राग रतलामी/फूल छाप और पंजा पार्टी,दोनो के नेता दिक्कत में,इधर उमर और उधर असर का लफडा
-तुषार कोठारी
रतलाम। फूल छाप और पंजा पार्टी,दोनो में जिला सम्हालने वाले नेता इन दिनों दिक्कत में है। फूल छाप पार्टी के ठाकुर सा की उम्र को लेकर खींचतान मची है,तो पंजा पार्टी के नेता का असर ही नहीं है। उनको,उनके नीचे वाले,नेता मानने को तैयार नहीं है। कहने को तो वे ग्रामीण जिले के नेता है,लेकिन ब्लाक वाले उन्हे अपने ब्लाकों में घुसने ही नहीं देते।
फूल छाप वाले ठाकुर सा बडे खुश थे,कि उनको दोबारा से जिम्मेदारी मिल गई। लेकिन उनकी कुर्सी पर नजरें गडाए बैठे नेताओं पर तो जैसे बिजली गिर पडी है। फूल छाप पार्टी ने पचास साल का फार्मूला लागू कर रखा है। ठाकुर सा. इस लिमिट से बाहर निकल चुके है। उनकी दोबारा ताजपोशी से गुस्साए दूसरे दावेदारों ने उनकी पूरी जन्मकुंडली ढूंढ निकाली। भाई लोग कक्षा आठवीं का परीक्षा पत्रक ही ढूंढ लाए। इस में ठाकुर सा. की उम्र 57 की दिखाई दे रही है। ये जानकारी भाई लोगों ने उपर तक भिजवा दी,ताकि पार्टी वाले अपनी गलती को दुरुस्त कर सके। जैसे ही ठाकुर सा.को पता चला कि उनका परीक्षा पत्रक लोगों के मोबाइल फोन्स में घूम रहा है,उन्होने फौरन अपना आधार,ड्राइविंग लायसेंस,पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज लोगों के मोबाईलों में पंहुचा दिए। इन सारे दस्तावेजों में उनकी उम्र 52 ही नजर आ रही है। फूल छाप पार्टी का फार्मूला ये था कि उम्र पचास की ही होना चाहिए,विशेष परिस्थिति में इसे पचपन तक बढाया जा सकता है,लेकिन पचपन से आगे किसी कीमत पर नहीं बढाया जाएगा। भाई लोग कहते फिर रहे है कि पार्टी ने खुद ही अपना फार्मूला रिजेक्ट कर दिया और पचपन की बजाय सत्तावन वाले ठाकुर सा. को कमान दे दी। ठाकुर सा कह रहे है कि वो तो सिर्फ 52 के ही है। इस लिहाज से फार्मूले के भीतर ही है। भाई लोगों की नजर में जब 52 वाले दस्तावेज आए,तो उनका माथा ठनका। उन्हे लगता है कि इन दस्तावेजों में कुछ ना कुछ गडबड जरुर है,वरना बावन और सत्तावन में काफी फर्क होता है। वे तो यह भी कह रहे है कि अगर सचमुच की जांच हो जाए तो मामला गंभीर हो सकता है।
फूल छाप वाले ठाकुर सा उम्र को लेकर परेशान है तो पंजा पार्टी में ग्रामीण जिले को सम्हालने वाले नजदीकी गांव के युवा नेता अपने नीचे वाले नेताओं से परेशान है। कहने को तो वे पूरे ग्रामीण जिले के नेता है,लेकिन जिले के कई ब्लाकों के नेता उन्हे नेता मानने को ही तैयार नहीं है। पंजा पार्टी के चुने हुए माननीयों पर उनका कोई असर नहीं है। जावरा हो या आलोट वहां के ब्लाक के नेताओं ने इनको साफ बता दिया है कि आपकी कोई जरुरत नहीं है। हम आपको नेता नहीं मानते। हम हमारे हिसाब से काम कर लेंगे। एक ब्लाक के नेता तो सोशल मीडीया पर लागातार उनके खिलाफ लिखे जा रहे है। बेचारे जिलाध्यक्ष ये सबकुछ होते हुए देख रहे है,लेकिन कर कुछ नहीं सकते।
जमीन जादूगरों का नया कारनामा
जमीन २जादूगरों की जादूगरी के बडे बडे किस्से पिछले हफ्ते उजागर हुए थे और वर्दी वालों ने इन मामलों में रिपोर्टे भी दर्ज कर ली थी। लेकिन इन दिनों फिजाओं में एक नया मामला गूंज रहा है। हांलाकि पुलिस ने अब तक इसमें रिपोर्ट दर्ज नहीं की है। ये भी वैसा ही मामला है,जिसमें प्लाट बेचने का वादा कर रुपए ले लिए गए,लेकिन रजिस्ट्री कराने के समय टालमटोल शुरु हो गई। खरीददार भी कमजोर नहीं है,सो उसने वर्दी वालों के सामने गुहार लगा दी। शिकायत फिलहाल जांच में है। इसमें आगे कब क्या होगा? इसे ना तो कोई जानता है और ना बताने को राजी है। राजीनामा भी हो सकता है या फिर धोखाधडी के मामलों में एक इजाफा भी हो सकता है। आगे आगे देखिए क्या होता है?
तबादलों का रेकार्ड
वर्दी वाले महकमे के बडे साहब,शायद तबादलों का रेकार्ड बनाना चाहते है। कोई हफ्ता ऐसा नहीं गुजरता,जब थानों के बडे दारोगा इधर से उधर न किए जाते हो। जब सूबे में पंजा पार्टी की सरकार का कब्जा हुआ तो पूरे प्रदेश में यही हो रहा था। इधर उधर करने का सिलसिला वहां से थोडा रुका तो यहां चालू हो गया। दारोगा बेचारे थाने को समझने की कोशिश ही करते रह जाते है कि उन्हे अगले थाने पर जाने का आर्डर मिल जाता है। देखने वाले हैरान है कि इस महकमें में आखिर हो क्या रहा है? चोर भी नया रेकार्ड बनाने की जुगत में लगे है। कोई दिन नहीं छोडते,जब अखबारों में उनकी खबर ना छपे। इधर वर्दी वाले बेचारे इधर से उधर होने की चिंता में ही परेशान रहते है। इसी परेशानी में वो चोरों पर ध्यान ही नहीं दे पा रहे हैं।