December 25, 2024

कालोनाईजर राजेन्द्र पितलिया के खिलाफ धोखाधडी की एफआईआर करने के निर्देेश जारी,लेकिन नगर निगम और पुलिस के बीच महीने भर से उलझा है मामला

रतलाम,17 नवंबर (इ खबरटुडे)। बोधि धोखाधडी में आरोपी बनाए गए कालोनाईजर राजेन्द्र पितलिया की धोखाधडी का एक और नया कारनामा सामने आया है। पितलिया ने कालोनी से लगी हुई नगर निगम की जमीन को अपना भूखण्ड बताकर बेच दिया। मामले की जांच के बाद नगर निगम ने पितलिया के विरुध्द धोखाधडी और कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के मामले में एफआईआर दर्ज कराने का भी निर्णय ले लिया,लेकिन भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया की जादूगरी के चलते अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई है। मामला नगर निगम के लोकनिर्माण विभाग और औद्योगिक क्षेत्र थाने के बीच झूल रहा है।
उल्लेखनीय है कि धोखाधडी से बोधि स्कूल के नाम पर करोडों की जमीन कौडियों के दाम हासिल करने के मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने राजेन्द्र पितलिया के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। पितलिया ने इस मामले में अग्रिम जमानत लेने की कोशिश भी की थी,लेकिन न्यायालय ने अग्रिम जमानत का आवेदन खारिज कर दिया है। बोधि स्कूल के घोटाले की खबरें अभी सुर्खियां बनी ही हुई है,कि राजेन्द्र पितलिया की धोखाधडी का एक और नया कारनामा सामने आ चुका है।

ऐसे की गई धोखाधडी

राजेन्द्र पितलिया द्वारा डोंगरे नगर के समीप सर्वे क्र 151/7 से लगाकर 151/14 की 3.6 हैक्टेयर भूमि पर शुभम श्री कालोनी विकसित की गई है। यह कालोनी डोंगरे नगर सी कालोनी से सटी हुई है और बीच में एक सड़क है। जमीनखोरी के विशेषज्ञ राजेन्द्र पितलिया ने जब नगर एवं ग्राम निवेश में कालोनी का ले आउट स्वीकृती के लिए प्रस्तुत किया,तो डोंगरे नगर सी कालोनी की सड़क को अपनी कालोनी में दर्शाते हुए उस पर दो भूखण्ड भी बना दिए। यह बात नगर एवं ग्राम निवेश विभाग ने पकड ली,और डोंगरे नगर सी कालोनी को सड़क को शुभम श्री से बाहर रखते हुए लाल स्याही से कालोनी की चतुर्सीमा दर्शाते हुए कालोनी विकसित करने की अनुमति प्रदान की। राजेन्द्र पितलिया ने नगर एवं ग्राम निवेश से मिली स्वीकृती के अनुसार कालोनी को विकसित कर नगर निगम से पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया और बंधक रखे हुए 59 प्लाटों को भी छुडवा लिया।

निगम स्वामित्व की सड़क पर बेच दिए प्लाट

जमीनखोर राजेन्द्र पितलिया ने शुभम श्री कालोनी के वैध भूखण्डों के अलावा डोंगरे नगर सी कालोनी की करीब फीट चौडाई वाली निगम स्वामित्व की सड़क पर दो भूखण्ड बनाकर इन्हे भूखण्ड क्र.239 ए और 239 बी का नाम देकर दो अलग अलग व्यक्तियों को इनका विक्रय कर दिया। इतना ही नहीं कूटरचित दस्तावेज बनाकर इन भूखण्डों की रजिस्ट्री भी करवा दी गई। रजिस्ट्री के आधार पर नगर निगम में नामान्तरण भी करवा दिया गया। घोटाला यहीं नहीं रुका। दो में से एक भूखण्ड खरीदने वाले व्यक्ति को भूखण्ड पर भवन निर्माण की अनुमति भी नगर निगम से प्राप्त हो गई और निगम की सार्वजनिक सड़क पर भवन निर्माण कर दिया गया। 

ऐसे सामने आई धोखाधडी

राजेन्द्र पितलिया की धोखाधडी सामने नहीं आती यदि सडक पर काटे गए दो भूखण्डों में से एक को फिर बेचा नहीं जाता। सड़क पर काटे गए एक भूखण्ड 239 ए को इसके पहले मालिक नीरज सुरोलिया ने कस्तूरबा नगर निवासी आरएस सोमानी को बेचने का अनुबन्ध कर लिया। भूखण्ड खरीदने का अनुबन्ध करने के बाद जब श्री सोमानी ने भूखण्ड के बारे में छानबीन की,तो एक के बाद एक धोखाधडी सामने आने लगी। उन्हे पता चला कि यह भूखण्ड शुभम श्री कालोनी में ना होकर सार्वजनिक सड़क पर है। इतना ही नहीं रजिस्ट्री में जहां भूखण्ड का क्षेत्रफल पन्द्रह सौ वर्गफीट बताया गया है,मौके पर यह भूखण्ड वास्तव में पच्चीस सौ वर्गफीट है।

निर्देश के बावजूद नहीं हुई एफआईआर

जमीन की धोखाधडी सामने आने के बाद श्री सोमानी ने पूरे मामले की शिकायत की। जब नगर निगम ने इस मामले की जांच करवाई तो पता चला कि भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया ने नगर निगम स्वामित्व की सड़क को निजी बताकर न सिर्फ भूखण्ड बेचे बल्कि कूटरचित दस्तावेजों से इनका नामान्तरण भी करवा लिया। जांच के उपरान्त नगर निगम ने इस मामले पर जब विधिक विशेषज्ञ से सलाह ली,तो विधि विशेषज्ञ ने इस मामले में तुरन्त एफआईआर कराने की सलाह दी। सलाह के आधार पर निगम आयुक्त एसके सिंह ने राजेन्द्र पितलिया के विरुध्द धोखाधडी और कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के मामले में एफआईआर करने के लिए निगम के लोक निर्माण विभाग को लिखित आदेश जारी किए। लोक निर्माण विभाग द्वारा अधिकारिक तौर पर पत्र क्र.4253/लोनिवि/17 दिनांक 1 नवंबर 2017 को औद्योगिक क्षेत्र पुलिस थाने को एफआईआर दर्ज करने हेतु पत्र भेजने की जानकारी एक अन्य प्रकरण में दी गई है। लेकिन दूसरी ओर औद्योगिक क्षेत्र पुलिस थाने के अधिकारी ऐसे किसी पत्र के आने की बात को सिरे से नकार रहे हैं।  टीआई राजेश चौहान ने इ खबर टुडे से चर्चा में कहा कि नगर निगम से इस तरह का कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।

भूमाफिया का असर

इसे शहर के चर्चित भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया की जादूगरी ही माना जा सकता है कि निगम द्वारा सुस्पष्ट आदेश जारी होने के बावजूद पितलिया के खिलाफ एक महीने में एफआईआर तक दर्ज नहीं हो सकी है। यह तक साफ नहीं हो पा रहा है कि राजेन्द्र पितलिया को नगर निगम बचा रही है या औद्योगिक क्षेत्र पुलिस…?

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds