जहरीली गैस-कार्बन मोनो ऑक्साईड
(डॉ.डीएन पचौरी)
आज दिनांक ३ मई १२ के समाचार पत्रों में छपा है कि करगौन के बेडियांव गांव के शादीशुदा जोडे प्रवीण सगौरे तथा सरस्वती की जेनरेटर के धुएं से निकलने वाली गैस से दम घुंटने से मृत्यु हो गई। मृत दम्पत्ति की शादी एक दिन पहले ही यानी १ मई को हुई थी,और शादी की पहली ही रात उनकी मौत हो गई। इस लेख का उद्देश्य सभी लोगों को कार्बन मोनो आक्साईड के जहरीले प्रभाव के बारे में सचेत करना है,चाहे वो साईंस जानते हो अथवा नहीं।
कार्बन मोनो ऑक्साईड एक ऐसी गैस है जो रंगहीन,गंधहीन,स्वादहीन गैस है और शरीर में प्रवेश कर रक्त से क्रिया करती है। रक्त में हीमोग्लोबिन होता है,जिस पर इस गैस की क्रिया से कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बन जाता है। जिससे रक्त गाढा होता जाता है और रक्त प्रवाह रुक जाता है और परिणामस्वरुप व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
इस गैस की खास बात यह है कि इस गैस में सांस लेने पर दम घुटता हुआ महसूस नहीं होता। अन्यथा सोता हुआ आदमी उटकर बैठ जाएगा या बन्द स्थान से निकलकर बाहर आ जाएगा। किन्तु इस गैस में आदमी सोता ही रह जाता है।
यै गैस बन्द स्थान जहां हवा का निकास न हो वहां अधिक तेजी से बनती है,क्योकि जब हम सांस लेते है तो फेफडों में आक्सिजन अवशोषित हो जाती है और कार्बन डाई आक्साईड गैस शरीर के आंतरिक अवयवों से फेफडों में होती हुई नाक से बाहर आती है। किसी बन्द कमरे में अथवा बन्द कार के अन्दर जहां कार के कांच चढाकर एअर कण्डिशनर(ए.सी.) चालू हो तथा बन्द कमरे में सिगडी के कोयले दहक रहे हो तो कार्बन डाई आक्साईड क्रिया करके कार्बन मोनो आक्साईड बना देती है जो सांस के साथ अन्दर जाने लगती है।
कार्बन + कार्बन डाई आक्साईड = कार्बन मोनो आक्साईड
इसलिए कार्बन मोनो आक्साईड को साईलेंट किलर कहा जाता है,जो चुपचाप जान ले लेती है। गत वर्ष भी लखनऊ ,गाजियाबाद,दिल्ली समेत अनेक नगरों में बन्द कार में एसी चलाने के कारण अनेक लोगों को अपनी जान गंवानी पडी। ऐसे हादसे आए दिन होते रहते है।
कार्बन मोनो आक्साईड की वजह से ईतिहास का सबसे दर्दनाक हादसा १९४४ में इटली में हुआ था। एक ट्रेन की बोगी में
कुछ सामान का लदान अधिक हो गया था,जबकि भाप से चलने वाले इंजिन की क्षमता कम थी। एक सुरंग में गाडी अटक गई। इस सुरंग चढाई वाली थी। रात्रि का समय था,ट्रैन के मुसाफिर गहरी नींद में थे। इंजिन चढाई वाली सुरंग में ठीक से चल नहीं पा रहा था इसलिए इंजिन में लगातार कोयले डाले जा रहे थे। सुलगते कोयलों और सुरंग के भीतर सीमित हवा के कारण यात्रियों की सांस से निकली कार्बन डाई आक्साईड के कार्बन से संयुक्त होने के कारण कार्बन मोनो आक्साईड बनती गई और सोए हुए यात्री सांस के साथ कार्बन मोनो आक्साईड भीतर लेते रहे। ट्रेन के गार्ड का डिब्बा जो कि सुरंग के बाहर था,इसलिए गार्ड सुरक्षित बच गया लेकिन ट्रेन में इंजिन के ड्राईवर समेत गलभग ६५० यात्रियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी।
बचाव हेतु सावधानियां
निम्र सावधानियां रखकर कार्बन मोनो आक्साईड के जहरीले प्रभाव से बचा जा सकता है।
१. जब कार,बस या अन्य कोई वाहन खडा हो तो कांच बन्द कर एसी ना चलाए। चलती गाडी में वायु का निकास होता रहता है अत: अधिक हानि की संभावना नहीं रहती।
२. ठण्ड के दिनों में बन्द कमरे में दहकती हुई सिगडी या अंगीठी या कोई अन्य बर्तन जिसमें कोयले दहक रहे हो,ना रखे। कमरा गर्म रखना ही हो तो कमरे का आकार बडा व रोशनदान खुले रहने चाहिए।
३. जिस कमरे में जेनरेटर चल रहा हो उस कमरे के भीतर कभी ना सोयें।
४.सिगरेट,बीडी के धुएं से बचे,उससे भी ये गैस होती है। धूम्रपान से मृत्यु भले ही ना हो किन्तु इनका धुआं सिरदर्द जरुर उत्पन्न करता है।