Corona Report Politics राग रतलामी – एमएलए साहब पहले पाजिटिव फिर नैगेटिव, क्या कोरोना की रिपोर्ट लाएगी सियासत में भूचाल……..
-तुषार कोठारी
रतलाम। यूं तो पिछले साल भर से कोरोना की रिपोर्टे तरह तरह की धमाल मचा रही है। साल भर में आ रही ये रिपोर्टें महामारी के कम या ज्यादा असर को दिखाया करती थी। लेकिन पिछले तीन दिनों में आई कोरोना की दो रिपोर्टों से सियासत में भूचाल आने के अंदाजे लगाए जा रहे है। कोरोना की इन दो रिपोर्टो में पहली पाजिटिव थी,तो दूसरी नैगेटिव। जब रिपोर्ट पाजिटिव आई थी,तो नवाबी नगरी के एमएलए डाक्टर साहब ने ये कहकर भूचाल ला दिया कि इसमें कोई षडयंत्र हो सकता है। जैसे ही एमएलए साहब ने षडयंत्र की बात कही,हर तरफ सियासती दाव पेंच की बातें होने लगी। डाक्टर साहब फूल छाप के पुराने कद्दावर नेता है। कोरोना से निपटने को लेकर उन्होने अपनी ही सरकार से कई सारे सवाल पूछे है। इन सवालों के जवाब देने में सरकार को परेशानी आ सकती है। सरकार के साथ साथ अफसरों को भी दिक्कतें हो सकती है। सवालों का जवाब मिलने से पहले ही अचानक एमएलए साहब पाजिटिव कर दिए गए। उनके पाजिटिव होते ही उनके राजधानी पंहुचने के चांस खत्म हो गए और उन्हे क्वारन्टीन होना पडा।
एमएलए डाक्टर साहब ने जैसे ही षडयंत्र की बात कही,जिले के अफसरान टेंशन में आ गए और दोबारा से उनकी जांच की गई। दूसरी बार की जांच में वे पाजिटिव से नैगेटिव हो गए। उनके नैगेटिव होते ही यह साफ हो गया कि कहींं ना कही गडबडी तो हुई थी। या तो पहली बार में गलत रिपोर्ट दी गई थी,या फिर दूसरी बार गलत रिपोर्ट दी गई। अब बडा सवाल ये है कि गडबडी कब हुई थी और इस गडबडी के लिए जिम्मेदार कौन था? सवाल तो और भी कई सारे है? जिले में पांच एमएलए है। विधानसभा सत्र से पहले या तो पांचों एमएलए साहबान की जांच होना चाहिए थी या फिर किसी की भी नहीं होना थी। अकेले नवाबी नगरी वाले एमएलए साहब की ही जांच क्यो की गई? सवाल ये भी है कि क्या पूरे सूबे के तमाम एमएलए साहबान की जांच करवाई जाना थी,या सिर्फ किसी एक की? और अगर सिर्फ एक की ही जांच करवाई गई तो मामला गंभीर हो जाता है। सवाल कई सारे है। सवाल ये भी है कि पहली रिपोर्ट महज चार घण्टों में दे दी गई,लेकिन दूसरी बार की रिपोर्ट आने में चौबीस घण्टों से भी ज्यादा का वक्त लगा। कुल मिलाकर तीन दिन में दो बार हुई जांंचों ने कई सारे सवाल खडे कर दिए। सवाल कई सारे है,लेकिन जवाब कहीं नहीं है। जवाब नहीं है इसीलिए षडयंत्र का सवाल खडा हुआ है?
हांलाकि इस पूरे किस्से का एक दूसरा पहलू भी है। सियासती दांव पेंच पर नजरें रखने वाले इसमें सियासती पहलू भी देख रहे है। नवाबी नगरी के एमएलए साहब ने षडयंत्र की बात कह कर सीधे सूबे की सरकार पर ही हमला बोल दिया है। कहने वाले कहते है कि एमएलए साहब पिछले कुछ वक्त से,सरकार से नाराज है। वे जिले में सबसे वरिष्ठ है,लेकिन उनकी अनदेखी की जा रही है। फूल छाप ने महाराज की मदद से सरकार बनाई है जबकि नवाबी नगरी के पिछले चुनाव में एमएलए साहब का मुकाबला महाराज के ही समर्थकों से हुआ था। चुनाव के वक्त जो दुश्मन थे,आज वे एक ही पार्टी में है। ऐसे में एमएलए साहब ने ये बयान देकर फूल छाप को भी झटका देने की कोशिश की है। फूल छाप पार्टी में अब हर जगह इसी तरह की दिक्कतें पेश आ रही है। महाराज के लोगों को पार्टी में एडजस्ट करना पड रहा है। नए लोगों को पार्टी में एडजस्ट करने के चक्कर में पुरानों के साथ अन्याय होने का खतरा भी है। शायद यही वजह है कि एमएलए साहब ने वक्त रहते अपनी फूल छाप को चेतावनी जारी कर दी है कि नयो के चक्कर में पुरानों की पूछ परख कम करना पार्टी के लिए महंगा साबित हो सकता है। दूसरी तरफ पंजा पार्टी वाले इसमें अपना फायदा ढूंढ रहे है। कई बार इधर से उधर हो चुके और फिलहाल किसी तरह पंजा पार्टी में टिके हुए दादा ने इस पर बयान भी जारी किया है। आगे देखिए कोरोना रिपोर्ट की सियासत किस करवट बैठती है और क्या गुल खिलाती है?
हवाई पïट्टी की एनओसी…….
शहर मे हवाई अड्डा तो नहीं है,लेकिन एक हवाई पïट्टी जरुर मौजूद है। लोगों को उम्मीद भी है कि कभी ना कभी हवाई पïट्टी अड्डे में जरुर बदलेगी। लेकिन शहर के एक कुख्यात जमीनखोर की तमन्नाएं इससे ठीक उलट है। जमीनखोर की जमीनें हवाई पïट्टी से लगी हुई है और जमीनखोर इससे मोटी कमाई करना चाहता है। किसी जमाने में जब इन जमीनों पर कुछ बनाने की कोशिश की गई थी,तो इंतजामिया ने उन्हे तोड दिया था। इतंजामिया का कहना था कि भविष्य में यहां हवाई अड्डा बनना है,इसलिए यहां निर्माण नहीं किया जा सकता। बस इसी चक्कर में जमीनों की कीमत कौडियों की हो गई थी और जमीनखोर लम्बे समय से परेशान था। लेकिन जमीनों की जादूगरी में माहिर जमीनखोर ने जोड तोड बैठाकर हवाई अड्डों के आफिस से एक कागज मंगवा लिया और यहां के अफसरों को बताया कि इसे एनओसी कहते है। बस इसी के सहारे जमीनखोर ने जमीन पर निर्माण करने की प्रक्रिया भी शुरु कर दी। लेकिन जिसे एनओसी कहा जा रहा था,वह एनओसी नहीं थी। इसी बात को लेकर जिला इंतजामिया को एक तगडी शिकायत भी कर दी गई है। मामला जांच में है,इंतजार कीजिए जल्दी ही इसका नतीजा भी सामने आ जाएगा।