Raag Ratlami – खबरों के चौके छक्के जडने में माहिर खबरची मैदान पर नहीं जड सके चौके छक्के,लेकिन हौंसलों को मिला सम्मान
-तुषार कोठारी
रतलाम। खबरों के चौके छक्के जडने वाले खबरचियों के लिए मैदान में चौके छक्के जड पाना हमेशा से कठिन साबित होता रहा है। हांलाकि जब भी मौका लगता है खबरची उम्मीदें तो यही लगाते है कि जीत का जश्न मनांएंगे,लेकिन टीम जब जब मैदान पर पंहुचती है,जीत का जश्न अफसरों के हिस्से मेंंं चला जाता है।
इस बार भी यही सब कुछ हुआ। जिला इंतजामिया ने खबरचियों को मैदान में आकर हाथ आजमाने की चुनौती दी। खबरों के चक्कर में देर रात तक दौडने वाले और फिर सुबह देर तक जागने वाले नए उत्साही खबरचियों ने आंखो आंखों में रात गुजारी। रात भर वे जीत का जश्न मनाने के सपने संजोते रहे और सुबह जल्दी उठ कर वर्दी वालों के मैदान पर हाथ आजमाने पंहुच गए। जिला इंतजामियां की टीम में हर महकमे के लोग शामिल थे। वर्दी वालों के कप्तान,दो और तीन नम्बर वाले साहब,नगर निगम के दो नम्बर वाले साहब इस तरह तमाम महकमों से खिलाडी जुटाए गए। इधर खबरचियों के पास क्रिकेट खेलने वाले इक्के दुक्के खिलाडी ही है। बाकी सब तो मजे लेने के चक्कर में खिलाडी बन जाते है। खबरचियों ने भी पक्के और कच्चे खिलाडियों को लेकर जैसे तैसे टीम बनाई। मैच शुरु होने से पहले जैसे ही खबरचियों को बताया गया कि मैच बीस ओवर का होगा। कई सारे खिलाडियों को जोर का झटका लगा। इतना लम्बा मैच खेलना तो उनके लिए वैसे ही कठिन हो जाने वाला था। लेकिन जब मैदान में आ ही गए थे,तो जैसे भी हो मैच तो खेलना ही था।
पहले बल्लेबाजी का मौका इंतजामिया ने हडप लिया। बेचारे खबरचियों को पहली ही पारी में इधर से उधर दौड लगाने की बदमजा जिम्मेदारी मिल गई थी। खबरचियों के खिलाडियों में पक्के खिलाडी तो इक्के दुक्के ही थे। नतीजा यह हुआ कि अफसरों को अपनी बल्लेबाजी पर वाह वाह करने का भरपूर मौका मिला। गेंद बार बार बाउण्ड्री पार करती रही और खबरची गेंद के पीछे दौडते दौडते थकने लगे। इंतजामिया के अफसरों ने कई सारे रन तो बिना कुछ किए धरे ही बना लिए। बाउण्ड्री से विकेट पर फेंकी गई बाल खबरची पकड पाते उससे पहले ही बल्लेबाजी करने वाले दो तीन रन और बना लेते। इतने संघर्षों के बाद जैसे तैसे पहली पारी खत्म हुई और थके हुए खबरचियों को सुस्ताने का मौका मिला।
कम नींद लेकर मैदान पर पंहुचे और पहली ही पारी में फिल्डींग से थके हुए बहादुर खबरचियों ने फिर से संघर्ष शुरु किया। लेकिन मैदान पर पंहुचने वाले बल्लेबाज तू चल मै आया की तर्ज पर जाते और आते रहे। ले देकर एक या दो पक्के खिलाडियों ने जीत का जश्न मनाने के सपने को सच करने के लिए संघर्ष जारी रखा,लेकिन दूसरे छोर पर तू चल मैैं आया का सिलसिला ही चलता रहा। आखिरकार वो क्षण भी आ गया,जब मैच खत्म हुआ। संघर्षशील और जुझारु खबरचियों के हिस्से में फिर से परंपरागत निर्णय आया। जीत का जश्न मनाना उन्हे मयस्सर ना हो सका। लेकिन मैदान पर मौजूद लोगों ने तब खबरचियों का वो जज्बा देखा,जो आमतौर पर देखने को नहीं मिलता है। खबरचियों ने इस असफलता को तुरंत ही भुलाते हुए अगले संघर्षों की तैयारी के पक्के इरादे जाहिर किए। हर बार की तरह ये भी मन बनाया कि अब खबरची नियमित तौर पर प्रेक्टिस किया करेंगे जिससे कि अगले मौकों पर उन्हे भी जीत का जश्न मनाने का मौका मिल सके। इतना ही नहीं खबरचियों ने कुछ दूसरी टीमों से भिडने का हौंसला भी मैदान पर प्रदर्शित किया। ये सबकुछ खबरचियों ने तब किया जबकि वे जानते थे कि उनमें से कई सारों को अगले दी तीन दिनों तक हाथ पांव के दर्द को झेलना पडेगा और हो सकता है दर्द निवारक दवा भी खानी पड जाए।
बहरहाल,मैदान पर मौजूद दर्शकों को मैच का मजा भले ही आया हो या ना आया हो,खबरचियों का हौंसला और जज्बा देखकर विपक्षी टीम और मैदान के दर्शक प्रभावित हुए बिना ना रह सके। खबरचियों के लिए यही इस मैच की सबसे बडी उपलब्धि थी। जिला इंतजामिया के सबसे बडे साहब से लगाकर वर्दी वालों के कप्तान तक सब के सब इस हौंसले का सम्मान करते नजर आए।
कब पूरी होगी उम्मीद…..
फूल छाप के नेता लम्बे समय से परेशान है। फूल छाप पार्टी में उपर से लगाकर नीचे तक हर नेता पद मिलने की उम्मीदें लगाए बैठा है,लेकिन उम्मीदें हैैं कि पूरी होने का नाम ही नहीं ले रही है। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति हो गई,लेकिन अध्यक्ष की टीम अब तक पूरी नहीं हो पाई है। सूबे वाली टीम पूरी होगी तब कहीं जाकर जिलों का नम्बर आएगा। जिले के भी हाल यही है। जिले का मुखिया कभी का घोषित हो गया,लेकिन उसकी टींम बन ही नहीं पा रही है। जिले भर के तमाम नेता अपने कुर्ते पायजामों पर कलफ लगाकर बैठे है,लेकिन पार्टी है कि पहनने का मौका ही नहीं दे रही है। यही हाल मण्डलों का भी है। हांलाकि फूल छाप की अंदरुनी जानकारी रखने वालों का कहना है कि बस इंतजार की घडियां समाप्त होने को है। आने वाले दो-ती फ्तों में ही सबकुछ साफ हो जाएगा।