November 25, 2024

कश्मीर में शांति के लिए हमने कहीं-कहीं ज्यादा पत्थर खा लिए, भरोसा जीतने की कोशिश जारी:सेना अधिकारी

श्रीनगर,18 अगस्त (इ खबर टुडे)।जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों का रुख नागरिकों के प्रति नियंत्रित व रक्षात्मक होने की वजह से जवानों के कानून-व्यवस्था की घटनाओं में घायल होने की संख्या आम लोगों की तुलना में करीब तीन गुना बढ़ी है।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद पत्थरबाजी या अन्य इस तरह की घटनाओं में 76 लोग घायल हुए, जबकि सुरक्षाबलों के करीब 200 जवान जख्मी हुए। इस साल करीब 131 जवान घायल हुए हैं। हालांकि आतंकी घटनाओं के खिलाफ सुरक्षाबलों की आक्रमकता बरकरार है और आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में सुरक्षाबलों के हताहत होने की संख्या भी घटी है।

सुरक्षाबल से जुड़े आला अधिकारी ने मीडिया को बताया कि इस साल कोई भी नागरिक नहीं मारा गया। अधिकारी के मुताबिक आम लोगों के प्रति सहानुभूति और नियंत्रित तरीक़े से कार्रवाई की वजह से सुरक्षाबल के जवान ज्यादा घायल हुए। सुरक्षाबलों की पूरी कोशिश रही कि कहीं भी गोली न चलानी पड़े। अधिकारी ने कहा शांति के लिए हमने कहीं-कहीं ज्यादा पत्थर खा लिए, लेकिन आमलोगों के प्रति सुरक्षाबलों का रवैया रक्षात्मक रहा।

हिंसा की घटनाएं कम: अधिकारी के मुताबिक हिंसा की घटनाओं की तुलना अगर वुरहान वानी की मौत के बाद हुई घटनाओं से करें तो अब बहुत कम हैं। वानी की मौत के बाद करीब 2600 घटनाएं हुई थीं और तीन हजार के करीब सुरक्षाबल के जवान जख्मी हुए थे। कानून-व्यवस्था की घटनाएं अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद घटकर 1100 रह गईं। इनमें हिंसा की घटनाएं 196 के आसपास हुई।

आतंकियों के 35 से ज्यादा कमांडर मारे: दूसरी तरफ आतंकियो के खिलाफ ऑपरेशन में 35 से ज्यादा कमांडरों सहित 155 के आसपास आतंकियों को ढेर कर दिया गया।
ज्यादातर आतंकी संगठन नेतृत्वविहीन हो गए।

पाक की हरकत से हमले: पिछले कुछ दिनों में अचानक आतंकी हमलों में तेजी के पीछे पाकिस्तान का हाथ माना जा रहा है। सुरक्षाबलों से जुड़े सूत्र मानते हैं कि ये रुझान लंबा नहीं चलेगा क्योंकि सुरक्षा बल डॉमिनेट करने की स्थिति में हैं। सुरक्षा बल की कोशिश है कि आतंकियो के खिलाफ ऑपरेशन साफ सुथरे हों और आम लोग इससे प्रभावित न हों।

सुरक्षाबलों का अभियान असरदार: सुरक्षाबल के करीब 76 जवानों की मौत पिछले साल सात-आठ महीनों में हुई थी। इस साल ये 40 के करीब है। सुरक्षाबलों का अभियान ज्यादा कारगर हो रहा है।

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