बलूचों ने संयुक्त राष्ट्र के सामने पाक के खिलाफ प्रदर्शन किया
न्यूयॉर्क,14 सितंबर (इ खबरटुडे)। बलूच कार्यकर्ताओं के एक समूह ने यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने बलूचिस्तान में पाकिस्तान द्वारा मानवता के खिलाफ किए जा रहे अपराधों का हवाला देते हुए आजादी की मांग की।
इस प्रदर्शन का आयोजन फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट (एफबीएम) ने किया था। यह प्रदर्शन महासभा के 71वें सत्र की शुरुआत के समय किया गया। अमेरिकी और बलूच झंडों को लहराते हुए प्रदर्शनकारियों का एक छोटा समूह संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर पहुंचा। वे बैनर लिए हुए थे, जिन पर बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन बंद करो, बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है आदि नारे लिखे थे।
प्रदर्शनकारियों ने लाल रंग में रंगी पांच गुड़ियों को भी प्रदर्शित किया। इनके जरिये वे बलूचिस्तान में जारी रक्तपात को दर्शाना चाहते थे। गुड़ियों के आगे बिछे सफेद बैनर पर लिखा था, बलूच बच्चों को बचाओ। कुछ प्रदर्शनकारियों की सफेद टी-शर्ट पर काले रंग से लिखा था, बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का खौफनाक उल्लंघन। प्रदर्शनकारी नारे भी लगा रहे थे, जिनमें भारत और संयुक्त राष्ट्र से मदद की गुहार भी शामिल थी। उन्होंने बलूचिस्तान को दूसरा बांग्लादेश बताया।
बलूचों का आरोप है कि पाकिस्तानी बलों ने बीते कुछ सालों में लगभग पांच हजार बलूचों को मार डाला है और 20 हजार को जबरन लापता कर दिया है। एफबीएम ने एक बयान में कहा, इस प्रदर्शन का उद्देश्य बलूचिस्तान में पाक सरकार द्वारा मानवता के खिलाफ जारी अपराधों को रेखांकित करना और बलूच राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघर्ष के बारे में जागरूकता फैलाना है। यह संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी है कि वह अपने चार्टर के उल्लंघन और बलूचिस्तान में पाकिस्तान द्वारा की जा रही क्रूरता का संज्ञान ले।
ये प्रदर्शन एक ऐसे समय पर हो रहे हैं, जब महज एक सप्ताह बाद ही विभिन्न देशों और सरकारों के प्रमुख वैश्विक संस्था के मुख्यालय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र के दौरान उच्च स्तरीय आम बहस के लिए जुटने वाले हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ 21 सितंबर को महासभा को संबोधित करेंगे। इसके पांच दिन बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज वैश्विक नेताओं को संबोधित करेंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में बलूचिस्तान का जिक्र किया था, जिसके बाद वहां के हालात पर दुनियाभर में नए सिरे से चर्चा शुरू हो गई।