December 26, 2024

10 दिन में सुप्रीम कोर्ट से 4 बड़े मामलों पर आएगा फैसला, बदल सकती है देश की तस्वीर

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नई दिल्ली,02 नवंबर(इ खबर टुडे )। अगले 10 दिन भारत की सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से बड़े महत्वपूर्ण हैं। 4 नवंबर से अगले 10 दिनों में सुप्रीम कोर्ट चार बड़े मामलों की सुनवाई करने वाला है। इसमें जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच अयोध्या भूमि विवाद समेत अन्य मामलों पर सुनवाई करेगी। इसके अलावा सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश, चीफ जस्टिस ऑफिस को आरटीआई के तहत लाना और राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद-फरोख्त में सरकार को क्लीन चिट देने संबंधी मामलों पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा।

1934 में भी क्षतिग्रस्त किए गए थे गुंबद
साल 1934 में अयोध्या में एक सांप्रदायिक दंगे ने बाबरी मस्जिद के तीन गुंबदों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके बाद शहर में रहने वाले हिंदुओं पर जुर्माने से अंग्रेजों ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। 22 दिसंबर, 1949 की आधी रात को रामलला मूर्ति को केंद्रीय गुंबद में रखने के बाद विवादित ढांचे पर मुकदमेबाजी साल 1950 में शुरू हुई। हिंदू भक्त गोपाल सिंह विशारद ने 1950 में एक मुकदमा दायर किया, जिसमें गुंबद में ही रामलला की पूजा करने का अधिकार मांगा गया।

रामलला ने भी दायर किया मुकदमा
निर्मोही अखाड़े ने रामलला के जन्मस्थान पर पूजा करने के अधिकारों को लेकर 1959 में मुकदमा दायर किया जिसके दो साल बाद 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी मुकदमा दायर कर दिया। फिर रामलला की ओर से 1989 में जन्मभूमि पर मालिकाना हक का दावा करने वाला मुकदमा हाईकोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश ने उनका निकट मित्र बनकर दाखिल किया था जो मस्जिद को गिराने से तीन साल पहले किया था।

सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का मामला
चीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने 6 फरवरी को 65 याचिकाओं पर अपने फैसले को सुरक्षित रखा था, जिसमें न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले की समीक्षा करने संबंधित 57 याचिकाएं शामिल हैं। कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी जिस पर याचिकाएं दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि चूंकि सबरीमाला में भगवान अयप्पा एक ब्रह्मचारी थे, इसलिए अदालत को 10-50 साल के मासिक धर्म में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

RTI के तहत CJI ऑफिस पर भी फैसला
सीजेआई ऑफिस को आरटीआई के तहत लाने की अनुमति देने पर गोगोई की अध्यक्षता वाली एक अन्य पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 4 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। वहीं, फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद संबंधित मामले में एनडीए सरकार को क्लीन चिट पिछले साल दी गई, लेकिन इस फैसले को चुनौती देते हुए समीक्षा याचिका दायर की गईं जिस पर सीजेआई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच के निर्णय का इंतजार है।

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