September 30, 2024

चलती ट्रेन से एक-एक कर पिता ने तीन बेटियों को फेंका

पटना,25 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। पूर्वी चम्पारण के एक बेरहम पिता ने अपनी 3 मासूम बच्चियों को उत्तर प्रदेश के सीतापुर में चलती ट्रेन से फेंक दिया। इनमें से एक की मौत हो गयी। गंभीर रूप से घायल दो बच्चियों का इलाज सीतापुर जिला अस्पताल में चल रहा है।

अस्पताल में सदमे से घबरायी बच्ची ने बताया कि पिता ने उनलोगों को एक-एक कर तब फेंका जब मां सो रही थी। हालांकि, पूर्वी चम्पारण के जिस छोड़िया गांव का नाम बता रही है, उसका पता अभी नहीं चल पाया है। बच्ची ने एक जगह ढाका का भी नाम लिया है। बच्ची ने पुलिस को बताया कि उसे ठीक से याद नहीं, लेकिन बेतिया स्टेशन याद है।

इधर, मोतिहारी के एसपी उपेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि सीतापुर से सूचना आई थी, लेकिन पता सही नहीं होने के कारण बच्चियों की सही जानकारी नहीं मिल पायी है। सीतापुर से दोबारा पता मंगाया जा रहा है। सीतापुर के सीओ सिटी योगेंद्र सिंह ने बताया कि एक बच्ची रामकोट थाने के गौरा गांव के पास व दूसरी इसी थाना क्षेत्र के भवानीपुर के पास बेहोश मिली, तीसरी बच्ची का शव मानपुर थाना क्षेत्र के रमईपुर हाल्ट के करीब पाया गया।

हालांकि, बच्चियां वास्तव में किस गांव की हैं, अब तक इसका पता नहीं चल पाया है। बच्चियों के बताए पते के अनुसार, उनके परिजनों की खोजबीन की जा रही है। जीआरपी प्रभारी को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया है।
जानकारी एसपी मृगेन्द्र सिंह तक पहुंची तो उन्होंने सीओ सिटी योगेन्द्र सिंह से शव की शिनाख्त अस्पताल में भर्ती बच्चियों से कराने की सलाह दी। अल्बुन शव देखते ही दहाड़े मारकर रोने लगी। उसने बताया कि यह उसकी बहन मुन्नी का शव है। अल्बुन के अनुसार, वह उसकी मंझली बहन थी।

घायल बच्ची ने बतायी पिता की दास्तान
पिता की बेरहमी की शिकार 8 साल की अल्बुन ने होश में आने पर पिता की बेरहमी के बारे में लोगों को बताया। उसने बताया कि जब मां सो रही थी, तभी पिता ने उन्हें ट्रेन से फेंका। पिता उसकी बहन सलीना खातून (6) को गेट के पास लेकर पहुंचे और चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया। इसके बाद उसे भी गेट के पास ले जाकर फेंक दिया।
इसके बाद दिनेश ने ग्रामीणों की मदद से दूसरी बच्ची को भी खोजा। वह भी एक किलोमीटर दूर बेहोश मिली। एम्बुलेंस से दोनों को जिला अस्पताल लाया गया, जहां इलाज चल रहा है। अल्बुन ने पुलिस को बताया कि वह पूर्वी चम्पारण के छोड़िया निवासी अपने पिता इड्डू व मां अबलीना खातून के साथ ट्रेन से जा रही थी।

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