आपसी फूट और गुटबाजी के चलते भाजपा का महाजनसम्पर्क फ्लाप
नेता उलझे विवादों में,कार्यकर्ता नहीं जुड पाए अभियान से,मतदाताओं से सम्पर्क नहीं
रतलाम,8 मार्च(इ खबरटुडे)। चुनाव से पहले आम मतदाता से सीधा सम्पर्क करने के लिए प्रदेश स्तर पर प्रारंभ किया गया भाजपा का महाजनसम्पर्क अभियान,जिले के नेताओं की आपसी फूट,विवादों और गुटबाजी के चलते पूरी तरह फ्लाप हो गया है। अभियान से भाजपा के कार्यकर्ता जुड ही नहीं पाए है। दूसरी ओर भाजपा के नेता जिले भर में हो रही बगावत को दबाने तक में नाकाम साबित हो रहे है। भाजपा की फूट का नतीजा है कि नगर निगम में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तक पेश किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के मतदाताओं से सीधे सम्पर्क के लिए भाजपा ने रविदास जयन्ती से महाजनसम्पर्क अभियान प्रारंभ किया था। १५ मार्च तक चलने वाले इस महाजनसम्पर्क अभियान में भाजपा ने बूथ स्तर तक प्रत्येक मतदाता तक पंहुच कर उससे सीधा सम्पर्क बनाने और मतदाता तक अपनी उपलब्धियां पंहुचाने की योजना बनाई थी। महाजनसम्पर्क अभियान के तहत प्रत्येक बूथ पर पन्द्रह से बीस भाजपा कार्यकर्ताओं की टोली बना कर प्रत्येक मतदाता के घर तक पंहुचने का लक्ष्य सामने रखा गया था। कार्यकर्ताओं के निर्देश दिए गए थे कि वे मतदाता तक पंहुच कर इस बात का सर्वे भी करें कि राज्य शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ कहां तक और कितना पंहुचा है।
प्रदेश भाजपा का यह महत्वाकांक्षी अभियान रतलाम जिले में भाजपा नेताओं की आपसी फूट और विवादों के चलते पूरी तरह फ्लाप शो बनकर रह गया है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक जिला मुख्यालय से लगाकर दूरस्थ ग्रामीण अंचल तक कहीं भी उस तरह का महाजनसम्पर्क नहीं हो पाया है,जैसे कि प्रदेश ने निर्देश दिए थे। जिले के विभिन्न स्थानों पर नेताओं ने जनसम्पर्क के नाम पर रस्मअदायगी कर अखबारों में खबरें जरुर छपवा ली लेकिन मतदाता तक सीधा सम्पर्क या सर्वे किए जाने जैसा कोई काम नहीं हुआ।
बगावत से निपटें या जनसम्पर्क करें
अनुशासित और कैडर बेस कही जाने वाली भाजपा की स्थिति फिलहाल बेहद दयनीय है। भाजपा की नई जिलाकार्यकारिणी घोषित होने के बाद से संगठन में भारी असंतोष व्याप्त है। भाजपा के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष बजरंग पुरोहित की नियुक्ति पर ही भाजपा के नेता सवालिया निशान खडे कर रहे है। इसके साथ ही पूरी कार्यकारिणी पर भी आपत्तियां दर्ज कराई जा रही है। इन्ही आपत्तियों का असर है कि भाजपा जिलाध्यक्ष निर्वाचित संस्थाओं में हो रही बगावत पर अंकुश नहीं लगा पा रहे है।
नगर निगम के सात भाजपा पार्षद महापौर शैलेन्द्र डागा से नाराजगी के चलते त्यागपत्र दे चुके है। जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी थी कि वे इस समस्या को सुलझाते लेकिन बागी पार्षदों ने जिलाध्यक्ष को भी कटघरे में खडा कर दिया। इसी तरह जावरा और आलोट में भी निर्वाचित संस्थाओं में बगावत की स्थिति सामने आने लगी है। भाजपा की फूट का ही नतीजा है कि नगर निगम में कांग्रेस निगम अध्यक्ष के विरुध्द अविश्वास प्रस्ताव ले आई है। भाजपा के नेता दावा तो कर रहे है कि वे स्थिति को संभाल लेंगे लेकिन यदि असंतुष्ट भाजपा पार्षद काबू में नहीं आए तो अध्यक्ष पद खतरे में पड सकता है। ऐसी स्थिति पूरी भाजपा के लिए शर्मनाक हो जाएगी।
नेताओं की समस्या यह है कि वे बगावत के आसन्न संकटों से निपटें या प्रदेश द्वारा चलाए जा रहे महाजनसम्पर्क अभियान पर ध्यान दें। भाजपा के महाजनसम्पर्क अभियान का एक महत्वपूर्ण पहलू आम कार्यकर्ताओं को सक्रीय करने का भी था। नेताओं की आपसी खींचतान के चलते आम कार्यकर्ता तो दूर निर्वाचित पार्षद भी इस अभियान से नहीं जुड पाए है। आम कार्यकर्ता भाजपा नेताओं की सिर फुटौव्वल देख देख कर हैरान है।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक महाजनसम्पर्क अभियान की समीक्षा के लिए शुक्रवार को भाजपा की एक बैठक भा रखी गई है। इस बैठक में अभियान की समीक्षा कैसे होगी यह भी बडा रोचक मामला होगा। महाजनसम्पर्क के नाम पर शहर के कुछेक ईलाकों में छिटपुट कार्यक्रम हो पाए है। ऐसे में अभियान के बचे हुए एक सप्ताह में भाजपा के नेता क्या कर पाएंगे?