गठबंधन पर मायावती की दो टूक- सपा में बदलाव नहीं करते अखिलेश तो अकेले लड़ना बेहतर
नई दिल्ली,04जून (इ खबरटुडे)। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन टूटने की कगार पर खड़ा है. इस बात की पुष्टि तो नहीं हुई है लेकिन अखिलेश यादव और मायावती के बयानों से साफ है कि गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. मायावती ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि चुनाव नतीजों से साफ है कि बेस वोट भी सपा के साथ खड़ा नहीं रह सका है.सपा की यादव बाहुल्य सीटों पर भी सपा उम्मीदवार चुनाव हार गए हैं. कन्नौज में डिंपल यादव और फिरोजाबाद में अक्षय यादव का हार जाना हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है. उन्होंने कहा कि बसपा और सपा का बेस वोट जुड़ने के बाद इन उम्मीदवारों को हारना नहीं चाहिए था.
मायावती ने गठबंधन पर कहा कि सपा का बेस वोट ही छिटक गया है तो उन्होंने बसपा को वोट कैसे दिया होगा, यह बात सोचने पर मजबूर करती है. मायावती ने कहा कि हमने पार्टी की समीक्षा बैठक में पाया कि बसपा काडर आधारित पार्टी है और खास मकसद से सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा गया था लेकिन हमें सफलता नहीं मिल पाई है. सपा के काडर को भी बसपा की तरह किसी भी वक्त के लिए तैयार रहने की जरूरत है.
इस बार के चुनाव में सपा ने यह मौका गंवा दिया है. मायावती ने कहा कि सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों को करने के साथ-साथ कार्यकर्ताओं और पार्टी को मिशनरी बनाते हैं तो फिर हम आगे साथ लड़ेगे, अगर वह ऐसा नहीं कर पाते तो हमें अकेले ही चुनाव लड़ना होगा.
घाटे में रहे अखिलेश
उधर, अखिलेश यादव गठबंधन को लेकर मायावती के बयान पर तो चुप्पी साध गए लेकिन आजमगढ़ दौरे पर उन्होंने कहा कि अब वह अगली लड़ाई अपने संसाधन और अपने साधन से लड़ेंगे जिसका जल्द ही खुलासा भी करेंगे. अखिलेश के लिए यह चुनाव नाक की लड़ाई बन चुका था. घर में पड़ी रार के बाद पुराने सियासी दुश्मन से अखिलेश यादव ने दोस्ती की थी फिर भी नतीजा उनके पक्ष में नहीं रहा है.
चाचा शिवपाल यादव ने अलग राह पकड़ी जिसका फायदा चुनाव में बीजेपी को जरूर मिला. वहीं पिता मुलायम सिंह यादव भी अंदर से इस गठबंधन के पक्ष में नहीं थे. अब ऐसे में मायावती के बयान के बाद गठबंधन के भविष्य को लेकर अखिलेश की प्रतिक्रिया का भी इंतजार है.