भाजपा की हार से होगा राम मन्दिर का उध्दार
-तुषार कोठारी
चुनाव परिणामों में कांग्रेस की बढत के बाद बुधवार की सुबह प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भीड में कहीं कहीं भगवा झण्डे भी नजर आ रहे थे। कांग्रेस नेताओं के मन्दिर मन्दिर जाने और जनेउ पहन कर गौत्र बताने के बाद अब भगवा झण्डे लहराये जाने से भाजपा को तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए। यदि कांग्रेस ने हिन्दुत्व को हाईजैक कर लिया तो भाजपा के पास बचेगा क्या..?
तीनों हिन्दीभाषी राज्यों में भाजपा की हार के बाद अब भाजपा नेतृत्व के लिए आत्ममंथन का समय है। पिछले तीन दशकों से भाजपा लगातार इस बात से संघर्ष करती रही है कि कांग्रेस द्वारा भाजपा के हिन्दुत्व को सांप्रदायिकता बताया जाता था। तीन दशकों के कडे संघर्ष के बाद २०१४ में भाजपा देश के जनमानस में यह स्थापित करने में सफल हो पाई थी कि हिन्दुत्व का अर्थ सांप्रदायिकता नहीं है। इसके लिए भाजपा ने सूडो सैक्यूलरिज्म जैसे शब्दों को भी ईजाद किया था। कांग्रेस द्वारा निरन्तर सांप्रदायिकता के जो आरोप भाजपा पर मंढे जाते थे,देश के जनसामान्य ने उन्हे सिरे से खारिज कर दिया था और राजनीति हिन्दुत्व की धुरी पर घूमने लगी थी।
इस तथ्य को कांग्रेस ने तो अच्छे से समझ लिया,लेकिन भाजपा खुद इस तथ्य को भूला बैठी थी। इसी का नतीजा यह है,जो सामने आया है। कांग्रेस को यह बात समझ में आ गई थी कि उसकी छबि मुस्लिम परस्त पार्टी की बन गई है और इससे बहुसंख्यक हिन्दू समाज कांग्रेस से दूर होने लगा है। यह तथ्य समझ में आते ही कांग्रेस ने मन्दिर मन्दिर जाने का काम शुरु कर दिया। कांग्रेस ने अधिकारिक तौर पर कभी भी राम जन्मभूमि मुद्दे पर अपनी राय खुलकर जाहिर नहीं की,लेकिन कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता आपसी चर्चाओं में यह जरुर कहने लगे थे कि राम जन्मभूमि का ताला कांग्रेस के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही खुलवाया था और बाबरी ढांचे का विध्वंस भी कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव के कार्यकाल में हुआ था। कांग्रेस कार्यकर्ता यह दावे भी करने लगे थे कि मन्दिर तो कांग्रेस का ही प्रधानमंत्री ही बनवा सकता है। हांलाकि अधिकृत तौर पर कोई नेता ऐसा बयान नहीं देता है लेकिन आपसी चर्चाओं में जरुर ऐसा कहा जाने लगा है। अधिकृत तौर पर लगभग सभी कांग्रेस नेताओं ने भाजपा पर हमला करने के लिए यह जरुर कहा कि मन्दिर वहीं बनाएंगे,पर तारीख नहीं बताएंगे। कांग्रेसी नेताओं ने मन्दिर निर्माण में हो रही देरी पर हमेशा भाजपा पर सवाल उठाए और यही बात भाजपा के लिए घातक सिध्द होती रही।
मध्यप्रदेश में भाजपा की हार के कारणों का विश्लेषण कई तरीकों से किया जा सकता है। लेकिन हिन्दुत्व से दूर होना निश्चित तौर पर एक बडा कारण रहा है। भाजपा इस गलतफहमी में ही बनी रही कि हिन्दुत्व पर भाजपा का ही कापीराईट है,लेकिन कांग्रेस ने बिना कुछ कहे,केवल प्रदर्शन करके अपनी साफ्ट हिन्दुत्व की छबि को मजबूत कर लिया।
कांग्रेस के हिन्दू कार्यकर्ता,अपनी पार्टी की मुस्लिम परस्त छबि से स्वयं को बडा असहज महसूस करते थे। लेकिन साफ्ट हिन्दुत्व पर आते ही उन्हे भी बडा सहारा मिल गया। अब कांग्रेसी नेताओं के मुंह से भी जय श्री राम के नारे भी सुने जाने लगे है। अगर कांग्रेस इसी लाइन पर चलती रही और अगर भाजपा ने अपने तौर तरीकों में बदलाव नहीं किया तो आगामी लोकसभा चुनाव में बडा नुकसान होना तय है।
चुनाव के ताजा नतीजों के बाद अब भाजपा के रणनीतिकारों को भी यह बात तेजी से समझ में आ जाएगी कि भाजपा का कोर वोटर,हिन्दुत्व से जुडे राम जन्मभूमि मन्दिर जैसे मुद्दों पर अब अधिक इंतजार करने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि अब राम जन्मभूमि मन्दिर का उध्दार होना तय है। आगामी लोकसभा चुनाव में विकास के साथ साथ हिन्दुत्व पर प्रतिबध्दता दर्शाने के लिए भाजपा के पास राम मन्दिर ही बडा मुद्दा है। ऐसे में यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि अब भाजपा के लिए मन्दिर निर्माण के लिए त्वरित कदम उठाना जरुरी है। यह त्वरित कदम अध्यादेश के अलावा कुछ और नहीं हो सकता। यह तय है कि कुछ ही दिनों के इंतजार के बाद राम मन्दिर निर्माण का रास्ता तैयार हो जाएगा।