November 22, 2024

मध्‍य प्रदेश में 60 करोड़ की हेराफेरी में वन व‍िभाग के बाबू की संपत्ति होगी कुर्क, तीन डीएफओ की विभागीय जांच

भोपाल ,14 फरवरी (इ खबरटुडे)। उत्तर वनमंडल उमरिया में तेंदूपत्ता संग्राहकों की विकास निध‍ि में हेरफेर के मामले के मुख्य आरोपित लिपिक (बाबू) कमलेश द्विवेदी की संपत्ति कुर्क की जाएगी। मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ ने शहडोल के मुख्य वनसंरक्षक पीके वर्मा को एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं, मामले में लापरवाही बरतने वाले आइएफएस अध‍िकारी वासु कन्नौजिया, डीएस कनेश और एमएस भगदिया के खिलाफ विभागीय जांच का प्रस्ताव वन मुख्यालय को भेज दिया है।

जिले में इन अध‍िकारियों की तैनाती के दौरान विकास निध‍ि से 60.53 करोड़ रुपये फर्जी तरीके से निकाले गए थे। इनमें से डीएफओ कार्यालय में पदस्थ रहे बाबू द्विवेदी का निधन हो चुका है, जबकि कनेश एवं भगदिया सेवानिवृत्त हो चुके हैं। दिसंबर 2020 में जिले के तत्कालीन डीएफओ (वन मंडल अध‍िकारी) आरएस सिकरवार को निलंबित किया जा चुका है।

वर्ष 2011 से 2020 के बीच हुए इस घोटाले का राजफाश सितंबर 2020 में सिकरवार ने ही किया था। घोटाले की अवधि‍ में उमरिया में नौ डीएफओ पदस्थ रहे। इनमें से एक वासु कन्नौजिया को 10 दिन पहले ही मंडला वनमंडल उत्पादन का डीएफओ पदस्थ किया गया है। जबकि सेवानिवृत्त हो चुके आइएफएस कनेश और भगदिया पर सेवानिवृत्ति के बाद भी कार्रवाई के नियमों के तहत जांच शुरू की जाएगी।

सामान्य प्रशासन विभाग के नियम हैं कि सेवानिवृत्ति के चार साल बाद तक पुराने मामलों में जांच कराई जा सकती है। जांच में मामले का मुख्य आरोपित बाबू द्विवेदी बताया गया है, पर मामला खुलते ही दिल का दौरा पड़ने से उसका निधन हो चुका है। इसलिए अब उसकी संपत्ति कुर्क कराने के प्रयास चल रहे हैं।

मुख्य वनसंरक्षक स्थानीय थाने में सभी आरोपितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराएंगे। जांच के बाद मामला कोर्ट में जाएगा, तब विभाग कोर्ट से बाबू की संपत्ति कुर्क करने की मांग करेगा। 10 साल तक ऐसे हुआ घोटाला जिलों में तेंदूपत्ता संग्रहण डीएफओ की देखरेख में होता है। लघु वनोपज संघ कर्मचारियों के वेतन-भत्ते और कार्यालयीन कार्य के लिए विकास न‍िध‍ि से भुगतान करता है। जनवरी 2011 से अगस्त 2020 तक बाबू ने हर महीने बिल लगाए और बिलों पर अधि‍ि‍कारियों ने हस्ताक्षर कराए।

वन अध‍िकारी बताते हैं कि बाबू 40 हजार रुपये के चेक पर अध‍िकारी से हस्ताक्षर कराता था और बैंक में जमा करने से पहले उसे 1.40 लाख का बना देता था। इतनी राशि बैंक उसे दे देता था। हैरत की बात तो यह है कि वन, सहकारिता विभाग के अंकेक्षण (ऑडिट) में यह मामला कभी पकड़ में नहीं आया।

दोनों विभाग के आला अध‍िकारी लेखा-जोखा रिपोर्ट पर मुहर लगाते रहे। घोटाले की जांच रिपोर्ट के मुताबिक वासु कन्नौजिया के कार्यकाल में 30 चेक के माध्यम से एक करोड़ चार लाख रुपये का गबन हुआ है।

इनका कहना
एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश मुख्य वनसंरक्षक शहडोल को दिए हैं। वहीं वासु कन्नौजिया, डीएस कनेश और एमएस भगदिया के खिलाफ विभागीय जांच के लिए वन बल प्रमुख को लिखा है।- एसएस राजपूत, प्रबंध संचालक, राज्य लघु वनोपज संघ

विभागीय जांच का प्रस्ताव आ गया है। जल्द ही शासन को भेज रहे हैं।– राजेश श्रीवास्तव, वन बल प्रमुख

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