योगी आदित्यनाथ पर नहीं चलेगा दंगे भड़काने का केस, HC ने रद्द की याचिका
इलाहाबाद,22 फरवरी (इ खबरटुडे)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगभग 11 वर्ष पुराने मामले में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ दंगा भड़काने का केस दर्ज करने के साथ इसकी सीबीआई जांच की मांग पर विचार करने से इंकार कर दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने सीएम योगी के खिलाफ 2007 में गोरखपुर के दंगे को भड़काने के आरोप में मुकदमा चलाने से इंकार कर दिया। इस आरोप को कोर्ट ने सही नहीं माना है। इसके साथ ही सीबीआई जांच की मांग को भी खारिज कर दिया।
परवेज परवाज की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की। जस्टिस कृष्ण मुरारी व जस्टिस एसी शर्मा ने यह आदेश दिया। इस मामले में योगी आदित्यनाथ के साथ ही तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी, विधायक राधा मोहन अग्रवाल व अन्य को भी बड़ी राहत मिली है। इनमें से किसी के खिलाफ अब कोई केस दर्ज नहीं होगा।
इससे पहले इस याचिका पर फैसला 18 दिसंबर को हो गया था, उसके बाद से फैसला सुरक्षित रखा गया था। परवेज परवाज की याचिका पर न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एसी शर्मा की खंडपीठ ने लंबी बहस के बाद 18 दिसंबर 2017 को फैसला सुरक्षित कर लिया था। याचिका में कहा गया है कि गोरखपुर में 2007 में दंगे हुए थे जिसमें तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ सहित अन्य ने दंगा उकसाया था। इस मामले में योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने से राज्य सरकार ने इन्कार कर दिया है, सरकार के इसी आदेश की वैधता को हाईकोर्ट में परवेज परवाज ने याचिका दाखिल कर चुनौती दी है। 2008 में मोहम्मद असद हयात और परवेज ने दंगों में एक व्यक्ति की मौत के बाद सीबीआई जांच को लेकर याचिका दाखिल की थी। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बताया कि इस मामले में प्रदेश सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिसकी वैधता को याचिका में चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता असद हयात, परवेज और अन्य की याचिका पर जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एसी शर्मा की पीठ ने सुनवाई पूरी कर ली । अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और एजीए एके संद ने प्रदेश सरकार की ओर से याचिका का विरोध किया। इसमें लंबी बहस के बाद कोर्ट ने 18 दिसम्बर 2017 को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था।
गौरतलब है 2008 में मोहम्मद असद हयात और परवेज ने दंगों में एक व्यक्ति की मौत के बाद सीबीआई जांच को लेकर याचिका दाखिल की थी। याचिका में सांसद योगी आदित्यनाथ के भड़काऊ भाषण को दंगे की वजह बताया गया था, जिसके बाद तत्कालीन गोरखपुर सांसद को गिरफ्तार कर 11 दिनों की पोलकी कस्टडी में भी रखा गया था।
याचिका में योगी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307, 153, 395 और 295 के तहत जांच की मांग की गई। जिसके बाद केस की जांच सीबी-सीआईडी ने की और 2013 में भड़काऊ भाषण की रिकॉर्डिंग में योगी की आवाज सही पाई। सीबी-सीआईडी ने तत्कालीन सांसद के खिलाफ कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की क्योंकि प्रदेश की अखिलेश सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी।
फरवरी 2017 में सीबी-सीआईडी ने हलफनामे में कहा कि उसे अभी तक यूपी सरकार की तरफ से कोई लिखित आदेश नहीं मिला है। सीबी-सीआईडी ने हलफनामे में कहा कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अगर धारा 153 और 295 के तहत मुकदमा दर्ज होता है तो उसके खिलाफ आरोप तय करने के लिए सरकार की अनुमति आवश्यक होती है। जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने आशंका जाहिर की कि सीबी-सीआईडी इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती, लिहाजा मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।