November 23, 2024

लॉक डाउन समाप्ति के बाद भी पान मसालों की धडल्ले से कालाबाजारी,प्रशासन की अनदेखी से होलसेलरों ने किए लाखों के वारे न्यारे,छोटे दुकानदार परेशान

रतलाम,25 मई (इ खबरटुडे)। दो महीने से अधिक समय तक चले कम्प्लीट लॉक डाउन में हर व्यवसायी को नुकसान उठाना पडा है,लेकिन पान मसाला बीडी सिगरेट के थोक व्यवसाईयों के लिए लॉक डाउन वरदान बन कर आया। पान मसाला के थोक व्यवसाईयों ने जहां कम्प्लीट लॉक डाउन में धडल्ले से ब्लेक करके लाखों कमाए वहीं दुकानें खुल जाने के बाद भी प्रशासन की अनदेखी के चलते पानमसालों की कालाबाजारी धडल्ले से जारी है। इस पूरे दौर में पान गुटके के छोटे दुकानदारों की हालत खराब हो रही है। कई दुकानदार तो दुकानें तक नहीं खोल पा रहे हैैं।

कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते मार्च के महीने में पूरे देश में लॉक डाउन कर दिया गया था। यह कम्प्लीट लॉक डाउन दो महीने से अधिक समय तक चला। कम्प्लीट लॉक डाउन के इस दौर में किराना और मेडीकल व्यवसाईयों का कारोबार तो चलता रहा,लेकिन इसके अलावा अन्य प्रत्येक तरह की व्यावसायिक गतिविधियां बन्द हो गई थी। यही दौर पान मसालों,और बीडी सिगरेट के थोक व्यवसाईयों के लिए जबर्दस्त फायदे का समय साबित हुआ। पानमसालों के थोक व्यवसाईयों ने लाक डाउन का समय बढते जाने का जमकर फायदा उठाया और पान मसालों की थोक की कीमत को चार गुने तक पंहुचा दिया।
बाजार के जानकार सूत्रों के मुताबिक विमल,पान पराग और कमला पसन्द जैसे पान मसालों के पाउच थोक में जहां चार गुना कीमत पर बेचे गए,वहीं रिटेल में दुकानदारों ने इसकी पांच और छ: गुना तक कीमतें वसूली। बाजार के सूत्रों के मुताबिक विमल पान मसाले की बोरी की कीमत पच्चीस हजार रु. की है,लेकिन लाक डाउन के दौरान इसके डीलर ने एक बोरी के लिए एक लाख रु. तक वसूले। सादी तंबाकू और सुपारी जैसी वस्तुएं भी थोक में चार गुना अधिक दामों पर बेची गई। सामान्य दिनों में एक सौ तीस रु. किलो के भाव वाली सादी पत्ती(तंबाकू) आठ सौ से नौ सौ रु. किलो तक बेची गई। इसी तरह साढे तीन सौ रु. किलो के भाव वाली सुपारी लाक डाउन के दौरान डेढ हजार रु.किलो तक बेची गई।
बाजार के जानकार सूत्रों के मुताबिक लॉक डाउन के दो महीनों में पान मसालों और बीडी सिगरेट के थोक व्यवसाईयों ने पूरे साल की कमाई कर डाली।

अब भी हो रहा है ब्लैक

लॉक डाउन 4.0 में व्यावसायकि गतिविधियों को शुरु कर दिए जाने के बाद उम्मीद थी कि पान मसालों और बीडी सिगरेट आदि की कालाबाजारी बन्द हो जाएगी,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पानमसालों के व्यवसाय से जुडे सूत्रों के मुताबिक थोक व्यवसाईयों को लॉक डाउन के दौरान कालाबाजारी से जो भरपूर कमाई हुई,उसका लालच अब तक समाप्त नहीं हुआ है। पान दुकानों के खुलने के बावजूद थोक व्यवसायी तमाम तरह के पान मसालों और बीडी आदि की जमकर कालाबाजारी कर रहे है। बाजार के सूत्रों के मुताबिक लॉक डाउन में ढील दिए जाने के बाद से सभी प्रकार की वस्तुओं की सप्लाय सुचारु ढंग से शुरु हो गई है और माल की कहीं कोई कमी नहीं है,लेकिन थोक व्यवसायी सारा माल दबा कर बैठे है और बेहिचक कालाबाजारी कर रहे है।
लॉक डाउन में दी गई ढील के बाद उम्मीद ये की जा रही थी कि दुकानें चालू हो जाने के बाद थोक व्यवसायी दुकानों से ब्लैक नहीं कर पाएंगे,लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते अधिकांश थोक व्यवसायी अपनी दुकानों से ही ब्लैक कर रहे हैैं।

चार गुना कीमत वसूल रहे है थोक व्यवसायी

पान दुकान संचालकों का कहना है कि सभी प्रकार के पान मसालों और बीडी आदि की सप्लाय सामान्य हो चुकी है,लेकिन थोक व्यवसायी कीमतें कम करने को राजी नहीं है। इंदौरी तंबाकू आठ रु. की बजाय 60 रु. में,विनायक बीडी का पुडा 155 रु. की बजाय 250 रु. में,विमल का पुडा 125 रु. की बजाय 250 रु. में और पान बहार 140 रु. की बजाय 300 रु. में दुकानदारों को बेचा जा रहा है। दुकानदारों के मुताबिक सिगरेट का ब्लैक नहीं हो रहा है,लेकिन गरीबों की पसन्द बीडी दुगुने भावों में बेची जा रही है। तीस नम्बर बीडी का साढे तीन सौ रु. में बिकने वाला पुडा सात सौ रु.में बेचा जा रहा है। इसमें केवल एक पानमसाला अपवाद है। रजनीगंधा नामक पान मसाला ज्यादा उंची कीमत पर नहीं बेचा जा रहा है। दुकानदारों के मुताबिक रजनीगंधा पान मसाला बारिश के दिनों में लाल हो जाता है,इसलिए डीलर की कोशिश है कि बारिश के पहले ज्यादा से ज्यादा माल बाजार में पंहुचा दिया जाए। सिगरेट और रजनीगंधा के अलावा अन्य सभी आइटम दुगुने या तीगुने दामों पर बेचे जा रहे है। इसका खामियाजा छोटे व्यवसाईयों को भुगतना पड रहा है। कई छोटे व्यवसायी तो अपनी दुकान ही नहीं खोल पा रहे हैैं। उनका कहना है कि बढे हुए भाïव के लिए ग्र्राहक तो छोटे दुकानदार को ही जिम्मेदार समझता है। इससे ग्र्राहकी बिगडने का भी खतरा है और शिकायत होने का डर भी है। नियमानुसार कोई भी पैक वस्तु मुद्रित कीमत से अधिक कीमत पर नहीं बेची जा सकती। लेकिन थोक व्यवसाईयों को इसका कोई डर नहीं है,क्योंकि प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

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