October 15, 2024

राम मंदिर ट्रस्टी चंपत राय ने कहा पीड़िया गुजर जाएगी और कोई नहीं कह सकेगा संरकार का हस्तक्षेप रहा

-मंदिर 3 साल में बनेगा और कोई ड्रेस कोड लागू नहीं होगा , महाकाल मंदिर में कौन सा ड्रेस कोड है

उज्जैन,21 मार्च (इ खबरटुडे/ब्रजेश परमार)। ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल के दर्शन के लिए देर रात उज्जैन पॅहुचे विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं श्री राम मंदिर ट्रस्टी चंपत राय ने कार्यकर्ताओ को संबोधित किया ।प्रेस वार्ता में कहा कि कई पिढ़ियां गुजर जाएगी और कोई नहीं कह सकेगा संरकार का हस्तक्षेप रहा मंदिर में। मंदिर 3 साल में बनेगा और कोई ड्रेस कोड लागू नहीं होगा महाकाल मंदिर में कौन सा ड्रेस कोड है, ना ही हम किसी से चंदा ले रहे है। यह बात उन्होंने माधव सेवा न्यास के भारत माता मंदिर पर मीडिया के सामने कही।

श्री राय ने कहा की राम जन्म भूमि पर मंदिर की तैयारी बहुत अच्छी चल रही है। 3 साल में मंदिर बन कर तैयार हो जाएगा।ये लड़ाई मंदिर निर्माण की लड़ाई नहीं थी बल्कि भारत के सम्मान की लड़ाई थी, 500 साल की ग्लानि का गौरव यात्रा के रूप में समापन हुआ है।ये पूरा मंदिर पत्थरो का होगा, जिसमे बुजुर्गो के लिए रेम्प और लिफ्ट भी लगायी जायेगी। भव्य मंदिर में करीब 50 हजार श्रद्धालु रोजाना दर्शन करने अयोध्या आएंगे।

ग्लानि से गौरव की यात्रा है अयोध्या श्री राम मंदिर निर्माण-
श्री राय ने कहा कि आपके घर मे कोई बाहरी आकर बैठ जाए तो आपको कितनी ग्लानि महसूस होगी कि घर आपका है और बैठा कोई और है ,बस ऐसे ही ग्लानि भगवान श्री राम मंदिर के लिए हमें पिछले 500 साल से हो रही थी, जब देश आजाद हुआ उसके 1 साल बाद ही राम मंदिर की लड़ाई आंतरिक स्तर पर छिड़ गई थी। समय-समय पर कोर्ट कचहरी मुकदमे बाजी चली। जब 9 नवंबर – 19 को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया तो ग्लानि दुर हुई और गौरव की यात्रा में बदल गई। राय ने यह भी कहा कि राशि संग्रह के दौरान हम 12 करोड़ लोगो तक पहुँचे, श्री राय ने यह भी कहा कि 3 साल में बन जायेगा अयोध्या में श्रीराम मन्दिर ।राशि सँग्रह के दौरान पूर्ण रूपेण सामाजिक संस्कृति तरीके से मिले हम बगैर राजनीति के दबाव प्रभाव के हमने काम किया।रामभक्ति में लीन रहने वालों ने भागीदारी की।42 दिन के अभियान में लाखो कार्यकर्ताओ ने घर परिवार छोड़कर काम किया। दान शब्द अच्छा नही इसलिए इसे बदलकर सम्पर्ण निधि नाम दिया।क्योकि दाता तो स्वयं भगवान है,उनको कोन क्या देगा,इसलिए इसे नाम दिया समपर्ण निधि।जिसमें प्रेशर नही हो सकता।एच्छिक समपर्ण ही रहता है। समाज ने अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के लिए जो सहयोग किया वो हमारी अपेक्षा से 4 गुना अधिक है। सब जगह का ऑडिट भी हो रहा। 31 मार्च तक ओर चेक क्लियर होंगे। बड़ा आंकड़ा सामने आएगा।पारदर्शीता में भी ऐतेहासिक रहेगा यह मिशन।हमारी निगाह है इस पर । दिल्ली का मोनेटरिंग सेंटर भी निगाह रखे हुए है।डिजिटल तरिके से भी निगाह है व हैदराबाद की कंपनी ने बनाया डिजिटल संपर्क। कॉल सेंटर बने है।200 परसेंट पारदर्शिता रही है मिशन के समय।70 एकड़ परीसर में मन्दिर बनेगा।

