आदिवासी बच्चों को बाइबिल पढाने के मामले में आठ आरोपियों के खिलाफ धर्मान्तरण का प्रकरण दर्ज
रतलाम,22 मई (इ खबरटुडे)। बीती रात बाइबिल पढाने के लिए नागपुर ले जाए जा रहे आदिवासी बच्चों के मिलने के करीब चौबीस घण्टों बाद रेलवे पुलिस ने आठ आरोपियों के विरुध्द धर्मान्तरण का आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। सबसे पहले इ खबरटुडे ने रेलवे पुलिस का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया था कि यह मामला धर्मान्तरण का है और मध्यप्रदेश में धर्मान्तरण विरोधी कानून लागू है।
उल्लेखनीय है कि रविवार रात आरपीएफ ने 59 बच्चों को मेमू ट्रेन से उतारा था। झाबुआ के विभिन्न गांवों के इन आदिवासी बच्चों को बाइबिल पढाने के लिए बस से इन्दौर और फिर वहां से नागपुर ले जाया जा रहा था। आरपीएफ द्वारा बच्चों को ट्रेन से उतारे जाने के बाद यह मामला शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के हवाले कर दिया गया था। मौके पर विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता भी बडी संख्या में पंहुच गए थे। इनका आरोप था कि इन आदिवासी बच्चों का धर्मान्तरण करने के लिए ले जाया जा रहा है। मामले को गरमाता देख जीआरपी के अधिकारियों ने पकडे गए बच्चों को चाइल्ड हेल्प लाइन को हवाले कर दिया था। इन बच्चों को ले जाने वाले वयस्क व्यक्तियों को जीआरपी ने अपनी हिरासत में ले लिया था। जीआरपी के अधिकारी सारा दिन इसी उहापोह में लगे थे कि इस मामले में क्या कार्यवाही की जाए। सुबह एसपी अमित सिंह व जिले के अन्य पुलिस अधिकारी भी रेलवे स्टेशन पंहुचे थे। जिले के पुलिस अधिकारियों ने भी इस मामले में जांच की थी। इ खबरटुडे ने सबसे पहले इस तथ्य को उठाया था कि मध्यप्रदेश में 1968 से धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम लागू है ,जिसके तहत धर्मान्तरण करना या धर्मान्तरण का प्रयास करना दोनो ही दण्डनीय अपराध है। इसलिए इस मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।
दिन भर चली मशक्कत के बाद आखिरकार देर रात को जीआरपी ने बच्चों को ले जाने वाले आठ व्यक्तियों के विरुध्द धर्मान्तरण का आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया। जीआरपी के डीएसपी ध्रुवराज सिंह चौहान ने बताया कि जीआरपी टीआई अभिषेक गौतम द्वारा की गई जांच के बाद प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि इन बच्चों के धर्मान्तरण का प्रयास किया जा रहा था। इसलिए फिलहाल आठ आरोपियों के विरुध्द आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है।