पहले चरण के मतदान में इन नेताओं की किस्मत होगी ईवीएम में बंद
नई दिल्ली,11अप्रैल (इ खबरटुडे)। लोकसभा चुनाव 2019 की वो घड़ी आ गई है, जिसे सबको बेसब्री से इंतजार था। 17वें लोकसभा चुनाव का आगाज गुरुवार यानी 11 अप्रैल को होने जा रहा है। कुल सात चरणों में होने जा रहे लोकसभा चुनावों के पहले चरण में 20 राज्यों के कुल 91 सीटों पर मतदान किए जाएंगे। पहले चरण के मतदान में 91 सीटों के लिए कुल 1279 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। इनमें से 559 निर्दलीय हैं, जबकि 89 महिला उम्मीदवार है। प्रस्तुत है पहले चरण के दौरान बड़ी सीटों का एक ब्योरा। जिनमें इन बड़े नेताओं की किस्मत का होगा फैसला।
जीतन राम मांझी
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी गया लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं जहां 11 अप्रैल को पहले चरण के दौरान मतदान होना है। वह अपनी खुद की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से चुनाव लड़ रहे हैं। मांझी राज्य के पहले दलित सीएम भी रह चुके हैं। मांझी पहली बार 1980 में विधायक चुने गए थे। बिहार की 40 लोकसभा सीटों में मांझी की पार्टी सिर्फ तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
चिराग पासवान
लोजपा प्रमुख राम बिलास पासवान के बेटे चिराग पासवान जमुई लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 में वह यहीं से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। यहां से कुल 9 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं। लोजपा से चिराग पासवान एवं रालोसपा से भूदेव चौधरी चुनावी मैदान में आमने सामने हैं।
मोहम्मद अकबर लोन
अपने विवादित बयानों के जरिए घाटी में हमेशा चर्चा में बने रहने वाले मोहम्मद अकबर लोन बारामुला लोकसभा सीट से नेशनल कांफ्रेंस के प्रत्याशी हैं। वह जम्मू कश्मीर विधानसभा के पूर्व स्पीकर भी रह चुके हैं। हाली ही में उनकी रैली में पाकिस्तान समर्थित नारे भी लगे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से पीडीपी के मुजफ्फर हुसैन बेग ने जीत हासिल की थी।
हाजी मोहम्मद याकूब
मेरठ लोकसभा सीट से महागठबंधन ने बसपा के प्रत्याशी हाजी मोहम्मद याकूब को मैदान में उतारा है। उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार में हाजी मोहम्मद याकूब कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। तो वहीं अब सपा-बसपा-रालोद के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में मेरठ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।
चंदन सिंह
बिहार की नवादा लोकसभा सीट इस बार एनडीए में शामिल लोजपा के खाते में गई है। पार्टी ने वहां से चंदन सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया है। चंदन सिंह बाहुबली नेता और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के सबसे छोटे भाई हैं। उनकी गिनती बिहार के बड़े ठेकेदारों में होती है। एनडीए गठबंधन के तहत लोजपा को 6 सीटें मिली हैं। नवादा सीट पर लोजपा प्रत्याशी चंदन सिंह का राजद प्रत्याशी विभा देवी से सीधा मुकाबला है।
मोहम्मद मकबूल वार
जम्मू कश्मीर की बारामुला लोकसभा सीट से भाजपा ने मोहम्मद मकबूल वार को प्रत्याशी बनाया है। मकबूल अपना 11वां चुनाव लड़ रहे हैं। 1996 में उत्तरी कश्मीर के रफीबाद विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने पहला चुनाव लड़ा था जिसमें वो असफल रहे थे।
जुगल किशोर
भाजपा ने जम्मू से मौजूदा सांसद जुगल किशोर को एक बार फिर से मैदान में उतारा है। जुगल किशोर के अलावा जम्मू सीट से कुल 23 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा के जुगल किशोर का मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी रमन भल्ला से है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जुगल ने यहां से ढ़ाई लाख मतों से जीत हासिल की थी। इस बार के लोकसभा चुनाव में पीडीपी ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है।
नितिन गडकरी
नागपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने नाना पटोले पर अपना दांव लगाया है। गडकरी को चुनौती देने के लिए कांग्रेस पार्टी नागपुर में दक्षिण भारत की डीएमके पार्टी का सहारा ले रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से गडकरी ने 2.84 लाख मतों से जीत दर्ज की थी।
असदुद्दीन ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। 2004 से लगातार तीन बार ओवैसी यहां से सांसद चुने जाते रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में ओवैसी ने भाजपा के डॉ. भगवंत राव को तीन लाख से ज्यादा मतों से हराया था।
इमरान मसूद
