राग रतलामी/ फूल छाप पार्टी में उम्र की लिमिट से कहीं खुशी कही गम,कई दावेदारों की दावेदारी खत्म की बढी हुई उम्र ने
-तुषार कोठारी
रतलाम। इन दिनों फूल छाप वाले अपने उपर वाले नेताओं से बडे नाराज है। फूल छाप वालों ने पार्टी में बुजुर्गों को टाटा बाय बाय करने के लिए नए नियम बना दिए है। फूल छाप में अध्यक्ष के पदों के लिए उम्र की सीमाएं लागू कर दी गई है। मण्डल अध्यक्ष के लिए पैंतीस साल और जिला अध्यक्ष के लिए पचास साल की लिमिट तय कर दी। इधर फूल छाप पार्टी में मंडल अध्यक्ष के पदों पर कब्जा जमाने की फिराक में बैठे वो सारे लोग मन मसोस कर रहे गए,जिनकी उम्र ज्यादा हो गई थी। इनके आका भी परेशान हो गए। अब उन्हे ऐसे प_े नजर नहीं आ रहे थे,जिन्हे पद दिलवाए जा सके। नए फार्मूले के हिसाब से नए प_ों की खोज जारी हो गई। जिले के तेईस में से तेरह मंडलों पर तो जैसे तैसे नियुक्तियां हो गई,लेकिन दस मंडलों के अध्यक्षों की घोषणा उपर वालों ने रोक दी। दिक्कत वही थी उम्र वाली। यहां के नेताओं ने सोचा था कि दो-चार उपर नीचे तो चल ही जाएगा,लेकिन उपर वाले नहीं माने। उन्होने साफ कह दिया,पैंतीस याने पैंतीस। पूरे सूबे में ऐसे दो सौ मंडल है। अब वो सारे लोग जो लम्बे समय से पद हथियाने की ताक में बैठे थे और नए फार्मूले के चक्कर में उनकी दावेदारी खत्म हो गई। उपर वालों को पानी पी पी कर कोस रहे हैं। उन्हे लग रहा है कि उनकी तो पूरी जिन्दगी ही बेकार हो गई। राजनीति में आए,कई बरस तक एडियां रगडी और जब ऐसा लगा कि अब और कुछ नहीं तो कम से कम मंडल अध्यक्ष का पद तो उनके हाथ लग ही जाएगा। उसी वक्त पार्टी ने उम्र का लफडा डाल दिया। उम्र के ही चक्कर ने फूल छाप के जिलाध्यक्ष वाले मामले को भी उलझा दिया है। पहले जिनके भी नाम चर्चाओं में थे,वो सब पचास से काफी ज्यादा थे। लेकिन अब उपर वालों ने पचास साल की लिमिट मुकर्रर कर दी है,इसलिए कम उम्र वालों की मौज हो गई है। बडी उम्र वाले बडे नेताओं को कोस रहे है,तो कम उम्र वाले पार्टी से खुश है कि कम से कम उन्हे मौका तो मिलेगा। फूल छाप पार्टी के हाईकमान ने यह भी तय कर दिया है कि जहां भी पचास प्रतिशत मंडलों की नियुक्तियां हो गई है,वहां जिलाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया चालू रहेगी। बचे हुए मंडलों की नियुक्तियां जिलाध्यक्ष के चुनाव के बाद कर दी जाएगी। जिले के जो बचे हुए दस मंडल है,उनका निराकरण अब जिलाध्यक्ष के चुनाव के बाद होगा। फूल छाप पार्टी में अब उन नेताओं की खोज की जा रही है,जो पचास साल की उम्र के हो और जिन्हे जिलाध्यक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। फूल छाप के बडे नेता अब इसी जोड घटाव में लगे है कि जिलाध्यक्ष किसे बनाया जाए?
सैलाना में डूबी फूल छाप की लुटिया
फूल छाप पार्टी में अंदर अंदर कई सारी गडबडियां चल रही है। गुटबाजी की खींचतान के चलते एक दूसरे को निपटाने का खेल भी चल रहा है। सैलाना में नगर परिषद पर पंजा छाप का कब्जा है,लेकिन उपाध्यक्ष पद फूल छाप के कब्जे में आ गया था। फूल छाप के उपाध्यक्ष अनुकूल को निपटाने के चक्कर में पंजा पार्टी तो थी ही,इस मुहिम में फूल छाप वाले पार्षद भी शामिल हो गए। पंजा पार्टी ने अनुकूल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की,तो इसमें फूल छाप वाले भी शामिल हो गए और पंजा पार्टी वालों के साथ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने पंहुच गए। यह बात अनुकूल को खटक गई,तो उन्होने फूल छाप के बडे नेताओं को इस बात की शिकायत की। लेकिन फूल छाप के लुनेरा वाले दरबार ने इस पर कोई ध्यान ही नहीं दिया। प्रतिकूलताओं से परेशान अनुकूल ने थक हार कर इस्तीफा ही भेज दिया। पहले तो सूबे में फूल छाप वालों की सरकार थी,लेकिन अब सरकार पंजा पार्टी के हाथ में है। इधर अनुकूल ने इस्तीफा भेजा और उधर जिले की बडी मैडम ने फौरन उसे स्वीकार भी कर लिया। फूल छाप के दरबार अनुकूल को समझाने भी गए,लेकिन उन्होने एक ना मानी। फूल छाप के नेता देखते रह गए और सैलाना नगर परिषद में भाजपा की लुटिया डूब गई।
कालेज जाने का मौका….
पंजा पार्टी कमाल की पार्टी है। सूबे में पंजा पार्टी की सरकार है इसलिए नए नए कमाल देखने को मिल रहे है। ये पंजा पार्टी का ही कमाल है कि जिसने कभी कालेज का मुंह भी नहीं देखा,उसे कालेज की जनभागीदारी समिति की जिम्मेदारी दे दी जाती है। वैसे नहीं तो,ऐसे ही सही,कालेज जाने का मौका तो मिल गया। शहर के पढने लिखने वाले लोग इस बात को मजे ले लेकर सुना रहे है।