September 29, 2024

पत्रकारिता के बढ़ते और बदलते आयाम पर शोध संगोष्ठी आयोजित

रतलाम,10 अप्रैल (इ खबरटुडे)। प्रोफेसर कॉलोनी स्थित डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान में पत्रकारिता के बढ़ते और बदलते आयाम पर शोध संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक तुषार कोठारी, अध्यक्षता पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष उमेश मिश्रा, विशेष अतिथि के रूप में प्रेस क्लब अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन, साहित्यकार आशीष दशोत्तर उपस्थित थे।
श्री कोठारी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारिता विचार प्रधान थी और आज समाचार प्रधान है। सरकार और मीडिया संस्थानों को वर्तमान में पत्रकारिता के गिरते स्तर को सुधारने के लिए नये नियम कानूूनों को लागू करने के प्रयास करने चाहिए। आज अखबार में विचार नहीं समाचार ही समाचार रहता है। ये पत्रकारिता सम्पूर्ण नहीं होती, पत्रकारिता भी आत्म विचार है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आने से पत्रकारिता में व्यापारीकरण हुआ है। श्री जैन ने कहा कि जब देश गुलाम था तब पत्रकार आजाद था लेकिन आज देश आजाद है और पत्रकार गुलाम है। वर्तमान में मीडिया भटक चुकी है पेड न्यूज का जमाना है। तथ्यों को समेटना, उसका विशेलषण करना और उसके बाद प्रकाशन करना पत्रकारिता है। श्री दशोत्तर ने कहा कि पत्रकारिता मिशन नहीं मशीन बन गई है। आज की पत्रकारिता ने शिष्ट, निष्ट और निष्ठा तीनों ही प्रवृत्तियां खोई है। न तो शिष्टाचार है ना ही मधुरता है और ना ही निष्ठा है। सकारात्मक, नकारात्मक और संक्रमण काल जानने की जरूरत है, जिससे पत्रकारिता की मूल आत्मा प्रभावित न हो। श्री मिश्रा ने कहा कि पत्रकारिता पर शोध कठिन कार्य होता है। सौ बके एक लिखे और लिखे का इतिहास होता है। सोशल मीडिया लोगों को भ्रमित कर रही है। टीआरपी की दौड़ में लगे है। पत्रकारिता नित आयाम बदलते जा रहे है।
संस्थान की निदेशिका डॉ. शोभना तिवारी ने कहा कि साहित्यक समाज का दर्पण होता है और पत्रकारिता समाज से साक्षात्कार करवाती है। शोध छात्र अनुराग दुबे ने अपना शोध विषय प्रवर्तन किया। अतिथियों का स्वागत संस्था के पदाधिकारियों द्वारा शाल, श्रीफल भेट कर किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार गोविंद उपाध्याय, जितेन्द्रसिंह सोलंकी, मुकेश पुरी गोस्वामी, अदिति मिश्रा, दीपक जैन आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालक डॉ. शोभना तिवारी ने किया एवं आभार डॉ. दिनेशचन्द्र तिवारी ने माना।

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