September 29, 2024

समाजसेवा का उद्देश्य लेकर चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट से तांत्रिक बने अशोक गुप्ता

रतलाम,23 जुलाई (इ खबरटुडे)। तंत्र मंत्र और तांत्रिक जैसे शब्द सुनते ही जो छबि सामने आती है,वह डरावनी सी या धोखाधडी करने वाली होती है। लेकिन अगर यह पता चले कि तांत्रिक चार्टड एकाउन्टेन्ट है,तो सहसा विश्वास नहीं होता। चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट जैसा उच्चस्तरीय पेशा छोडकर तांत्रिक बने भोपाल निवासी अशोक गुप्ता का कहना है कि तंत्र मंत्र के नाम पर जबर्दस्त धोखाधडी हो रही है और इसे रोका जाना चाहिए।
संक्षिप्त प्रवास पर रतलाम आए तांत्रिक बाबा अशोक गुप्ता ने इस संवाददाता से विशेष चर्चा में कहा कि तंत्र मंत्र कोई कपोल कल्पित बातें नहीं है,बल्कि इसका मानव जीवन पर भारी प्रभाव होता है। समाजसेवा को अपने तंत्र मंत्र का उद्देश्य बनाकर तांत्रिक क्रियाएं करने वाले बाबा का कहना है कि तंत्र मंत्र के माध्यम से सत्कार्य किए जा सकते है और मानव जीवन की समस्याओं से निजात पाई जा सकती है। हांलाकि कुछ तांत्रिक,तंत्र मंत्र के माध्यम से दुष्कर्म भी करते है,लेकिन अन्तत: उन्हे इसकी कीमत भी चुकानी पडती है।
टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में आने वाले तांत्रिकों के विज्ञापनों के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि ऐसे विज्ञापन अधिकतर फर्जी और धोखेबाज किस्म के लोगों द्वारा दिए जाते है,जो परिस्थितियों से परेशान लोगों को तंत्र मंत्र के नाम पर ठगते है। वास्तविक तांत्रिक कभी भी व्यवसाय के तौर पर तांत्रिक क्रियाएं नहीं करता। तांत्रिक बाबा का कहना है कि तांत्रिक सिध्दियां सचमुच में होती है,और भूत,प्रेत,पिशाच इत्यादि का भी अस्तित्व है। अब तो आधुनिक विज्ञान भी इनके अस्तित्व को नकार नहीं पाता।
चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट जैसा पेशा छोडकर तांत्रिक बनने के बारे में पूछे जाने पर उन्होने बताया कि सीए के अलावा उन्होने फाईनेन्स में पीएचडी में भी किया है। भोपाल में करीब चार वर्ष तक सफलता पूर्वकपूर्वक सीए का व्यवसाय करने के बाद अचानक कुछ दैवीय शक्तियां उन्हे मिल गई। तब उनके सामने बडी दुविधा थी कि वे इन दैवीय शक्तियों के साथ रहें या अपने व्यवसाय में रहे। कुछ दिनों तक दुविधा में रहने के बाद आखिरकार उन्होने स्वयं को दैवीय शक्तियों को समर्पित कर दिया और तंत्र साधना प्रारंभ कर दी। वर्ष २००१ से वे पूरी तरह तंत्र साधना में लग गए। तांत्रिक बाबा अशोक गुप्ता के अनुसार आजकल उनका अधिक समय गुवाहाटी स्थित कामाख्या मन्दिर में साधना में गुजरता है। चार से छ: महीने वे कामाख्या में रहते है और शेष समय में देश के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर लोगों की समस्याएं दूर करते हैं।
उन्होने कहा कि तंत्र मंत्र से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह एक प्रकार की साधना है,जिसका उपयोग समाजसेवा के लिए किया जाना चाहिए। उपरी हवा,प्रेतबाधा जैसी बातें कल्पना नहीं बल्कि वास्तविकता है और इनकी वजह से मानव को कई तरह की समस्याओं से जूझना पडता है। ऐसी समस्याओं का निवारण करने के लिए तंत्र साधना का उपयोग होता है।

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