November 6, 2024

स्कूली बच्चों की जान खतरे में

बिना परमिट फिटनेस के दौड रही निजी स्कूलों की बसें

रतलाम,24 जून(इ खबरटुडे)। विभिन्न सुविधाओं और अच्छी पढाई के नाम पर अभिभावकों से हजारों रुपए की मोटी फीस वसूलने वाले तथाकथित निजी स्कूलों के बच्चों की जान खतरे में है। अपने निजी स्कूलों को  पब्लिक स्कूल और इन्टरनेशनल स्कूल बताने वाले संचालकों द्वारा स्कूल बसों के लिए बनाए गए नियमों और उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को ताक पर रखकर बसें चलवाई जा रही है। अनेक निजी स्कूलों की बसें बिना परमिट और फिटनेस के चल रही है। शहर में संचालित निजी कालेज भी इस मामले में पीछे नहीं है। यह तथ्य परिवहन विभाग व अन्य जिम्मेदार विभागों की  जानकारी में होने के बावजूद स्कूल संचालकों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती।
स्कूल बसों के बिना परमिट,फिटनेस के चलने का मामला एक जागरुक अभिभावक द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई एक जानकारी से उजागर हुआ। इन्द्रानगर निवासी एरिक जोसफ लम्बे समय से निजी स्कूलों द्वारा की जा रही धांधलियों के खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं। पिछले दिनों श्री जोसफ ने सीबीएसई के तहत रजिस्टर्ड रतलाम पब्लिक स्कूल और देहली पब्लिक स्कूल में चल रही बसों के सम्बन्ध में परिवहन विभाग से सूचना के अधिकार के तहत जानकारियां मांगी थी। जब परिवहन विभाग से वांछित जानकारियां प्राप्त हुई तो उनकी आंखे खुली रह गई। इन निजी स्कूलों द्वारा छात्रों से हजारों रुपए वसूल कर चलाई जा रही बसों का हजारों रुपए का टैक्स बकाया है। इतना ही नहीं वाहनों के परमिट और फिटनेस भी नहीं है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस गाडी को फिटनेस नहीं मिली है,वह कितनी खतरनाक हो सकती है। बिना फिटनेस के वाहन में सफर करना जान को खतरे में डालने के समान है।
श्री जोसफ द्वारा रतलाम पब्लिक स्कूल के चार वाहनों के सम्बन्ध में पूछे गए प्रश्न पर परिवहन विभाग ने जो जानकारी दी उसके अनुसार तीन वाहनों पर करीब साठ हजार रुपए का टैक्स बकाया है,जबकि एक वाहन तो चलने से ही अयोग्य है। इसी तरह देहली पब्लिक स्कूल के दो वाहनों का रोड टैक्स वर्ष २०१२ तक का ही भरा गया है। २०१२ के बाद से ये वाहन बिना कर चुकाए ही चल रहे है।
इससे भी ज्यादा सनसनीखेज जानकारी रतलाम पब्लिक स्कूल के नाम से संचालित तीन वाहनों की है। आरटीओ कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक रतलाम पब्लिक स्कूल के तीनों वाहनों को परमिट ही जारी नहीं किया गया है। इतना ही नहीं इन तीन वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र भी नहीं दिया गया है।  तीनों ही वाहनों पर हजारों रुपए का कर भी बकाया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि सूचना के अधिकार के तहत  यह जानकारी आवेदक को देने के बाद भी परिवहन विभाग द्वारा उक्त स्कूल वाहनों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई,जिनके बारे में स्वयं परिवहन विभाग को यह पता है कि ये वाहन बिना परमिट और फिटनेस के सड़क पर दौड रहे है।
उल्लेखनीय है कि रतलाम पब्लिक स्कूल और देहली पब्लिक स्कूल तो मात्र उदाहरण है। शहर में दर्जनों निजी स्कूल संचालित है,जो सुविधाओं और अच्छी पढाई के नाम पर अभिभावकों से हजारों रुपए वसूल रहे है। इतना ही नहीं वाहन सुविधा का शुल्क अलग से वसूला जाता है और यह भी हजारों में होता है। इसके बावजूद स्कूल संचालक नियमों का पालन करने में बच्चों की सुरक्षा के मामले में कोई रुचि नहीं लेते। उनका एकमात्र लक्ष्य अधिक से अधिक धन कमाना होता है,बसों में यात्रा कर रहे बच्चों की सुरक्षा से उन्हे कोई लेना देना नहीं है।
यही कहानी शहर में संचालित निजी कालेजों की भी है। शहर में अनेक निजी प्रोफेशनल कालेज है,जो अच्छे प्लेसमेन्ट और उच्चस्तरीय शिक्षा के बडे बडे दावे करते है। लेकिन इन कालेजों में भी हर स्तर पर गडबडियां है। निजी कालेजों के वाहनों की भी यही कहानी है। यदि परिवहन विभाग जांच करें तो पता चलेगा कि अधिकांश वाहन बिना परमिट और फिटनेस के चल रहे है। जानकार सूत्रों का कहना है कि अधिकांश स्कूल और कालेज संचालक अन्य शहरों से कण्डम हो चुके वाहनों को नए सिरे से रंग रोगन कर उनका उपयोग कर रहे है। इन वाहनों को परिवहन विभाग द्वारा पहले ही कण्डम घोषित किया जा चुका है,इसलिए इनका परमिट और फिटनेस भी जारी नहीं किया जा सकता। कण्डम वाहनों के विरुध्द कार्यवाही नहीं करने की एवज में परिवहन विभाग को प्रतिमाह मोटी रकम हासिल हो जाती है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds

Patel Motors

Demo Description


Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds