रतलाम में अघोषित आपातकाल के हालात : अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात ,पत्रकार पर दर्ज प्रकरण के विरोध में उतरा समाज
रतलाम,26 अप्रैल (इ खबरटुडे)। कोरोना जान ले रहा है, दूसरी ओर व्यवस्था बेपरवाह हो चली है। लापरवाही, जालसासी उजागर कर लोगों की जान बचाने में जुटे पत्रकारों और जनसामान्य की अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात हो रहा है। आलम अघोषित आपातकाल के हैं। पुलिस और प्रशासन पीड़ित जनता की मदद करने वालों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर रहा है। मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की पारदर्शिता तक खत्म कर दी गई है।
रतलाम के पत्रकार केके शर्मा के खिलाफ सोमवार सुबह नामली थाने पर प्रकरण दर्ज किया गया है। द्वेषतापूर्ण हुई इस कार्रवाई के विरोध में पूरे पत्रकार जगत में आक्रोश है। रतलाम प्रेस क्लब सहित जिले के पत्रकारों के साथ चंद मिनटों में ही अन्य जिलों के पत्रकारों और कई समाजसेवियों ने भी खुलकर मीडिया जगत की आवाज दबाने की इस कोशिश का विरोध किया। विरोध जताते हुए पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर लिखने के साथ वाट्सएप पर डीपी काली कर दी। साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, प्रदेश के गृहमंत्री, डीजीपी, प्रमुख सचिव, जनसंपर्क प्रमुख सचिव आदि को भी पत्र भेजकर कार्रवाई पर अपना विरोध जताया।
आखिर क्या गलत लिखा था मैसेज में…..
पत्रकार केके शर्मा ने जो मैसेज ग्रुप पर साझा किए, उसमें स्पष्ट हैं कि उनका उद्देश्य केवल आम व्यक्ति के लिए मदद पहुंचाना था। उन्हें पीड़ित परिवार ने फोन करके बताया कि उनके परिवार के व्यक्ति को मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया, जहां 15 मिनट आॅक्सीजन देने के बाद उन्हें मृत घोषत कर दिया गया। व्यक्ति को परिवार वाले अपने गांव पलसोड़ा लेकर पंहुचे और गांव के आरएमपी से फिर से चैक करवाया तो आरएमपी डॉक्टर ने उन्हें धड़कन चलने की जानकारी दी।
परिवार फिर से उसे लेकर रतलाम के गायत्री अस्पताल आया, लेकिन उन्हें पलंग नहीं मिला। इस बीच केके शर्मा ने पलंग दिलवाने का निवेदन करते हुए डिप्टी कलेक्टर और समन्वयक अधिकारी शिराली जैन को परिजन का नंबर भी दिया। परिजन और डिप्टी कलेक्टर की बात हुई और गायत्री अस्पताल में बात भी की। इसके बाद अस्पताल में मरीज का चैकअप किया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो गई।