Geeta Jayanti : गीता से सुन्दर कोई गीत नहीं,गीता संसार के धर्मग्रन्थों का मूल है-पंडित मुस्तफा आरिफ ने गीता जयंती पर कहा
रतलाम 26 दिसंबर( ई खबर टुडे)। हृदय तक पहुंचने का सुगम माध्यम गीत है, गीता से सुन्दर कोई गीत नहीं हैं सृष्टि में। जिस गीत की उपादेयता हो वो ही सार्थक है। एक सार्वभौमिक गीत के रूप मे गीता हर हृदय को आंदोलित करती है, इसलिए इसकी रचना पदों में हैं। यहीं समानता है गीता और कुरान में। कुरान भी पदों में हैं और गीता के समान गय और सार्थक संदेश ईश्वर का हम तक पहुँचाता हैं। कर्म ही धर्म है। गीता और कुरान दोनो कर्म प्रधान ग्रंथ हैं। गीता संसार के अनेक धर्मग्रंथों का मूल है। कुरान से पूर्व अवतरित ग्रंथों को कुरान भी मान्यता देता हैं, अपने अनुयायियों से उनको स्वीकार करने की नसीहत देता हैं। संक्षेप में गीता के बिना सब रीता हैं।
गीता जयंती पर डा० शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान रतलाम के समारोह के मुख्य अतिथि के रूप मे बोलते हुए ये विचार कुरान से प्रेरित दस हजार पदों के महागीत ईश्वर प्रेरणा के रचनाकार पंडित मुस्तफा आरिफ ने व्यक्त किये। पंडित मुस्तफा ने कहा कि गीता की सार्वभौमिकता की अवधारणा विश्वव्यापी है और सर्वमान्य हैं। समाज को एकीकृत करने और सबको साथ लेकर चलने का एक सशक्त माध्यम है। कुरान के प्रथम अध्याय अलहम्दो के पहले पद में इस बात को स्वीकार कर कहा गया है कि जो अखिल ब्रह्माण्ड का मालिक है एक ईश्वर ही हैं हम उसकी प्रशंसा करते हैं। संपूर्ण कुरान गीता के समतुल्य ऐसे ही संदेशों से परिपूर्ण है।
पंडित मुस्तफा ने कहा कि बिना साधन के संदेश पहुंचाना संभव नहीं है वो चाहे भगवान श्री कृष्ण के अवतरण के माध्यम से आए या हजरत मोहम्मद साहब स०अ०व० पर कुरान के अवतरण के माध्यम से आए। भगवान श्री कृष्ण ने भी अर्जुन को गीता उपदेश सुनाएं। कुरान का शाब्दिक अर्थ है सुनना, फरिश्ते जिबरईल ने हजरत मोहम्मद साहब को कुरान अल्लाह के संदेश के रूप में सुनाया। संसार की उत्पत्ति में ध्वनि ही प्रमुख हैं और संसार की जननी है। अल्लाह सिर्फ कहता है फयकुन यानि हो जा और बस हो जाता है।
पंडित मुस्तफा ने कहा कि गीता के संदेश के माध्यम से संपूर्ण विश्व को एक करने की जिम्मेदारी, प्रबुद्धजनो की है। हमें गीता जयंती के अवसर पर गीता की अवधारणा को जन जन तक पहुँचा कर वसुदेव कुटुंबकम की स्थापना में भारत को सिरमौर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का संकल्प लेना चाहिए।
संस्था की संचालक डा० शोभना तिवारी ने इस अवसर पर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गीता के उपदेशों की महत्ता और आवश्यकता पर बल दिया। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार कवि श्री ॠषि शर्मा स्नेही ने की। सेवा निवृत्त जन संपर्क अधिकारी मोहन परमार ने भागवत गीता के संबंध में एक प्रेरणादायी आलेख का वाचन किया। अखिल शर्मा स्नेही ने गीता श्लोकों का गायन किया और मंगलाचरण प्रस्तुति किया। राजेश रावल और श्रीमती रश्मि उपाध्याय ने इस अवसर पर अपने विचारों से श्रोताओं का मार्गदर्शन किया। अतिथियों का आभार लक्ष्मण पाठक ने व्यक्त किया।