लद्दाख ओर सिक्किम में रामभक्त पहुँचे। जहाँ काम करना मुश्किल है मौसम की वजह से अभियान की समाप्ति के बाद ईसाईयो ने भी पूछा हमारे आराध्य भी तो राम ही तो थे।उन्होंने भी हमे सबकुछ समर्पित कर दिया। हजारों मुस्लिमों ने भी सहयोग दिया। फैजाबाद में सेकड़ो मुस्लिम आये हमारे साथ आये। श्री रॉय ने कहा में खुद पैदल चला उनके साथ मुस्लिमों ने दुकान छोड़ी, दुकान से कूदकर आये और हमारा सम्मान किया।भिक्षुक ,किन्नर ,पन्नी बीनने वालो ने भी धन राशि दी हमको। मासूम बच्चो ने भी गुल्लक फोड़ कर राशि दी हमें।जोधपुर की बीमार महिला ने मरने के बाद भी धन राशि दी,,,पति ने पत्नी के जेवर बेचकर मन्दिर निर्माण में राशि दी,,,,डेड बॉडी बाद में उठाई।राष्ट्र की आंतरिक एकात्मता के दर्शन हुए इस दौरान।ये मन्दिर की लड़ाई नही,ये हिंदुस्तान के मूंछ की लड़ाई थी,मन्दिर तो बनते रहते है मगर हिंदुस्तान का यह विशेष महायज्ञ है।

बाबर के समय कई मन्दिर टूटे। सबको पता है 500 साल से लड़ाई चली आ रही,मारकाट हुई राजा महाराजवाओ के समय,अयोध्या के मन्दिर पर 1949 में कब्जा किया था आधी रात को।50 नोजवान थे तब।सर्वोच्च न्यायालय ने हिंदुओं के फेवर में डिसीजन दिया। मन्दिर के प्रमाण खुदाई में मिले।राडार तरंगों से जमीन की अंदर फोटोग्राफी हुई,कनाडा से आए फ़ोटो खिंचेने।2003 की बात है यह।

हाईकोर्ट ने कराई फोटोग्राफी,रिपोर्ट बनी इसकी की उत्तर भारतीय शेली का मन्दिर अंदर है,इसी आधार पर 2010 में फैसला हुआ,2019 में अपील हुई। 500 साल की लंबी लड़ाई पर एक मत हुए जज।जिसमें एक मुस्लिम जज भी रहे,,,,,। 70 एकड़ मन्दिर जमीन हमे मिली मन्दिर निर्माण के लिए व 5 एकड़ मुस्लिमों को मिली जगह।हमारे देश को इतनी ग्लानि हुई अब बाहर आया भारत , ग्लानि से गौरव की यात्रा है यह । जब निर्णय आया सुप्रीम कोर्ट में।दुनिया मे सर्वाधिक देखा गया यह कार्यक्रम।मन्दिर पत्थर का है,लोहा नही है इसमें,तांबे की पत्ती से जोड़ेंगे,160 खम्बे होंगे,हर तल की ऊंचाई 20 फिट होगी 3 तल होंगे,5 लाख घन फुट पत्थर लगेगा।40 फिट गहराई से उठा कर ला रहे जमीन से , ये आय आय टी की देशभर की संस्था लगाई है,जॉइंट एफर्ट लगाए,सरयू नदी का किनारा है,मिट्टी नही निकली मलबा निकला खुदाई में,3 साल में बन जायेगा मन्दिर। बुजुर्ग के लिए रेम्प,लिफ्ट का प्रयोग।सांस्कृतिक राजधानी बनेगी अयोध्या।50 हज़ार लोग रहेंगे,कैसे पार्किंग होंगे कैसे वहां घूमेंगे दर्शन करेंगे इसकी प्लांनिग बन रही।

नेता दूर रहे यही कृपा बहुत है,1993 से केस चला,पीढ़ियों तक कोई बोल नही सकता कि कोर्ट के डिसीजन में किसी सरकार का कोई दखल था।14 हजार पृष्ठो का ऑर्डर था,6 माह में ट्रांसलेशन हुआ ऑर्डर का।योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अनुवाद कराया। एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि ट्रस्ट ऑटोनोमस है,पडलो उसे 4 आईएएस है।एक अन्य सवाल के जवाब में उनका कहना था कि में खंडन करता हु कोई टारगेट नही दिया किसी को धन संग्रह के लिए।राजीव गांधी,नरसिम्हा राव के लिए भी मेने लिखा है ,मगर आज की पीढ़ी को अच्छा नही लगेगा,इसलिए छोड़ो उसे।

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