नामांकन स्थल की सुरक्षा के नाम पर बच्चे भी प्रताडित
कलेक्टोरेट से काफी दूर की गई बैरिकेटिंग,जनता के आवागमन पर रोक
रतलाम,6 नवंबर (इ खबरटुडे)। चुनावी तैयारियों के नाम पर पुलिस और प्रशासन आम जनता को हलाकान करने का कोई मौका नहीं चूक रहे है। अब तो नन्हे स्कूली बच्चे भी प्रताडना का शिकार बन रहे है। नामांकन स्थल की सुरक्षा के नाम पर आज कई नन्हे बच्चों को स्कूल जाने से ही रोक दिया गया। प्रशासन की इस तरह की उटपटांग व्यवस्था देखकर लगता है कि प्रशासन में अनुभवी अधिकारियों का टोटा पड गया है और अनुभवहीन लोग घबराहट में उटपटांग निर्णय ले रहे है।
निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों के मुताबिक नामांकन स्थल पर पर्याप्त सुरक्षा की जाना चाहिए। साथ ही नामांकन स्थल पर नेताओं को भीड नहीं करना चाहिए। इन दिशा निर्देशों के पालन के चक्कर में प्रशासन ने पूरे कलेक्टोरेट परिसर के चारों ओर बैरिकेंटिंग लगाकर कलेक्टोरेट परिसर को किसी किले की तरह बना दिया है। प्रशासनिक अधिकारी यहीं नहीं रुके। उन्होने तो कलेक्टोरेट ही नहीं बल्कि दूर दूर तक के रास्तों को भी बैरिकेटिंग लगाकर बन्द कर दिया गया है। कलेक्टोरेट परिसर में तो नामांकन दाखिल करने वालों के अलावा किसी को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।
कलेक्टोरेट परिसर के एकदम नजदीक स्कालर्स स्कूल,किड्ज जी और हिमालया किड्ज जैसे नन्हे बच्चों के स्कूल है। हर रोज की तरह आज भी इन स्कूलों के बच्चों को लेकर आने वाली बसे जब स्कूल जाने के लिए चली तो उन्हे बैरिकेटिंग पर रोक दिया गया। नगर निगम की तरफ से स्कूल जा रही बसों को मेहन्दी कुई बालाजी पर ही रोक दिया गया। जब बस ड्राईवरों ने पुलिसकर्मियों से भीतर जाने जेने का आग्रह किया तो उनका कहना था कि यहां से सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों के ही वाहन भीतर जाएंगे। स्कूल बसों को नहीं जाने दिया जाएगा। पुलिसवालों ने कहा कि बच्चों को पैदल ले जाएं। प्राइमरी लेवल के नन्हे नन्हे बच्चों को चुनावी तैयारियों का शिकार बनना पडा। इसी तरह पूरे कलेक्टोरेट को छावनी में तब्दील कर देने का खामियाजा आम जनता को भी भुगतना पड रहा है। मूल निवासी आय जैसे प्रमाणपत्रों का काम पूरी तरह बन्द कर दिया गया है। लोक सेवा केन्द्र कलेक्टोरेट परिसर के भीतर बनाया गया है। चूंकि कलेक्टोरेट परिसर में आम व्यक्तियों का प्रवेश रोक दिया गया है इसलिए लोक सेवा केन्द्र पर जिन लोगों के प्रमाणपत्र प्रदान किए जाने थे,वे भी रुक गए है।
उल्लेखनीय है कि नामांकन दाखिल करने के दौरान भीडभाड एकत्रित नहीं होने देने के निर्देश के परिपालन में प्रशासन ने थोडी भी युक्तिसंगत ढंग से काम नहीं लिया। इससे पहले के चुनावों में भी कलेक्टोरेट परिसर में बैरिकेटिंग लगाई जाती थी,लेकिन बाहर के रास्तों को बन्द नहीं किया जाता था। यह पहला मौका है जब रास्तों को ही बिना पूर्व सूचना के बन्द कर दिया गया है। यह भी विचारणीय पहलू है कि रास्तों को बन्द करने से नामांकन स्थल की सुरक्षा पर कितना फर्क पडता है। नामांकन स्थल पर आने वाली भीड को केवल परिसर पर बैरिकेटिंग लगाकर रोका जा सकता है। लेकिन निर्वाचन आयोग से डरे अधिकारी नन्हे बच्चों तक को नहीं बख्श रहे है।