November 25, 2024

महाकाल टनल निर्माण में 45 लाख का ‘लोचा’

उपयंत्री भार्गव पर प्राथमिकी दर्ज
लोकायुक्त जांच शुरु, प्रभारी अधीक्षण यंत्री और प्रोजेक्ट इंजीनियर ने अवैध भुगतान करवाया

उज्जैन,23 जुलाई (इ खबर टुडे )। भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर के लिये निर्मित की जा रही टनल में नगर निगम के अधीक्षण यंत्री और प्रोजेक्ट इंजीनियर ने निर्माण एजेंसी के साथ मिलकर 45 लाख रुपये का लोचा कर दिया है। समाचार पत्रों के आधार पर संज्ञान लेते हुए लोकायुक्त पुलिस ने इसकी रिपोर्ट भोपाल भेजी थी। प्रथमदृष्टया मामला पद के दुरुपयोग का सामने आने पर प्राथमिक जांच पंजीबध्द करके जांच लोकायुक्त उज्जैन को भेजी गई है। लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव को यह जांच सौंपी गई है।
नगर पालिक निगम एम.आई.सी. के ठहराव प्रस्ताव अनुसार जेएनएनयूआरएम में महाकाल वन प्रोजेक्ट के लिये 47.39 करोड़ स्वीकृत हुए हैं। श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शनार्थियों की सुविधा के लिये महाकाल चौक के टेंडर में मंदिर प्रवेश के लिये कारीडोर 80 लाख रुपये में बनवाया जाना निश्चित किया गया था। इस कारीडोर को आंतरिक टनल का मार्ग देकर मात्र 2012 में निर्माण प्रारंभ किया गया था। एमआईसी के ठहराव क्र. 43 दिनांक 18.1.2011 से मेसर्स सीएमएम इन्फ्रा इंदौर की महाकाल वन की निविदा की स्वीकृति सशर्त जारी की गई थी, जिसमें टेण्डर डाक्यूमेंट में बताये गये कार्य में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा। डाक्यूमेंटल स्कोप अनुसार रुपये 23 करोड़ 74 लाख 49 हजार 483 में पूर्ण करायेंगे तथा टेण्डर डाक्यूमेंट में बताये कार्य में बढ़ोत्तरी होने पर ठेकेदार द्वारा इसके लिये किसी अतिरिक्त राशि की मांग नहीं की जायेगी।

सभी निर्देशों का उल्लंघन

महाकाल वन प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान एमआईसी के उपरोक्त सभी निर्देशों का उल्लंघन होना पाया गया। उपयंत्री ने ठेकेदार से सांठगांठ कर उसे अवैध आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिये पद का दुरुपयोग कर टनल निर्माण में जो दीवार की कटिंग में मार्जिन नहीं छोड़ा गया, दीवार बनाने के तत्काल बाद ही दीवार और मंदिर की ओर खोदी गई मिट्टी के बीच भराव कार्य प्रारंभ कर दिया गया।

हादसे में महिला की मौत

दीवार की ईंट और सीमेंट गीली होने से 26 जून 2012 को पहली बारिश में ही टनल की एक दीवार भी गिर गई, जिसके मलबे में गिरकर महिला श्रमिक श्रीमती रेखा निवासी जयसिंहपुरा उौन की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। महिला श्रमिक देवबाई निवासी जयसिंहपुरा गंभीर घायल हो गई।

आपत्ति के बावजूद भुगतान

लोकायुक्त की जांच में यह बात भी सामने आई कि तत्कालीन नगर निगम आयुक्त के पत्र क्र. 2030 दिनांक 28 सितंबर 2011 से लिखित आपत्ति लेने के बावजूद भी निगम के इंजीनियरों प्रभारी अधीक्षण यंत्री तथा प्रभारी प्रोजेक्ट इंजीनियर ने स्वयं के स्तर पर स्वीकृत डीपीआर और टेण्डर में अनाधिकृत बदलाव किया। सीमेंट-कांक्रीट रोड भी निर्माण कर ठेकेदार को अनुबंध के विरुध्द लगभग 45 लाख का अवैध भुगतान करवा दिया। वर्तमान में कार्य भी यथास्थिति अधूरा बंद है।

मजिस्ट्रीयल जांच में दोषी पाये गये

टनल निर्माण में डीपीआर, टेण्डर डाक्यूमेंट एवं निविदा की शर्तों के विपरीत बिना स्वीकृति के अतिरिक्त निर्माण कार्य करवाये जाने पर महिला श्रमिक की मृत्यु होने पर मामले की मजिस्ट्रीयल जांच की गई थी। इसमें उपयंत्री पीयूष भार्गव के साथ कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री एवं योजना ठेकेदार को स्पष्ट रुप से दोषी पाया गया था।

इनके खिलाफ प्राथमिक जाँच पंजीबध्द

लोकायुक्त मुख्यालय में नगर पालिक निगम उज्जैन के उपयंत्री पीयूष भार्गव के साथ अन्य अधिकारी-कर्मचारियों के विरुध्द प्रथमदृष्टया मामला पद के दुरुपयोग का सामने आने से प्राथमिक जांच पंजीबध्द की गई है।

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