गरीबों के लिए सख्त,अमीरों के लिए नर्म है पुलिस
सटोरियों के खिलाफ हुई कार्रवाईयों में उजागर हुआ पुलिस का दोहरा रवैया
रतलाम,२३ मार्च (इ खबरटुडे) अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में पुलिस दोहरा रवैया अपनाती है। जब आरोपी साधनसम्पन्न और अमीर हो तो पुलिस का रवैया दोस्ताना होता है लेकिन यदि आरोपी गरीब हो तो पुलिस के अफसर तमाम नियम कायदें सख्ती से लागू करते है। हाल के दिनों में पुलिस ने इस बात को पूरी तरह साबित किया है। जब जुआ खेल रहे लोग साधन संपन्न थे,तो पलक झपकते जमानत हो गई,लेकिन जब जुआरी आर्थिक रुप से कमजोर थे तो उनकी जमानत को रोकने के प्रयास खुद पुलिस अधिकारी कर रहे थे।
शहर में पिछले दिनों दो अलग अलग घटनाए हुई जिनमें पुलिस ने जुआ खेल रहे लोगों को धरदबोचा। पहली घटना सागोद रोड पर कुख्यात सटोरिये पप्पू सैक्सी के घर पर हुई। यहां पुलिस ने दस बडे साधनसंपन्न व्यवसाईयों को पकडा था। शुरुआती दौर में तो पुलिस के अफसरों ने बडी सख्ती और आदर्शवादिता दिखाई। लेकिन थोडा समय गुजरने के बाद आरोपियों के लिए पुलिस का व्यवहार दोस्ताना हो गया। थाने पर आरोपियों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। अगले दिन जब उन्हे एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया तो फौरन जमानत भी दे दी गई। मजेदार बात यह है कि इस छापे के दौरान पुलिस को एक आरोपी के पास से पिस्टल व एक अन्य आरोपी के पास से तलवार मिली थी। चूंकि आरोपी के उंचे सम्पर्क थे और वह साधन सम्पन्न था,पुलिस ने रातोरात आरोपी ही बदल दिया। पिस्टल की जब्ती उस व्यक्ति से दिखा दी गई जो मौके पर मौजूद ही नहीं था।
दूसरी घटना दो दिन पूर्व कुमावत धर्मशाला में हुई। कुमावत समाज द्वारा रंग तेरस का त्यौहार मनाए जाने के बाद कुछ लोग वहीं जुआ खेलने लगे। पुलिस अधीक्षक द्वारा बनाई गई अनाधिकृत स्क्वाड ने धर्मशाला पर छापा मारा और जुआ खेलते छ: लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इनके कब्जे से पन्द्रह हजार रुपए भी बरामद किए गए।
चूंकि ये जुआरी कुमावत समाज के होकर आर्थिक रुप से उतने सम्पन्न नहीं थे,जितने पहले वाले आरोपी,इसलिए पुलिस के अफसर इनकी जमानत रुकवाने की कोशिशों में जुट गए। आरोपियों को २१ मार्च की रात को पकडा गया था। २२ मार्च को जब इन्हे एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया तो पुलिस अधिकारियों ने इनकी जमानत नहीं होने देने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाया। परिणाम यह हुआ कि सभी छहो आरोपियों का जेल वारन्ट बनाकर इन्हे जेल भेज दिया गया। मामले ने रोचक मोड तब लिया जब गिरफ्तार आरोपियों के लिए पुलिस अफसरों के पास भोपाल से फोन आ गए। भोपाल से मिली डांट फटकार के बाद जेल में बन्द किए जा चुके आरोपियों को ताबडतोड तरीके से रात आठ बजे जेल से रिहा किया गया। सामान्य तौर पर सूर्यास्त के बाद जेल में बन्द आरोपियों को रिहा नहीं किया जाता लेकिन चूंकि भोपाल से कडी फटकार मिली थी इसलिए पुलिस के आला अफसर ने जेल अधिकारियों से चर्चा कर नियमों के परे जाकर रात आठ बजे आरोपियों को जेल से निकलवाया।
जानकार सूत्रों के मुताबिक जुए के आरोपियों को अपवादस्वरुप रात आठ बजे जेल से रिहा करने की कहानी भी बेहद रोचक है। सूत्रों के मुताबिक आरडीए चैयरमेन विष्णु त्रिपाठी ने इन आरोपियों की रिहाई के लिए एसपी रमनसिंह सिकरवार से चर्चा की थी,लेकिन एसपी साहब ने श्री त्रिपाठी को साफ इंकार कर दिया। बाद में भाजपा के ही एक अपेक्षाकृत छोटे नेता ने भोपाल के बडे नेताओं से पुलिस अधिकारियों को फोन लगवाए। तब कहीं जाकर आरोपियों को तत्काल रिहा किया गया।
इन दो घटनाओं से पुलिस का दोहरा रवैया साफ उजागर हो गया है। पुलिस के इस दोहरे रवैये को लेकर तरह तरह की चर्चाएं जोर पकड रही है।