओर नहीं ताकना पडेगा। नगर के ख्यात संगीतकार एवं कम्प्यूटर विशेषज्ञ हरीश शर्मा की मेहनत के चलते सर्वसुविधा युक्त डिजीटल रेकार्डिंग स्टुडियों का सपना अब साकार हो चुका है। इस स्टुडियों के अस्तित्व में आ जाने से बालीवुड फिल्मों के लिए आवश्यक उच्चस्तरीय रेकार्डिंग अब रतलाम में ही हो सकेगी।
अनेक फिल्मों में संगीत दे चुके और कई सफल म्यूजिक सीडी लांच कर चुके युवा संगीतकार हरीश शर्मा,अपनी कम्प्यूटर विशेषज्ञता को संगीत के साथ जोडकर विगत करीब दस वर्षों से रतलाम में रेकार्डिंग स्टुडियो संचालित कर रहे हैं। स्वरधाम के नाम से संचालित उनके रेकार्डिंग स्टुडियो में वे अब तक छ: हजार से अधिक गीतों की उच्चस्तरीय रेकार्डिंग कर चुके है। मुंबई की कई प्रख्यात म्यूजिक कंपनियों के एलबम भी हरीश रतलाम में तैयार कर चुके है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का चुनावी संदेश भी रतलाम में ही रेकार्ड किया गया था। अब तक उनके रेकार्डिंग स्टुडियों में गीतों को रेकार्ड करने की सुविधा उपलब्ध थी,परन्तु फिल्मों के बैक ग्राउण्ड म्यूजिक और डायलाग डबिंग की सुविधाएं और तकनीक उपलब्ध नहीं थी। श्री शर्मा लम्बे समय से इस तकनीक को हासिल कर रतलाम में प्रारंभ करने हेतु प्रयासरत थे।
संगीत निर्देशक हरीश शर्मा ने बताया कि फिल्म तकनीक में डायलाग डबिंग सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है। डायलाग डबिंग फिल्म निर्माण तकनीक का ऐसा छुपा हुआ महत्वपूर्ण पक्ष है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। डायलाग डबिंग की जानकारी देते हुए श्री शर्मा ने बताया कि फिल्म की शूटिंग के समय कलाकारों के संवादों के साथ आस पास की अन्य गैरजरुरी ध्वनियां भी रेकार्ड हो जाती है। फिल्म की गुणवत्ता को कायम रखने के लिए यह जरुरी होता है कि दर्शक जब फिल्म देखें तब उन्हे कलाकारों के संवादों के अलावा अन्य गैरजरुरी ध्वनियां शोर शराबा इत्यादि नहीं सुनाई दे। यह तभी संभव है जब डायलाग्स की रेकार्डिंग पृथक से की जाए। इसी वजह से प्रत्येक फिल्म में दृश्यों की शूटिंग और संपादन होने के बाद डायलाग्स को अलग से डब किया जाता है। डायलाग डबिंग और बैक ग्राउण्ड म्यूजिक की रेकार्डिंग के लिए गीतों की रेकार्डिंग से काफी अधिक तकनीकी उपकरणों वाले रेकार्डिंग स्टुडियो की आवश्यकता होती है।
श्री शर्मा ने बताया कि आजकल प्रदेश में भी कई फिल्मों का निर्माण हो रहा है,लेकिन फिल्म निर्माताओं को फिल्म की गुणवत्ता सुधारने के लिए डायलाग्स की डबिंग करवाने हेतु मुंबई या हैदराबाद जैसे शहरों में जाना पडता है। चूंकि इतनी दूर कलाकारों को ले जाना बेहद खर्चीला होता है,इसलिए उन्हे न सिर्फ डबिंग स्टुडियों बल्कि वहीं के डबिंग कलाकारों को भी जुटाना पडता है। इन वजहों से फिल्म निर्माण की लागत बहुत बढ जाती है। रतलाम में डबिंग स्टुडियों बन जाने से जहां फिल्म निर्माताओं को इसका भारी लाभ होगा वहीं,स्थानीय कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा अवसर मिल सकेगा।
संगीतकार श्री शर्मा ने बताया कि डबिंग स्टुडियों के लिए हैवी साउण्ड कार्ड से लेकर तमाम उच्चस्तरीय उपकरण आवश्यक होते है। ध्वनियों के अंकन के लिए अन्तर्राष्ट्रिय स्तर के जो मानक है,वे सभी स्वरधाम के डबिंग स्टुडियों में उपलब्ध है। इन उपकरणों को जर्मनी,जापान,आस्ट्रेलिया आदि देशों से जुटाया गया है।
श्री शर्मा ने कहा कि वे बालीवुड के नाम से प्रसिध्द फिल्म नगरी मुंबई से भी उच्चस्तर की सुविधाएं बेहद कम मूल्य में उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित है,ताकि मध्यप्रदेश और खासतौर पर रतलाम में फिल्मोद्योग की गतिविधियां बढ सके और भविष्य में रतलाम को भी फिल्मोद्योग में उंचा दर्जा मिल सके। उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश में फिल्म शूटिंग के लिए बेहद आकर्षक लोकेशन्स उपलब्ध है। प्रकाश झा जैसे कई प्रख्यात फिल्म निर्माता अब फिल्म निर्माण के लिए मध्यप्रदेश में आ रहे है,लेकिन फिल्म निर्माण की तकनीकी सुविधाओं और पोस्ट प्रोडक्शन के लिए उन्हे मुंबई ही जाना पडता है। रतलाम में डबिंग स्टुडियों के निर्माण के बाद अब फिल्म निर्माण की समस्त तकनीकी प्रक्रियाएं प्रदेश में ही उपलब्ध हो जाएगी। सही मायने में अब मध्यप्रदेश फिल्मकारों के लिए उचित स्थान बन पाएगा।