रतलाम में बन रही है देश की पहली स्कूटर एम्बूलैंस
रतलाम,21 जनवरी (इ खबरटुडे)। क्या स्कूटर से एम्बूलैंस की तरह मरीज को अस्पताल पंहुचाया जा सकता है? यह कारनामा रतलाम के एक मैकेनिक ने कर दिखाया है। शहर के मैकेनिक भीमसिंह राजपूत ने स्कूटर को एम्बूलैंस में तब्दील किया है।
भीमसिंह की स्कूटर एम्बूलैंस लगभग तैयार हो गई है। इस एम्बूलैंस में मरीज को बिस्तर पर लैटा कर अस्पताल पंहुचाया जा सकेगा। इस एम्बूलैंस में मरीज के लिए आवश्यक आक्सिजन सिलैण्डर रखने की व्यवस्था भी है और मरीज को ठण्डी हवा देने के लिए पंखा भी लगाया गया है। मरीज को यदि बोटल चढ रही है,तो इस एम्बूलैंस में लेटे मरीज को बाटल भी लगाई जा सकेगी। यही नहीं सडक़ के गड्ढे मरीज को परेशान ना करें इसके लिए बाकायदा शाकअप्स भी लगाए गए हैं। मरीज का अटेण्डेन्ट भी इसी स्कूटर पर सवार हो सकेगा।
भीमसिंह ने बताया कि स्कूटर को एम्बूलैंस में तब्दील करने का विचार उनके मन में आया और वे इस काम में जुट गए। उन्होने अपने महिन्द्रा ड्यूरो स्कूटर के साथ में लोहे का एक ऐसा ढांचा बनाया,जिसमें एम्बूलैंस की सारी सुविधाएं जोडी गई है। इसके लिए उन्होने करीब पचपन किलो लोहे के पाइप्स का उपयोग किया। स्कूटर पर जिस तरह ट्राली अटैच की जाती है,उसी तर्ज पर भीमसिंह ने एम्बूलैंस के इस अटैचमेन्ट को स्कूटर से जोडा है। इसके लिए उन्होने स्कूटर के दो अतिरिक्त पहिये इस ढांचे में जोडे हैं ताकि यह स्कूटर के साथ चल सके। इन पहियों को शॉक अप्स के साथ ढांचे से जोडा गया है। मरीज के लिए साढे पांच फीट लम्बा बिस्तर बनाया गया है,जिसपर मरीज को लैटाया जा सकेगा। आक्सिजन सिलैण्डर रखने के लिए स्कूटर के पिछले हिस्से में व्यवस्था की गई है।
भीमसिंह का कहना है कि स्कूटर एम्बूलैंस आपातकालीन स्थितियों में किसी मरीज की जान बचाने में पूरी तरह कारगर साबित होगी। वे चाहते है कि उनके इस आविष्कार को यदि मान्यता मिल जाती है,तो वे अपनी एम्बूलैंस को जनसेवा के लिए समर्पित कर देंगे।