राग-रतलामी/पंजा पार्टी ने छोडा शहर का मोह,ग्रामीण में छोटे भूरिया के लिए डैमेज कंट्रोल भी शुरु
-तुषार कोठारी
रतलाम। चुनावी बिगुल बजने के बाद से लोगों में यही चर्चाएं थी कि कौन सी पार्टी किस जगह से किसे लडाएगी? लेकिन अब धुंध धीरे धीरे छंटती हुई नजर आ रही है। हफ्ते भर की घटनाओं को मिलाकर हिसाब लगाए तो लगता है कि पंजा पार्टी ने रतलाम शहर को तो अपनी लिस्ट से ही निकाल दिया है। पंजा पार्टी की उम्मीदें रतलाम ग्रामीण और सैलाना पर टिकी है। खबरों की जोड बाकी लगाएं तो यह भी समझ में आता है कि रतलाम ग्रामीण के लिए पंजा पार्टी ने छोटे भूरिया को उतारने की तैयारी कर डाली है। हांलाकि राजनीति में कोई बात सीधे से नहीं बताई जाती। इन बातों को समझना पडता है।
पंजा पार्टी ने अपने जिलाध्यक्षों से चुनाव जीतने में सक्षम नेताओं की पैनल मंगवाई। अपने यहां दो दो जिलाध्यक्ष है। एक शहर वाले मामा,और दूसरे ग्रामीण वाले युवा तुर्क। ग्रामीण वाले जिलाध्यक्ष को हाईकमान का फोन आया और ताबडतोड पैनल के नाम मंगवाए गए। ग्रामीण के युवा तुर्क जिलाध्यक्ष ने उतनी ही तेजी से नाम भेज दिए,जितनी तेजी से मंगवाए गए थे। खबरचियों ने उनसे पूछा भी कि किस किस के नाम भेजे,लेकिन उन्होने किसी को भी नहीं बताए। ये बात अलग है कि उन्होने अपने कुछ खास लोगों को इशारों इशारों में कुछ कुछ बता दिया।
मजेदार बात ये है कि पंजा पार्टी के शहर वाले मामा को ऐसा कोई फोन ही नहीं आया। जब फोन ही नहीं आया तो वो कैसे पैनल भेजते। खबरचियों ने उनसे पूछा,तो उन्होने ईमानदारी से बता भी दिया कि उन्हे कोई फोन नहीं आया।
मतलब साफ है। पंजा पार्टी को रतलाम शहर की कोई चिन्ता नहीं है। पंजा पार्टी के जानकारों का कहना है कि शहर के लिए तो पार्टी ने खुद ही सात सात सर्वे करवा लिए है। इन सर्वे का नतीजा क्या है,कोई नहीं जानता। बस आप ये अन्दाजा लगा सकते है कि पंजा पार्टी को इतना पता चल गया कि यहां कुछ धरा नहीं है। इसलिए अब जिस किसी को भी शहीद करना है,उसे कर देंगे। वो चाहे झूमरु दादा हो या कोई सनातनी दीदी। जो कुछ भी उम्मीद है वो ग्रामीण से है। इसलिए वहां पूरी प्रक्रिया चलाई जा रही है।
छोटे भूरिया के लिए शुरु डैमेज कंट्रोल
जब से पंजा पार्टी के कर्ता धर्ताओं को समझ में आई थी कि अब कार्यकर्ता नदारद होने लगे है,तभी से कार्यकर्ताओं को मनाने पटाने के फार्मूलों पर काम शुरु हो गया था। इसी लिहाज से पंजा पार्टी के नाथ ने बडे जोर शोर से घोषणाएं की थी कि पैराशूट वाले नेताओं को कोई मौका नहीं दिया जाएगा। मौका उन्ही को मिलेगा जो जमीन से जुडे हुए है। पंजा पार्टी के बेचारे बचे खुचे कार्यकर्ताओं ने इस पर भरोसा करके खुशियां भी मना ली थी। उन्हे लगा था कि इस बार उनकी किस्मत जरुर खुल जाएगी। लेकिन अचानक ग्रामीण के कार्यकर्ताओं को पता चला कि पैनल भी चली गई और पैनल में नाम भी पैराशूट से उतरने वालों के ही है। पैनल में छोटे भूरिया का नाम था,पहले अध्यक्ष रही मैडम का भी नाम था,लेकिन नहीं था तो किसी जमीनी का नाम नहीं था। बस फिर क्या था। जमीनी कार्यकर्ता गुस्सा गए। उन्होने आनन फानन में शहर के खबरचियों को बुलाया और अपने तीखे तेवर दिखा दिए। उन्होने साफ कर दिया कि वे किसी बाहरी पैराशूटर को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
जैसे ही यह खबर बाहर निकली,डैमेज कंट्रोल की मशक्कत शुरु हुई। फौरन सारे बगावतियों को घेरने और मनाने की जुगाड चालू हुई। सारे बगावतियों को इकट्ठा कर पंजा पार्टी के नए खुले दफ्तर में लाया गया। फिर सारे खबरचियों को बुला कर उनसे मिलवाया गया। अब सारे बगावतियों के सुर बदले हुए थे और सारे के सारे हाईकमान का निर्देश मानने के राग अलाप रहे थे।
अब हिसाब लगाने वालों के सामने साफ हो गया कि ये सारी कवायद छोटे भूरिया के लिए की गई है। हांलाकि ये भी तय है कि आज जो अनुशासन और हाईकमान के निर्देश मानने के राग अलाप रहे हैं,वो सारे दिल से राजी नहीं है। वे इस इंतजार में है कि कब बटन दबाने का दिन आए और कब वे अपनी बेइज्जती का हिसाब ले सके। बहरहाल,अब गणित इस बात को लेकर लगाया जा रहा है कि छोटे भूरिया के लिए अगर अभी से इतनी मशक्कत करना पड रही है,तो आगे क्या होगा…?
वर्दी और काले कोट की जंग
जिले के जावरा कस्बे में पुलिस महकमे के बडे हाकीम ने अपना डण्डा अदालती साहब पर ही चला दिया। आचार संहिता के गुरुर का असर ही रहा होगा,कि नियम कायदों का फैसला करने वालों को ही नियम कायदों के नाम पर घेर लिया गया। काले कोट वाली पूरी बिरादरी इससे भडक गई। साहब लोगों ने कानून की किताबें छान कर पता कर लिया कि पुलिस महकमे के हाकीम को ऐसा करने का कोई हक नहीं था,लेकिन वर्दी का गुरुर जो ना कराए,वही कम है। वर्दी वाले साहब को जरा देर से यह बात ध्यान में आई। उन्होने सफाई भी दी,लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। काले कोट वाली बिरादरी ने वर्दी वालों को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। इंतजार कीजिए आने वाले दिनों में दिलचस्प वाकये देखने को मिलेंगे।