चुनाव से 3 दिन पहले बजट क्यों ? 11 विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से की शिकायत
नई दिल्ली,05 जनवरी (इ खबरटुडे)। पांच राज्यों में 4 फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा चुनावों से ठीक 3 दिन पहले आम बजट को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग में अपना विरोध दर्ज कराया है. विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे केंद्र की सरकार को फायदा हो सकता है. गुरुवार को कई विपक्षी दलों के नेता इस मामले की शिकायत लेकर चुनाव आयोग पहुंचे थे.
चुनाव आयोग जाने वाले नेताओं में शामिल थे- कांग्रेस के आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, त्रिची शिवा, अहमद पटेल, टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन और सौगत रॉय, सपा के नेता नरेश अग्रवाल. मुलाकात के बाद गुलाम नबी आजाद ने बताया कि विपक्षी दलों ने अपनी आपत्ति आयोग के सामने रख दी है. चुनाव से ठीक 3 दिन पहले बजट पेश होने देना उचित नहीं है. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 31 मार्च तक कभी भी बजट पेश किया जा सकता है. सरकार को 8 मार्च को चुनाव खत्म होने के बाद बजट पेश करना चाहिए. निष्पक्ष चुनाव के लिए ये जरूरी है.
क्या कहना है सरकार का
विपक्ष की 11 पार्टियों की शिकायत पर वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि बजट 1 फरवरी को ही पेश होगा. चुनाव आयोग जो भी निर्देश देगा उसका पालन होगा. निर्वाचन आयोग को पहले से ही इसकी जानकारी थी कि बजट पहले प्रस्तुत होगा. निर्वाचन आयोग ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए तिथियां चुनाव की तय की हैं. हम ऐसा मानते हैं कि इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा. बजट एक अलग प्रक्रिया है. इससे पहले भी ऐसी प्रक्रिया होती आई है.
जेटली ने साधा विपक्ष पर निशाना
इस बीच, केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस कदम का बचाव किया है. अरुण जेटली ने इस बाबत विपक्षियों पर निशाना साधते हुए पूछा कि एक तरफ तो वे नोटबंदी को अलोकप्रिय फैसला बताते हैं, तो फिर वे इससे भयभीत क्यों हैं. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘ये वे राजनीतिक दल हैं, जो कहती हैं कि नोटबंदी की लोकप्रियता बहुत कम है. तो फिर वे आम बजट से डर क्यों रहे हैं?’
समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि हम इस मसले को लेकर चुनाव आयोग पत्र लिखने की तैयारी में हैं जिस प्रकार हमनें 2012 में किया था, बजट सेशन आने वाले चुनावों को प्रभावित कर सकता है. नरेश अग्रवाल बोले कि जब आचार संहिता लागू हो चुकी है तो बजट कैसे पेश हो सकता है? कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि चुनावों से पहले बजट अगर पेश होता है तो वह वोटरों को प्रभावित कर सकता है, इसलिए बजट को चुनाव तक टाल देना चाहिए.