सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर नहीं था ‘फर्जी’,सभी 22 आरोपी बरी
नई दिल्ली,21 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। स्पेशल सीबीआइ जज ने अपने आदेश में कहा कि साजिश और हत्या साबित करने के लिए मौजूद सभी गवाह और प्रमाण संतोषजनक नहीं हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि परिस्थिति संबंधी साक्ष्य भी पर्याप्त नहीं है। स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने कहा कि सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति की हत्या एक साजिश के तहत हुई, यह बात सच नहीं है। सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है।
13 साल बाद आया फैसला
सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले में लगभग 13 साल बाद फैसला आ गया है। साल 2005 के इस मामले में 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे थे, जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं। यहां की एक विशेष सीबीआई अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है।
92 गवाह मुकर गए…
इस मामले पर विशेष निगाह इसलिए भी रही है, क्योंकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपियों में शामिल थे। हालांकि, उन्हें 2014 में आरोप मुक्त कर दिया गया था। शाह इन घटनाओं के वक्त गुजरात के गृह मंत्री थे। बता दें कि मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए। इस महीने की शुरुआत में आखिरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने कहा था कि वे 21 दिसंबर को फैसला सुनाएंगे।
38 नामजद लोगों में 16 को सबूत के अभाव में हुए आरोपमुक्त
कोर्ट ने सीबीआई के आरोपपत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया था। इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पीसी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा शामिल हैं।
22 और 23 नवंबर 2005 की दरम्यानी रात को हुए थे अगवा
सीबीआइ के मुताबिक, आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगेस्टर सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरम्यानी रात में हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे।
2010 से इस मामले की जांच सीबीआइ कर रहा
गुजरात एटीएस और राजस्थान एसटीएफ ने अहमदाबाद के नजदीक एक एनकाउंटर में मध्य प्रदेश के अपराधी सोहराबुद्दीन शेख को मार गिराया था। इसके कुछ सालों बाद सोहराबुद्दीन के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को भी एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था। 2010 से इस मामले की जांच सीबीआई कर रहा था।
26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास हुआ एनकाउंटर
सीबीआई के मुताबिक, सोहराबुद्दीन की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई। उसकी पत्नी को तीन दिन बाद मार डाला गया और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया। साल भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात- राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी।
995 में सोहराबुद्दीन गुप्त रूप से हथियार रखने को लेकर किया गया था गिरफ्तार
सोहराबुद्दीन उज्जैन के एक छोटे से गांव का रहने वाला था। सोहराबुद्दीन की मां सरपंच और उसके पिता जनसंघ के पूर्व सदस्य थे। 1995 में ही उसे गुप्त रूप से बड़ी संख्या में हथियार रखने को लेकर गिरफ्तार किया गया था। अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा था कि गुजरात के पुलिस अधिकारियों ने व्यापारियों से उगाही के लिए सोहराबुद्दीन का इस्तेमाल किया था।
18 साल की उम्र में प्रजापति को पहली बार किया गया था गिरफ्तार
तुलसीराम भी उज्जैन का रहने वाला था। ईंट भट्टे के मालिक गंगाराम का बेटा प्रजापति भी युवावस्था में ही जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया था। पहली बार उसे 1997 में सिर्फ 18 साल की उम्र में गिरफ्तार किया गया। जैसे-जैसे उसकी आपराधिक गतिविधियां बढ़ने लगीं, परिवार से उसके रिश्ते तल्ख होते गए और एक दिन वह घर छोड़कर भाग गया। प्रजापति सिर्फ 28 साल का था जब उसे मार दिया गया।