November 18, 2024

ओबीसी की पिछड़ी जातियों का पता लगाने को अब घर-घर होगा सर्वे

नई दिल्ली,18 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। आरक्षण के बाद भी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की पिछड़ी रह गई जातियों का पता लगाने और उनके उप-वर्गीकरण की सरकार की योजना फिलहाल कुछ समय के लिए लटक सकती है। इसे लेकर काम कर रहे जस्टिस रोहिणी आयोग ने अब इसकी सटीक जानकारी जुटाने के लिए घर-घर जाकर सर्वे कराने की योजना बनाई है।

साथ ही इसके लिए सरकार से 20 करोड़ से रुपये से ज्यादा की वित्तीय मदद की मांग भी की है। जस्टिस रोहिणी आयोग ने इस संबंध में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को प्रस्ताव दिया है। इसमें कहा गया है कि देशभर में ओबीसी की 2,600 से ज्यादा जातियां हैं जो देश के अलग-अलग हिस्सों में रहती हैं।

यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सभी के जीवनस्तर अलग-अलग हैं। ऐसे में सटीक जानकारी जुटाने के लिए सभी राज्यों में निचले स्तर पर जाकर ब्योरा जुटाना जरूरी होगा।

इसके तहत देशभर के 10 लाख से ज्यादा घरों में इसको लेकर सर्वे होगा। इनमें परगना और तहसील स्तर पर जाकर ओबीसी परिवारों के जीवनस्तर से जुड़ी जानकारी जुटाई जाएगी। इनमें शैक्षणिक और रोजगार की स्थिति पर सबसे ज्यादा फोकस होगा। फिलहाल यह सर्वे 2011 की जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर ही होगा। हालांकि सरकार का इस पूरी कवायद के पीछे मकसद ओबीसी की पिछड़ी जातियों को भी विकास की दौड़ में आगे बढ़ाने का है।

मौजूदा समय में ओबीसी आरक्षण का लाभ ओबीसी की कुछ ही जातियों तक सिमटा हुआ है। सरकार की कोशिश है कि वह इससे वंचित वर्ग को भी उप-वर्गीकरण के जरिये उनका लाभ दिलाए। सरकार की इस पहल को राजनीतिक नजरिये से भी देखा जा रहा है।आयोग ने ओबीसी की पिछड़ी जातियों का पता लगाने के लिए सरकार को सर्वे का यह प्रस्ताव उस समय दिया है, जब वह इस पूरी कवायद पर पहले ही सालभर से ज्यादा का समय दे चुकी है।

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