पानी की बूंद-बूंद बचाए और पौधे रोपित कर पर्यावरण को करे सुरक्षित-पूर्व महापौर डागा
वाटर हार्वेस्टिंग और पर्यावरण संरक्षण के लिए पूर्व महापौर ने लिखा पत्र
रतलाम,13 जून (इ खबरटुडे)। शहर सहित जिले में विकास होने के साथ साथ जलसंकट और पर्यावरण का असंतुलन लगातार बढ़ रहा है। विकास के लिए पानी की उपलब्धता अति आवश्यक है, तो स्वास्थ्य के लिए शुद्ध वातावरण मिलना भी जरूरी है। इस दिशा में समय रहते ठोस प्रयास नही किए गए, तो स्थिति भयावह हो सकती है। इसलिए पानी की बूंद-बूंद बचाए और अधिक से अधिक पौधे रोपित कर पर्यावरण को सुरक्षित करे।यह आव्हान पूर्व महापौर शैलेन्द्र डागा ने किया है। उन्होंने इस संबंध में कलेक्टर रुचिका चौहान को पत्र भी लिखा है। इसमे बताया है कि पर्यावरण में असंतुलन की समस्याओं का समस्याओं का समाधान प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर ही किया जा सकता है। ग्रीष्म ऋतु बीतते ही मानसून का आगमन हो रहा है। इसलिए शहर सहित जिले में मानसून पूर्व बारिश का पानी सहेजने हेतु जागरूकता अभियान चलाया जाए। इस दिशा में समय रहते प्रयास नही हुए,तो अपेक्षित परिणाम नही मिलेंगे। इसलिए तत्काल पहल की जाना चाहिए।
श्री डागा ने पानी के संकट को दूर करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देने पर पर बल दिया है। उनके अनुसार वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए प्रति व्यक्ति आवश्यकता का पानी जमीन में संग्रहित किया जा सकता है। इसमें अधिक राशि भी खर्च नहीं होती, इसलिए प्रशासन अग्रणी भूमिका निभाए और पहले शासकीय भवनों में हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाकर सबको इसके लिए प्रेरित करने करे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए पौधरोपण कर उसके संरक्षण पर ध्यान देना जरूरी है। नगर के प्रमुख मार्गों,जहां पौधरोपण होना लंबित है, वहां सबसे पहले पौधे रोपित कराएं और उसके बाद योजनाबद्ध तरीके से शहर के चारों और पेड़-पौधों की चादर बिछाने का अभियान चलाया जाए।
श्री डागा ने बताया कि जल है, तो कल है और वातावरण शुद्ध रहेगा तो स्वस्थ जीवन मिलेगा। इसलिए गंभीरता से प्रयास करना होंगे। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जलस्तर बढ़ेगा और भविष्य में पानी की किल्लत नहीं होगी। जबकि पौधरोपण से प्रदूषण खत्म करने में मदद मिलेगी। हमारी प्रकृति को मजबूती मिलेगी,तो उसका लाभ सबको मिलेगा। उन्होंने मानसून से पहले कार्य शुरू कराने की अपील की है।