मंदसौर गोलीकांड :CRPF की गोलीबारी में 3, पुलिस की गोली से दो किसान मारे गए, सरकार का दावा
भोपाल/मंदसौर ,19 जुलाई (इ खबर टुडे )।मंदसौर में 6 जून 2017 को हुए गोलीकांड की जांच रिपोर्ट पहली बार सामने आई है। मौके पर पहुंचकर जांच करने वाले एडीजीपी डॉ. एसएल थाउसेन की रिपोर्ट के हवाले से गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बुध्ावार को विध्ाानसभा में बताया कि सीआरपीएफ की गोलीबारी से तीन और पुलिस की गोली से दो किसान आंदोलनकारियों की मौत हुई। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक गोली आत्मरक्षा में चलाई गई थी।
रिपोर्ट में यह तो कहा गया है कि उपद्रवी किसानों ने पुलिस पर हमले किए पर इस बात का कहीं जिक्र नहीं है, उसके बाद पुलिस और सीआरपीएफ ने कब और किस थाने में जानलेवा हमले की एफआईआर करवाई। इध्ार, आईजी लॉ एंड ऑर्डर मरकंद देउस्कर के मुताबिक उसी दिन एफआईआर करवा दी गई थी।
सवाल जिनका जवाब नहीं
यदि पुलिस का यह जवाब और थ्योरी सही है तो फिर घटना के दो दिन बाद क्यों स्वीकार किया गया कि किसान पुलिस गोलीबारी में मारे गए। मतलब बाद में सारी लीपापोती की गई।
फायरिंग न होने की दी थी जानकारी
थाउसेन की रिपोर्ट के मुताबिक 6 जून 2017 की दोपहर मंदसौर एसपी ओपी त्रिपाठी को सूचना मिली कि बही फंटा में किसान व उपद्रवी चक्काजाम व आगजनी कर रहे हैं।
इस पर एसपी ने तत्काल सीएसपी साईं कृष्णा एस. थोटा, टीआई गिरीश जेजुलकर तथा नीमच से सीआरपीएफ की एक टुकड़ी को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रवाना किया।
एसपी कंट्रोल रूम में ही थी तो उनके पास फोन आया कि क्या बही फंटा में फायरिंग हुई है? उस समय तक उन्हें घटना की सूचना नहीं मिली थी। उन्होंने मौके पर मौजूद सीएसपी थोटा व सीआरपीएफ के अध्ािकारियों से फायरिंग की जानकारी पूछी तो उन्होंने बताया कोई फायरिंग नहीं हुई है।
यही जानकारी उन्होंने वरिष्ठ अध्ािकारियों को दे दी, जबकि उस समय तक मौके पर सीआरपीएफ के जवान अपने आत्मरक्षार्थ उपद्रवियों को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग कर चुके थे, जिसके कारण तीन लोगों की मौत हुई थी।