गलत तरीके से अग्रिम जमानत का लाभ देने के मामले में बलात्कार पीडीता ने की तीन न्यायाधीशों की शिकायत
रतलाम,1 अगस्त(इ खबरटुडे)। बलात्कार के एक आरोपी को न्यायालय का कर्मचारी होने की वजह से गलत तरीके अग्रिम जमानत का लाभ दे दिया गया। इस मामले में बलात्कार पीडीता ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति को जिला न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की शिकायत की है। अपनी शिकायत में बलात्कार पीडीता ने मांग की है कि गलत तरीके से अग्रिम जमानत का लाभ देने वाले दोषी न्यायाधीशों के विरुध्द कडी कार्यवाही की जाए।
मुख्य न्यायाधिपति को भेजी अपनी शिकायत में बलात्कार पीडीता ने कहा है कि आरोपी ईश्वर पिता राधूलाल गरवाल नि.रावटी ने विवाहित होते हुए फरियादिया को यह विश्वास दिलाया कि वह अविवाहित है और स्वयं को अविवाहित बताकर उसने फरियादिया से विवाह करने का वादा किया और फरियादिया को पत्नी के रुप में रखकर उससे कई बार शारीरिक संबंध बनाए। इसके फलस्वरुप फरियादिया ने एक पुत्री को भी जन्म दे दिया। फरियादिया लगातार आरोपी से विवाह करने की बात कहती रही,लेकिन आरोपी उसे टालता रहा। बाद में फरियादिया को पता चला कि आरोपी ईश्वर तो पूर्व से ही विवाहित है। इसके बाद आरोपी फरियादिया को प्रताडित करने लगा और जान से मारने की धमकियां देने लगा। आरोपी ईश्वर ने फरियादिया को धमकी दी कि वह न्यायालय में काम करता है इसलिए कोई भी न्यायाधीश या पुलिस अधिकारी उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करेगा।
इससे डर कर फरियादिया अपनी बेटी को लेकर अपने घर रावटी चली गई। फरियदिया ने रावटी थाने पर पंहुचकर आरोपी के कृत्य की रिपोर्ट दर्ज करवाई। रावटी पुलिस थाने पर आरोपी के विरुध्द धारा ३६६,३७६,४२० और ३२३ भादवि के तहत मामला पंजीबध्द किया गया।
फरियादिया ने अपनी शिकायत में कहा है कि आरोपी के न्यायालयकर्मी होने की वजह से पुलिस अधिकारी उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है और आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट भी बडी मुश्किल से लिखी गई थी। आरोपी के विरुध्द जिन गंभीर धाराओं में मामला दर्ज है,उसमें पुलिस फौरन आरोपी को गिरफ्तार कर लेती है,लेकिन ईश्वरलाल के न्यायालयकर्मी होने के कारण पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया।
फरियादिया ने शिकायत में बताया कि जैसे ही आरोपी को उसके विरुध्द रिपोर्ट दर्ज होने की जानकारी मिली,उसके द्वारा विगत 17 जुलाई को जिला न्यायालय के एक अपर सत्र न्यायाधीश के समक्ष अग्रिम जमानत का आवेदन प्रस्तुत किया गया। चूंकि आरोपी जिला न्यायालय के एक न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में पदस्थ है इसलिए उक्त न्यायाधीश के प्रभाव में अपर सत्र न्यायाधीश ने 23 जुलाई को आरोपी का अग्रिम जमानत आवेदन स्वीकार करते हुए उसे अग्रिम जमानत दे दी ।
फरियादिया का कहना है कि उक्त अग्रिम जमानत के आवेदन पर उसने स्वयं उपस्थित होकर लिखित आपत्ति भी प्रस्तुत की थी और यह भी बताया था कि यदि आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी गई,तो इससे फरियादिया और उसकी पुत्री की जान को खतरा हो सकता है। इसके बावजूद भी अपर सत्र न्यायाधीश ने आरोपी को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी। अग्रिम जमानत प्राप्त होने के बाद से ही आरोपी फरियादिया को धमकियां दे रहा है और समझौता करने के लिए दबाव बना रहा है।
फरियादिया का कहना है कि बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में जिला न्यायालय द्वारा आमतौर पर किसी अभियुक्त को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जाता और यदि जमानत आवेदन पर आपत्ति आ जाती है तो जमानत किसी हालत में स्वीकार नहीं की जाती,परंतु आरोपी के न्यायालयीन कर्मचारी होने के कारण न्यायाधीशगणो द्वारा गलत तरीके से उसे जमानत का लाभ दिया गया है। फरियादिया ने मुख्य न्यायाधिपित महोदय को भेजी अपनी शिकायत में जिला न्यायालय के दो न्यायिक दंडाधिकारी एवं एक अपर सत्र न्यायाधीश को गलत तरीके से अग्रिम जमानत देने का दोषी बताते हुए उनके विरुध्द कडी कार्यवाही करने की मांग की है। फरियादिया ने अपनी शिकायत के साथ अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा अग्रिम जमानत स्वीकार किए जाने के संबंध में दिए गए आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि भी प्रस्तुत की है। फरियादिया ने यही शिकायत मुख्यमंत्री,विधिमंत्री और जिला एवं सत्र न्यायाधीश को भी की है।