सहारनपुर से कांग्रेस ने इमरान मसूद को अपना प्रत्याशी बनाया है। इमरान मसूद इसके पहले विधायक भी रहे हैं। 2014 में मोदी लहर के बावजूद मसूद यहां से दूसरे नंबर के प्रत्याशी रहे थे। पिछले दिनों सहारनपुर चुनावी रैली के दौरान सीएम योगी ने कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद को पाकिस्तान के आंतकी अजहर मसूद का मामा बताया था। इस बयान के बाद सहारनपुर में सियासी बयानबाजी तेज हो गई थी।
तबस्सुम बेगम
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट से सपा-बसपा-रालोद की संयुक्त प्रत्याशी तबस्सुम बेगम चुनावी मैदान में हैं। इससे पहले तबस्सुम बेगम ने 2018 के लोकसभा उपचुनाव में महागठबंधन से जीत दर्ज की थी। भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद यहां उपचुनाव हुआ था। राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखने वाली तबस्सुम हसन ने 2009 लोकसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में उनके बेटे नाहिद हसन ने समाजवादी पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ा था।
प्रदीप कुमार चौधरी
कैराना लोकसभा सीट से भाजपा ने प्रदीप कुमार को उम्मीदवार बनाया है। प्रदीप कुमार सहारनपुर के गंगोह विधानसभा से भाजपा के विधायक रहे हैं। प्रदीप कुमार ने पहली बार 2000 में रालोद के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। इसके बाद प्रदीप सपा से विधायक चुने गए। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले 2016 में प्रदीप ने भाजपा ज्वाइन की थी। 2017 में गंगोह विधानसभा से पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की थी। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार कैराना सीट से प्रदीप कुमार पर अपना दांव लगाया है।
जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह
2014 में पहली बार वीके सिंह को भाजपा ने गाजियाबाद से अपना प्रत्याशी बनाया था। इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान वह सेनाध्यक्ष के पद पर रहते हुए उम्र विवाद की वजह से सुर्खियों में आए थे। वर्तमान में वह केंद्रीय मंत्री भी हैं।
डॉक्टर सत्यपाल सिंह
सत्यपाल सिंह बागपत से मौजूदा सांसद हैं और उनपर एक बार फिर भाजपा ने भरोसा जताते हुए यहां से टिकट दिया है। सत्यपाल ने 2014 में ही भाजपा ज्वाइन की थी। उससे पहले वह मुंबई के पुलिस कमिश्नर थे। मोदी सरकार में वह केंद्रीय मंत्री हैं और साफ छवि के नेता माने जाते हैं।
जयंत चौधरी
जयंत पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह के बेटे होने के साथ-साथ राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष भी हैं। वो पंद्रहवी लोक सभा में उत्तर प्रदेश के मथुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रहे हैं।
हरीश रावत
हरीश रावत नैनीताल सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। वह उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाते हैं। इसकी वजह है कि उनके नेतृत्व में वर्ष 2002 में कांग्रेस ने राज्य से भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया था। वह राज्य ही नहीं केंद्र की राजनीति में भी खासा दखल रखते हैं। उन्होंने ब्लॉक प्रमुख के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और वह केंद्रीय मंत्री से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री तक रहे।
हरेन्द्र सिंह मलिक
कांग्रेस ने कैराना लोकसभा सीट से पूर्व सांसद हरेन्द्र सिंह मलिक को अपना प्रत्याशी बनाया है। हरेन्द्र मलिक सबसे पहले मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा से विधायक चुने गए थे। इसके बाद मलिक जिले की बकरा विधानसभा से भी विधायक चुने गए। वह हरियाणा से राज्य सभा सदस्य भी रह चुके हैं। उनकी पहचान जाट नेता के रुप में होती है।
अजीत सिंह
राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख चौधरी अजीत सिंह मुजफ्फरनगर सीट से सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार हैं। केन्द्र सरकार में कई बार मंत्री रहे अजीत ने 2018 के कैराना उपचुनाव के दौरान अपनी पार्टी का गठबंधन सपा और बसपा संग कर लिया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अजीत सिंह जाटों के प्रमुख बड़े नेता है।
संजीव कुमार बालियान
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से भाजपा ने संजीव कुमार बालियान को प्रत्याशी बनाया है। बालियान इसके पहले भी 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से सांसद चुने गए थे। पिछले लोकसभा चुनाव में वह चार लाख से अधिक मतों से जीते थे। केंद्र की मोदी सरकार में बालियान राज्य मंत्री भी बने।
नसीमुद्दीन सिद्दकी
कभी मायावती के बहुत खास रहे नसीमुद्दीन सिद्दकी अब कांग्रेस के टिकट पर बिजनौर से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें कभी मायावती का दाहिना हाथ माना जाता था। नसीमुद्दीन मुस्लिमों के बड़े चेहरे के रुप में जाने जाते हैं।