Raag Ratlami: सडक नाली वाले चुनाव,दावेदारों के लिए दुखभरे दिन/शहर का मास्टर प्लान है मास्टर्स प्लान
-तुषार कोठारी
रतलाम। आजकल के दिन तमाम दावेदारों के लिए बेहद दुखभरे साबित हो रहे हैैं। इंतजार हमेशा बुरा और दुखद होता है,वो चाहे जिस चीज का हो। और अगर इंतजार चुनाव की तारीखों का हो तो ये और भी ज्यादा दुखद हो जाता है। बडी अदालत में सरकार और चुनाव आयोग दोनों ने ही कह दिया था कि 3 मार्च को मतदाता सूचि का प्रकाशन हो जाएगा और दोनो ही चुनाव कराने को राजी थे। तमाम दावेदारों को उम्मीद थी कि तीन मार्च के बाद कभी भी तारीखों का एलान हो जाएगा और बस फिर उन्हे अपने काम में जुट जाना होगा। लेकिन इन दिनों जो हो रहा है,वो दावेदारों की बैचेनी और दुख को बढाने वाला है।
दावेदारों की दिक्कत ये है कि वो ये समझ ही नहीं पा रहे है कि चुनाव अभी होंगे या कुछ महीनों बाद। सरकार और चुनाव आयोग की बातें सुनकर तमाम दावेदार काम पर लग चुके थे। टिकट की जमावट से लेकर मैदानी तैयारी तक सबकुछ शुरु हो गया था। रतलाम से भोपाल तक की दौड शुरु हो गई थी। शहर के मुखिया पद पर चुनाव लडने के दावेदार अपने अपने आकाओ को साधने के लिए दिन रात एक करने मेंं लगे थे। तो दूसरी तरफ वार्डों के दावेदार,अपनी दावेदारी वाले वार्डो में व्यवहार बनाने के लिए सेवाकार्य शुरु कर चुके थे। वार्डों के दावेदारों की परेशानी तो कुछ ज्यादा ही है। कुछ दावेदार तो दो दो वार्डों पर मेहनत कर रहे है,ताकि अगर एक वार्ड में टिकट ना मिल पाए तो दूसरा वार्ड तैयार रहे। इसी चक्कर में दावेदार सुबह सवेरे दावेदारी वाले वार्ड में पंहुच कर साफ सफाई जैसे कामों में लग जाते है। वार्ड के रहवासियों की सेवा उनका परम धरम बना हुआ है। कुछ दावेदार तो इतने उत्साहित है कि सफाईकर्मी ना हो तो खुद ही साफ सफाई में लग जाते है। ये तमाम दावेदार ये साबित करने पर तुले हुए है कि वार्ड के लिए उनसे बडा सेवक और कोई हो ही नहीं सकता। ये अलग बात है कि टिकट मिलने और चुनाव जीत लेने के बाद वार्ड के यही लोग इनकी सूरत देखने तक को तरस जाएंगे।
लेकिन फिलहाल ये तमाम दावेदार इसीलिए परेशान है कि अगर चुनाव आगे बढ गए तो सेवा का सिलसिला लम्बा चलाना पड जाएगा। क्योंकि अगर तारीखे बढने के चक्कर में सेवा का सिलसिला रुका तो वोटरों के सामने पोल खुल जाएगी। इसी चक्कर में दावेदार परेशान है। दूसरी परेशानी ये भी है कि टिकट की जुगाड के लिए अभी जिन आकाओं को सैट किया है,चुनाव आते आते उन्हे दोबारा सैट करना पड जाएगा।
बडा सवाल यही है कि चुनाव अभी होंगे या कुछ महीनों बाद। असल में बंगाल चुनाव का असर सडक नाली वाले चुनाव पर पड रहा है। फूल छाप ने बंगाल में जबर्दस्त ताकत झोंक रखी है। सूबे की सरकार के कुछ मत्री स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भी शामिल है और फूल छाप के कई सारे नेताओं की ड्यूटी बंगाल में लगाई गई है। उधर पंजा पार्टी के नाथ भी स्टार प्रचारक बनाए गए है। इसी वजह से ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि चुनाव अभी नहीं होंगे। बंगाल चुनाव के अलावा कुछ और वजहें भी तैयार हो गई है जिसके कारण चुनाव टलने के पूरे आसार है। स्कूल भी शुरु होने वाले है और सबसे बडी वजह ये भी है कि सूबे के कुछ नगरीय निकायों के आरक्षण को लेकर बडी अदालत ने आपत्ति उठा दी है। ऐसे में अब इस बात की उम्मीद बेहद कम ही बची है कि चुनाव अभी होंगे। चुनाव टलना लगभग तय हो गया है,इसलिए दावेदारों के दुख भरे दिन अभी लम्बे चलने वाले है।
मास्टरप्लान या मास्टर्स प्लान………
शहर के लिए मास्टरप्लान का मसौदा तैयार हो गया है। मास्टर प्लान को लेकर हर तरफ कानाफूसी चल रही है। किसी को इसमें करोडों का खेल नजर आ रहा है,तो किसी को ये भू माफियाओं के लिए तैयार किया गया प्लान लग रहा है। जमीनों की जादूगरी से जुडे लोग बडी बारीकी से मास्टर प्लान को देख रहे है। सबसे मजेदार बात ये है कि मास्टर प्लान को लेकर बातें तो ढेर सारी हो रही है,लेकिन सारी बातें ढंके छुपे ढंग से हो रही है। खुल कर वोलने को कोई तैयार नहीं है। शहर के मास्टर प्लान पर शहर के लोग चुप्पी साधे बैठे है,लेकिन ग्र्रामीण इलाके के चुने हुए नेताजी ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है। मास्टर प्लान बनाने वालों ने शहर की इकलौती हवाई पïट्टी के नजदीक की कुछ जमीनों को आïवासीय श्रेणी में रख दिया। इसमें खास बात ये है कि हवाई पïट्टी के नजदीक बहुत सारी जमीनें है,लेकिन इनमें से कुछ को ही आवासीय बनाया गया है। लोग कहने लगे कि कुछ खास लोगों को फायदा पंहुचाने के लिए ऐसा किया गया। ग्र्रामीण वाले नेताजी ने हवाई पïट्टी के विस्तार को लेकर इसके नजदीक आवासीय क्षेत्र रखने पर आपत्ति दर्ज कराई है। देखने वाले इसमें राजनीति का एंगल भी देख रहे है और इसे ग्र्रामीण की ओर से शहर को चुनौती देने के रुप में भी देखा जा रहा है।
वैसे तो मास्टर प्लान में दिखाई गई रिंग रोड को लेकर भी इसी तरह की चर्चाएं की जा रही है। कहा जा रहा है कि चुन चुन कर खास लोगों को फायदा पंहुचाने के लिए रिंग रोड को डिजाईन किया गया है। इसीलिए यह भी कहा जा रहा है कि यह मास्टर प्लान नहीं है बल्कि यह मास्टर्स प्लान है,जिसमें मास्टर्स ने अपनी सुविधा के लिहाज से प्लान तैयार करवाया है।