October 14, 2024

Ratlam/पति और ससुराल वालों से निरन्तर विवाद करने को पत्नी की मानसिक क्रूरता माना न्यायालय ने,आवेदक मनीष धभाई को मिला तलाक

रतलाम,21 मार्च (इ खबरटुडे)। वैवाहिक सम्बन्धों में क्रूरता शारिरीक और मानसिक दोनो प्रकार की हो सकती है। पति और ससुराल के अन्य व्यक्तियों से निरन्तर झगडा करना,पति और उसके परिवार के लोगों को झूठे प्रकरण में फंसाने की धमकी देना,पति को निम्न स्तर का बताना आदि निस्संदेह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है और इस आधार पर पति को तलाक दिया जाना चाहिए।

उक्त महत्वपूर्ण तथ्य रतलाम के कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश हितेन्द्र कुमार मिश्रा ने सैलाना निवासी आवेदक मनीष धभाई द्वारा विवाहित पत्नी से तलाक दिलाए जाने के आïवेदन का निराकरण करते हुए कहे। विद्वान न्यायाधीश ने अनावेदिका अनु उर्फ अनुसुईया धभाई को अपने पति और ससुराल वालों के साथ मानसिक क्रूरता करने का दोषी पाते हुए आवेदक मनीष धभाई को विवाह सम्बन्ध विघटित करने की अनुमति प्रदान कर दी।

उल्लेखनीय है कि आवेदक मनीष धभाई का विवाह अनुसुईया धभाई से 25 फरवरी 2003 को हुआ था। विवाह के एक वर्ष तक तो उनका वैवैहित जीवन सामान्य रहा परन्तु एक वर्ष के बाद अनावेदिका के व्यवहार में परिवर्तन आने लगा और वह छोटी छोटी बातों पर आवेदक से विवाद करने लगी। अनावेदिका अपने पति मनीष पर अन्य महिलाओं से अवैध सम्बन्ध रखने के झूठे आरोप लगाती थी और उसका सामाजिक बहिष्कार कर उसके साथ दाम्पत्य जीवन में नहींरहने की धमकी देती थी। अनावेदिका ने आवेदक मनीष की कार में डिवाइस लगाकर उसकी जासूसी करना भी प्रारंभ कर दिया। इतना ही नहीं अनावेदिका ने आवेदक मनीष और उसकी वृद्ध माता के दहेज प्रताडना का झूठा प्रकरण भी दर्ज करा दिया।

अनावेदिका यहीं नहीं रुकी उसने फेसबुक इत्यादि सोशल मीडीया प्लेटफार्म्स पर आवेदक मनीष,उसके मित्रों और परिवार वालों के लिए कई आपत्तिजनक पोस्ट डाली और अपशब्द लिखे। अनावेदिका ने आवेदक मनीष के मित्रों के घर जाकर उनके साथ भी गाली गलौज की। आवेदक मनीष ने समय समय पर इन बातों की शिकायत भी पुलिस को की। अन्तत: अनावेदिका अनुसुईया के इन कृत्यों से तंग आकर आवेदक मनीष ने कुटुम्ब न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन प्रस्तुत किया।

कुटुम्ब न्यायालय के विद्वान प्रधान न्यायाधीश हितेन्द्र कुमार मिश्रा ने उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत तथ्यों और तर्को को सुनने के बाद यह अभिनिर्धारित किया कि अनावेदिका ने आवेदक मनीष के साथ लगातार मानसिक और शारिरीक क्रूरता की है तथा उसे दाम्पत्य जीवन के सुख से वंचित रखा है। ऐसी परिस्थिति में आवेदक विवाह के विघटन की सहायता पाने का अधिकारी है। विद्वान न्यायाधीश ने अनावेदिका अनुसुईया को जीवन निर्वाह प्रतिकर के रुप आवेदक द्वारा 10 लाख रु. की राशि एकमुश्त प्रदान करने का भी आदेश दिया है। आवेदक को उक्त राशि दो माह की अïवधि में अनावेदिका को देनी होगी।आवेदक की पैरवी एडवोकेट संतोष त्रिपाठी की ओर से की गई थी।

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