October 6, 2024

हस्तशिल्प मेले में गोबर और मांडने का अनूठी सामग्री

गोबर धन और स्वास्थ्य भी देता है- मेला प्रभारी दिलीप सोनी

रतलाम 16 फरवरी(इ खबरटुडे)। रोटरी हाॅल, अजंता टाकिज़ रोड़, रतलाम में संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम का हस्तशिल्प मेला चल रहा है। मेले में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों की प्रसिद्ध हाथ से बनी वस्तुएं खूब पसंद की जा रही है। इन्हीं वस्तुओं में गोबर और मिटटी से बनी कई आकर्षक चीजें और मांडने की कलाकारी लोगों के लिए अनूठी है। यह रतलाम निवासियों के लिए नई चीज है। यह सामग्री घर को सुंदरता प्रदान तो करती ही है साथ ही परोबैंगनी किरणों से भी रक्षा कर परिजनों को स्वस्थ रखता है।

मेले में घर की उपयोगी वस्तुओं के अलावा, स्वास्थ्य, सौंदर्य, सजावट की कलात्मक सामग्री बहुत ही आसान कीमतों पर मिल रही है। इस बारे में जानकारी देते हुए मेला प्रभारी दिलीप सोनी ने बताया कि गोबर और मिटटी के मिश्रण के तय अनुपात में वस्तुएं बनाए जा रही है। यह सामग्री काफी सस्ती है, लेकिन इसके उत्पाद जब बनकर तैयार हो रहे हैं तो बरबस हर किसी का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। दीपावली के अलावा घरों में मांगलिक कार्य के दौरान बंदनवार बांधी जाती है। यह बंदनवार गोबर, मिटटी की बनी होती है। जब घर के प्रवेश द्वार पर बांधी जाती है तो तय मानिए की शास्त्रोक्त शुद्धता घर-परिवार की बनी रहती है। इसी मिश्रण से टेबल पर रखा जाने वाला पेपर वेट, दीवार घडियां, को कोस्टर, प्रतिक चिह्न आदि मिल रहे हैं। श्री सोनी ने बताया कि जबलपुर से आए कलाकार कासी इस कला में सिद्धहस्त है। उनकी बनाई सामग्री प्रदेश के कई बडे घरानों और सरकारी भवनों की शोभा बनती है। श्री कासी की विशेष बात यह है कि उन्हें यदि डिजाईन दे दी जाए तो वे मांग के अनुसार भी सामग्री बना देते हैं। दोनो मिश्रण बिना किसी हानि के घर, परिवार, दुकान की साख और समृद्धि बढ़ाने में बहुत सहायक है।
घर में मांगलिक कार्य हो, आंगन अच्छा लिपा हो, पक्का फर्श को सजाना हो मांडने की जरूरत लग जाती है। पहले कच्चे आंगन में यह काम गेरू और खडिया से हो जाता था। घर की हर महिला इस कार्य में पारंगत थी, लेकिन जब पक्के फर्श आए हैं यह काम प्लास्टिक के चिपकने वाले मांडनों ने ले लिया, लेकिन उनका पूजन और वास्तु के हिसाब से महत्व नहीं रहता है। आंगन और चैक में आज भी सफेद और लाल रंग अपनी छाप छोडते हैं। इस काम को आगे बढ़ाने का जिम्मा इंदौर की मीना श्रवण ने उठाया है। मीना की मांडना में ऐसी महारत है कि मप्र सरकार ने उनके मांडने को लेकर एक केलेंडर तक जारी कर दिया। मीना ने पक्के फर्श पर मांडने उकरने के लिए सिरेमिक रंग का इस्तेमाल किया, लेकिन यह रंग किसी भी स्थिति में नकारात्मक प्रभाव नहीं छोडते हैं। मीना के अनुसार रंगों से मांडने की कला अन्य लोगों तक पहुॅंचे। भगवान या मंगल काम मंे उनकी उपयोगिता नजर आए इसके लिए वह हर किसी को प्रशिक्षिण देने के लिए भी हर समय तैयार रहती है। इतना ही नहीं आज भी किसी बड़े सरकारी काम में मीना की मांग बनी रहती है। इसलिए मांडने में मीना का हाथ बिल्कुल साफ हो गया है।

मीना के अनुसार मांडने बनाने के लिए पहले घर की कन्याएं सामने आती थी। जब मांडना बनता था तो पूरे घर में मानों फूल खिलने और खुशी बिखरने जैसा माहौल बन जाता था। आज फिर आधुनिक स्वरूप में मांडने की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। मेले में मांडने की कई कलाकृतियां बनाकर लेकर आई है। उसमें कई प्रकार की डिजाईन है जो अब हर कहीं नजर नहीं आती है। मीना का कहना है कि अपने घरों में यदि आज भी मांडने बनाए जाए तो कहीं न कहीं उसका अच्छा प्रभाव नजर आता है। मेले में 50 से ज्यादा शिल्पी एवं बुनकर उपस्थित है। मेला प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात्रि 9 बजे तक सभी कलाप्रेमियों के लिए खुला रहेगा।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds