रतलाम वन विभाग की उदासीनता उजाड़ रही पेड़ो की छाँव
रतलाम ,27 अप्रैल (इ खबर टुडे)। वन विभाग का कार्य केवल पेड़ पोधो को लगाना ही नहीं अपितु उनकी सुरक्षा करने की जिम्मेदारी वन विभाग की है। लेकिन रतलाम में वन-विभाग अपनी जिम्मेदारी से भागता हुआ दिखाई दे रहा है। इस का ताज़ा उदाहरण नगर मुख्यालय से करीब 3 कि.मी दूर स्थित पर्यावरण पार्क में देखा जा सकता है।सरकार एक तरफ पेड़ लगाने की लिए प्रेरित कर रही है ,वहीं जंगलों में की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों की मिलीभगत से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है ।
जामंड में पानी होने के बावजूद नहीं छोड़ा जाता पेड़ो में पानी
पर्यावरण पार्क के बिल्कुल पीछे नदी में पानी को रोकने के लिए छोटी पाल बनाई गई है। जिससे वर्तमान में पाल की एक तरफ पर्याप्त मात्रा पानी उपलब्ध है। जिसे करीब पार्क के पेड़ो को अप्रैल व मई माह तक पानी दिया जा सकता है। लेकिन वन-विभाग के उच्च अधिकारी अपनी बुद्धि का प्रयोग करने को तैयार ही नहीं है। पानी की कमी के चलते पेड़ो की वृद्धि रुख रही है और कई पेड़ अब सूखने भी लगे है।
तार फेंसिंग तोड़ कर पेड़ो को काट रहे अज्ञात लोग –पार्क के पीछे मौजूद वन-विभाग की सीमा में अज्ञात युवक तार फेंसिंग तोड़ कर पेड़ो को काट रहे है,लेकिन वन्य अधिकारी इस घटना पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही से बच रहा है। पार्क के अंदर कई पेड़ देखे जा सकते है जिन पर कुल्हाड़ी से वार के निशान देखे जा सकते है और दूसरी तरफ वन्य अधिकारी अपने एयर कंडीशन दफ्तरों से बहार भी नहीं निकल रहे है। इसी बात को फायदा उठाते हुए अज्ञात युवक बेखौफ होकर पेड़ो को काट रहे है।
रिकॉर्ड मात्र पेड़
पार्क में अधिकांश जगह पेड़ो को लगाने के लिए गड्ढे खुदे हुए है,लेकिन पौधे एक में भी नहीं है।कनिष्ट अधिकारियो ने वरिष्ठ अधिकारियो को दिखाने लिए इन गड्ढो का निर्माण किया.लेकिन वरिष्ठ अधिकारियो में कार्य के प्रति उदासीनता को देखते हुए कर्मचारियों ने इन में पेड़ो को नहीं लगाया। कुछ बचे हुए पेड़ है उन पर भी दीमक (कीड़े ) देखे जा सकते है। जो पेड़ो के लिए हानिकारक है। लेकिन वन्य अधिकारी केवल हर माह आने वाले अपने वेतन का ध्यान रखते है।
गौरतलब’ है कि सरकार पौधारोपण के नाम पर हर साल विभाग को करोडो रुपए के बजट के साथ पोधो को लगाने के साथ सुरक्षा का जिम्मा रहता है। पौधे लगाने के बाद विभाग के अधिकारी इन की तरफ मुड़कर भी नहीं देखते है। औपचारिकता निभाने के लिए वन विभाग के अधिकारी भी साल भर में एक दो बार कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेते हैं। क्षेत्र में लगे जंगल की इस तरह से हो रही बेखौफ कटाई से वन विभाग एवं अधिकारों की कार्यप्रणाली पर उंगली उठ रही है।