November 23, 2024

दिल्‍ली हिंसा चार्जशीट: ताहिर हुसैन और कांग्रेस नेता समेत 5 लोगों को 3 महीने में मिले 1.61 करोड़ रुपये

नई दिल्ली,22 सितम्बर (इ खबरटुडे)। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने फरवरी में उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुई हिंसा (Delhi Violence) के सिलसिले में अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है. इसमें पुलिस ने दावा किया है कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन स्थलों का प्रबंधन करने और साम्प्रदायिक हिंसा की साजिश को अंजाम देने के लिये पांच लोगों को कथित तौर पर 1.61 करोड़ रुपये मिले थे. पुलिस ने आरोपपत्र (Charge Sheet) में कहा है कि कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, कार्यकर्ता खालिद सैफी, आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन, जामिया मिल्लिया इस्लामिया एलुमनाई एसोसिएशन अध्यक्ष शिफा उर रहमान (Shifa Ur Rehman) और जामिया के छात्र मीरन हैदर को सीएए के खिलाफ प्रदर्शन स्थलों के प्रबंधन और फरवरी में हुए दिल्ली दंगों की साजिश को अंजाम देने के लिए कथित तौर पर 1.61 करोड़ रुपये मिले थे.

पुलिस ने फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है. आरोपपत्र के मुताबिक, ‘जांच के दौरान यह पता चला है कि 1 दिसंबर 2019 से 26 फरवरी 2020 के दौरान आरोपी इशरत जहां, खालिद सैफी, ताहिर हुसैन, शिफा-उर रहमान और मीरन हैदर को बैंक खाते और नकदी के माध्यम से कुल 1,61,33,703 रुपये मिले थे.’ आरोपपत्र में कहा गया है कि कुल 1.61 करोड़ रुपये में से 1,48,01,186 रुपये नकद निकाले गए और प्रदर्शन स्थलों के प्रबंधन में खर्च किए गए.

राहुल रॉय और सबा दीवान तलब

बता दें कि इससे पहले 14 सितंबर को खबर सामने आई थी कि दिल्ली हिंसा मामले में जेएनयू (JNU) के छात्र नेता उमर खालिद की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस की स्‍पेशल सेल ने लघु फिल्म निर्माता राहुल रॉय और डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार सबा दीवान को दिल्ली हिंसा मामले में तलब किया. आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया था कि दीवान और रॉय को सोमवार को जांच में शामिल होने के लिए कहा गया है. इससे एक दिन पहले हिंसा में कथित भूमिका के लिए पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून के तहत गिरफ्तार किया था. विशेष प्रकोष्ठ ने 11 घंटे की पूछताछ के बाद खालिद को गिरफ्तार किया था. उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून के विरोधियों और समर्थकों के बीच सांप्रदायिक झड़प ने हिंसा का रूप ले लिया था, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी.

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