मौन में जितनी ताकत है उतनी बोलने में नहीं: मुनिराजश्री
रतलाम 04 अगस्त(इ खबरटुडे)। बिन्दी बोलती नहीं, तो उसे मस्तक पर ऊंचा स्थान मिलता है, पायल बहुत बोलती है तो उसे पैरों में नीचा स्थान मिला है। ज्यादा बोलने वालों की कोई कीमत नहीं होती। वचनों का कभी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। मौन में जितनी ताकत है, उतनी बोलने में नहीं होती।
यह बात राष्ट्रसन्त, वत्र्तमानाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिराज श्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कही। उन्होंने उत्तराध्ययन सूर्त का वाचन करते हुए वचन की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि मनुष्य को हमेशा उपयोग वाले वचन ही बोलना चाहिए, निरर्थक नहीं बोलना चाहिए। साधुओं के लिए भगवान ने जो आचार संहिता बनाई है, उसके मुताबिक वे जितना आवश्यक होता है, उतना ही बोलते हैं और अधिक से अधिक स्वाध्याय में रहते हैं । कई बार गुरुभक्त यह सोचते हैं कि हम इतनी दूर से आए और साधु-महात्मा देखते और बोलते भी नहीं हैं। इसका सही कारण यह है कि साधु भगवान की आज्ञा का पालन कर रहे होते हैं, उसका बुरा नहीं मानना चाहिए।
मुनिराजश्री ने कहा कि वचन की प्रेरणा बांसुरी से लेना चाहिए। बांसुरी में चार गुण होते हैं – पहला वह बिना बुलाए कभी बोलती नहीं है, दूसरा जब भी बोलती है मीठा ही बोलती है, तीसरा अपने अन्दर कभी गांठ नहीं रखती और चौथा वह अपने छिद्रों को कभी छुपाती भी नहीं है। दुनिया की सभी समस्याएं बोलने से उपजती हैं। रामायण, महाभारत सभी इसी कारण हुए हैं। मौन रहने वाले की गाड़ी हमेंशा आगे बढ़ती है, इसलिए बोलने के बजाए मौन धारण करना अधिक हितकर है। धर्मसभा में चातुर्मास आयोजक व विधायक चेतन्य काश्यप परिवार की ओर से मातुश्री तेजकुंवरबाई काश्यप तथा श्रीमती नीता काश्यप ने तपस्वी बहन मधुबाला भण्डारी का बहुमान किया। तपस्वी श्रेणिक चत्तर का बहुमान अजीत सकलेचा एवं पंकज सकलेचा ने किया। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ अचला भाईचंद नैनावा ने लिया।
प्रभु भक्ति के साथ श्री काश्यप का बहुमान –
जयन्तसेन धाम में संदीप चण्डालिया के तपोत्सव के तहत प्रभु भक्ति का आयोजन किया गया। इसमें चण्डालिया परिवार की ओर से रमेशचन्द्र चण्डालिया] सुनील चण्डालिया] सुदीप चण्डालिया] विपीन चौरडिया ने चातुर्मास आयोजक एवं विधायक चेतन्य काश्यप का बहुमान किया। तपस्वी संदीप का श्री काश्यप एवं सिद्धार्थ काश्यप द्वारा बहुमान किया गया। गुरुवार को राष्ट्रसन्तश्री की निश्रा में पंचान्हिका महोत्सव भी शुरू हुआ, जिसमें पहले दिन महावीर पंच कल्याणक महापूजन का आयोजन किया गया। इसका लाभ डालचंद रतनलाल सुराणा परिवार ने लिया।