October 14, 2024

Raag Ratlami Local Body Election – सडक नाली वाले चुनाव टलने से बढ गई दावेदारों की दिक्कत,दवा उद्योग बना सूदखोरी का अड्डा

-तुषार कोठारी

रतलाम। आखिर वही हुआ जिसका डर था। सडक नाली वाले चुनाव टल गए। चुनाव कब होंगे ये पता नहीं,लेकिन इस चक्कर में नए नए मैदान में उतरे दावेदारों के लिए मुसीबत हो गई। वे दावेदारी के लिए सक्रिय हुए थे और अब पता नहीं कब तक उन्हे अपनी खर्चीली सक्रियता को बरकरार रखना पडेगा।
अभी कुछ ही दिन पहले तक सभी को लग रहा था कि चुनाव जल्दी होंगे तो इसी चक्कर में शहर का मुखिया बनने के लिए कई सारे नए दावेदार सक्रिय हो गए थे।
दावेदारों की तादाद फूल छाप पार्टी में ज्यादा थी,पंजा पार्टी में दावेदार कम थे। फूल छाप पार्टी मेंं उभरे दावेदारों ने अपनी दावेदारी को मजबूत करने के चक्कर में नए नए काम शुरु कर दिए थे। सैलाना रोड पर मेरिज गार्डन चलाने वाले एक दावेदार इन दिनों सोशल मीडीया पर खासे सक्रिय हो गए थे। उन्होने तो इसके लिए बाकायदा स्टाफ भी नियुक्त कर लिया था। उनका स्टाफ तमाम सोशल मीडीया प्लेटफार्म्स पर नेताजी की तरफ से हर दिन अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने लगा। इतना ही नहीं सोशल मीडीया पर आने वाली जनसमस्याओं को हल करवाने के लिए भी वे पूरी तरह सक्रिय हो गए थे। इन समस्याओं को हल करवाने के लिए वे खुद खर्चा करने से भी पीछे नहीं हटते थे।
सागोद रोड से आने वाले एक दूसरे दावेदार ने पिछले दिनों से तमाम सामाजिक धार्मिक आयोजनों में अपनी सक्रियता बढा दी थी। शिवरात्रि पर तो उन्होने भक्तों में खिचडी का वितरण भी करवाया था। अचानक से नए उभरे एक दावेदार ने तो एक अखबार के कार्यक्रम की महंगी स्पांसरशिप भी कबूल कर ली। इस स्पांसरशिप के बदले दावेदार जी को मंच पर मुख्यअतिथि बनाकर बैठाया गया था।
नए उभरे इन दावेदारों की दिक्कत ये थी कि फूल छाप पार्टी में ये अधिक महत्वपूर्ण नहीं समझे जाते थे,इसलिए इन्हे अपने आपको दावेदार के रुप में स्थापित करने के लिए अधिक मेहनत करना पड रही थी। उन्हे उम्मीद थी कि महीनेे दो महीने की सक्रियता से वो टिकट पाने का अपना लक्ष्य हासिल कर सकते है। लेकिन अब जब कि चुनाव टल चुके है इनकी दिक्कत और बढ गई है। उन्हे अपनी सक्रियता को अब तब तक बनाए रखना होगा,जब तक कि चुनाव घोषित नहीं हो जाते। सक्रियता को बनाए रखना कोई हंसी खेल नहीं है। ये बेहद खर्चीला काम है। अपनी छबि चमकाने के चक्कर में कई दावेदारों ने अखबारों में विज्ञापन देने की शुरुआत भी कर दी थी। खबरचियों के लिए ये एक अच्छा मौका था। अब खबरची दावेदारों के पीछे पड जाते है और दावेदारों की मुसीबत ये है कि वे इंकार भी नहीं कर पाते और उनका खर्चा अभी से बढने लगा है। इन्ही दिक्कतों के चलते कई दावेदारों को यह कहते भी सुना जा सकता है कि अगर पहले से पता होता कि चुनाव टल जाएंगे तो वे अपने पत्ते नहीं खोलते और इस खर्चीली मेहनत से बच जाते। लेकिन दावेदारी दिखाने के उत्साह में उनके पत्ते ओपन हो गए।

उद्योग बना ब्याजखोरी का अड्डा

शहर के बडे दवा उद्योग में एक केन्टीन संचालक द्वारा खुदकुशी करने की कोशिश की गई। हांलाकि उसकी ये कोशिश तो सफल नहीं हो पाई,लेकिन इस वाकये के चलते कई चौंकाने वाली बातें सामने आने लगी है। खुदकुशी की कोशिश करने वाले ने अपनी जेब में पन्द्रह बीस लोगों के नाम लिखी एक लिस्ट रखी थी और लिखा था कि इन्ही लोगों ने उसे खुदकुशी के लिए मजबूर किया था। तभी यह बात भी सामने आई कि ये तमाम लोग उसी उद्योग में काम करते है और उद्योग के भीतर ही ब्याजखोरी का धन्धा भी चलाते है। इसी सूदखोरी से परेशान होकर केन्टीन चलाने वाले ने खुदकुशी की कोशिश की थी।
अब वर्दी वाले फैक्ट्री के भीतर ब्याजखोरी करने वाले लोगों की जांच कर रहे है। वर्दी वालों का कहना है कि जांच में तथ्य आने के बाद ब्याजखोरों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएंगे। फैक्ट्री के भीतर ब्याजखोरी करने वालों से लगातार पूछताछ की जा रही है।
चौंकाने वाली बात ये है कि दवा बनाने वाली फैक्ट्री के भीतर ब्याजखोरी का पूरा सिस्टम तैयार हो गया और सूदखोर फैक्ट्री के ही कर्मचारियों से पठानी वसूली करने लगे। मामला यहां तक जा पंहुचा कि ब्याजखोरी से तंग आकर एक आदमी को खुदकुशी की कोशिश करना पड गई। ऐसे में यह सवाल तो उठता ही है कि फैक्ट्री प्रशासन की नाक के नीचे इतना सबकुछ कैसे हो गया..?

काले कोट और कलम वालों के चुनाव……

उधर तो सडक नाली वाली सरकार के चुनाव टल गए और इधर शहर की दो खास बिरादरियों के चुनावों की सरगर्मियां शुरु हो गई। काले कोट वालों के चुनाव के लिए तमाम काले कोट वालों ने मीटींग कर ली और चुनाव करने का फैसला ले लिया। काले कोट का चुनाव लडने वाले दावेदार तो पिछले कई दिनों से अपने साथियों को गुड मार्निंग गुड नाईट के मैसेज करके सक्रियता दिखाना शुरु कर चुके थे। जैसे ही चुनाव तय हुए ये तमाम दावेदार अपनी सक्रियता को और बढाने में जुट गए है।
इधर कलम वालों के भी चुनाव की सरगर्मियां शुरु हो गई है। खबरचियों के चुनाव को देखते हुए हाशिये पर जा चुके कई पुराने खबरची नए सिरे से अपने आपको सक्रिय दिखाने की तैयारी में लग गए है।

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