February 2, 2025

Raag Ratlami Illigal Madrsaa : जिले में जगह जगह जेहादी जहर की अवैध फैक्ट्रियां,सरकारी महकमे सांप निकलने के बाद पीटते है लकीरें

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रतलाम। जिले में जगह जगह जेहादी जहर की फैक्ट्रियां चलाई जा रही है। सूबे की राजधानी से आकर निरीक्षण करने वाले इन फैक्ट्रियों का पता जानते है,लेकिन जिले के जिम्मेदार अफसरों की इसकी खबर नहीं होती। मामला उजागर हो जाने के बाद भी सरकारी महकमों के अफसरों का रवैया सांप निकल जाने के बाद लकीरें पीटने जैसा होता है।

जिले में इस तरह के वाकये दो बार पेश आ चुके है। बच्चों के अधिकारों का संरक्षण करने वाली आयोग की मैडम इससे पहले भी एक बार सीधे राजधानी से आई और शहर के नजदीक ही चलाए जा रहे लडकियों के अवैध होस्टल में जा पंहुची। दीनी तालीम देने के नाम पर चलाए जा रहे इस अवैध होस्टल में बच्चों के लिए बनाए गए सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर नन्ही बच्चियों को अमानवीय स्थितियों में रखा गया था और उन्हे स्कूली शिक्षा तक से वंचित कर दिया गया था। आयोग द्वारा इस सम्बन्ध में विस्तृत प्रतिवेदन दिए जाने के बाद भी इस बात की कोई जानकारी सामने नहीं आई कि इतने सारे अवैध काम करने वालों के खिलाफ कार्यवाही क्या की गई? यह भी पता नहीं चल पाया कि जिन बच्चियों की यहां अमानवीय स्थितियों में पाया गया था उनका हुआ क्या?

यह तो पुरानी बात हो गई। लेकिन हाल ही में फिर से ऐसा ही मामला सामने आया। भोपाल वाली मैडम जी दोबारा से जिले में आई तो एक छोटे से गांव में चलाई जा रही जेहादी जहालत की फैक्ट्री में जा पंहुची। कमाल ये है कि जेहादी जहालत की ये फैक्ट्री बरसों से रतलाम में चलाई जा रही है,लेकिन रतलाम के जिम्मेदार अफसरों को इसकी खबर तक नहीं थी। जेहादी जहालत की इस फैक्ट्री में भी सत्तर से ज्यादा नन्हे नौनिहालों को दीनी तालीम के नाम पर जेहादी जहालत सिखाई जा रही थी। मैडम जब वहां पंहुची,तो वहां भी उन्होने तमाम नियम कायदों को खूंटी पर टंगा हुआ पाया।

भारत देश में बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार कानूनी रुप से दिया गया है,लेकिन जेहादी जहालत वालों ने इन बच्चों का स्कूल जाना ही बन्द करवा दिया। इन बच्चों को सारा दिन दीनी तालीम के नाम पर जेहादी जहालत सिखाई जा रही थी। इतना ही नहीं,देश के दूर दूर के इलाकों के गरीब और असहाय बच्चों को लाकर यहां रखा गया था,ताकि उन्हे जेहादी जाहिल बनाया जा सके। भोपाल से आई मैडम ने जब इन नन्हे बच्चों से बातचीत की तो बच्चों ने जो कहा उससे पूरी तरह साबित हो गया कि उन्हे सिर्फ जेहादी जहालत सिखाई जा रही थी। बच्चों ने कहा कि उन्हे जन्नत में जाना है और स्कूल में जाने से जन्नत नहीं मिलती। उनकी स्कूली पढाई बन्द करवा दी गई थी। बच्चों को बिना किसी इजाजत के होस्टल चलाकर यहां रखा जा रहा था। मैडम के निरीक्षण में एक के बाद एक तमाम पोल पïट्टी उजागर होने लगी। मैडम जेहादी जहालत की इस फैक्ट्री से कई सारे दस्तावेज वगैरह जब्त करके ले गई। तमाम सारी कहानी खबरचियों के जरिये जनता के बीच में भी पंहुच गई। लेकिन कमाल देखिए कि जिले के जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेगी।

जेहादी जहालत की फैक्ट्री चलाने वाले इस निरीक्षण से घबराए हुए थे,इसलिए अगले ही दिन फैक्ट्री को समेटने की तैयारियां शुरु हो गई। बच्चों को वहां से कहीं दूसरी जगहों पर भेज दिया गया,सामान और फर्निचर भी रवाना हो गया और फैक्ट्री चलाने वाले भी गधे के सिर से सिंग की तरह गायब हो गए। जिले के जिम्मेदार सोते ही रहे। वे इस बात का इंतजार करते रहे कि जब भोपाल वाली मैडम उन्हे निर्देश देगी,तब ही वे कोई कदम उठाएंगे। उससे पहले उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती।

चाहे बच्चों के लिए बनाए तमाम कानूनों की रोजाना धज्जियां उडती रहे। बच्चों को जेहादी जहालत में धकेला जाए। बच्चों को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित कर दिया जाए। लेकिन जिले के जिम्मेदारों का इससे कोई सरोकार नहीं। वे बडे बडे दफ्तरों में बैठ कर केवल कागली खानापूर्ति करने के लिए तैनात है। जिस महकमे पर बच्चों और महिलाओं के कल्याण की जिम्मेदारी है,उस महकमे के अफसर हो या बच्चों को पढाने वाले महकमे के अफसर,सब के सब इस पूरे वाकये को चुप्पी साध कर देखते रहे। वे भूल गए कि इस तरह के मामलों में कार्यवाही करने की जिम्मेदारी सरकार ने उन्ही को सौंपी है। इतना ही नहीं,जिला इंतजामिया के बडे साहब भी राजधानी से आने वाले निर्देशों को इंतजार ही करते रहे।

नतीजा वही निकला। सांप निकल गया,अब अफसर लकीरें पीटने की कोशिशों में लगे है। लेकिन इससे भी बडा सवाल अब भी मौजूद है। जिले में जेहादी जहालत की इस तरह की अवैध फैक्ट्रियां दूर दराज के गांवों तक बेखटके बेरोकटोक चल रही है। जिले के जिम्मेदार इनकी ओर देखना तक पसन्द नहीं करते। जरुरत इस बात की है कि इस तरह की गडबडियां मिलने पर जिले में तैनात जिम्मेदारों पर भी कार्यवाही की जाए ताकि उन्हे इस बात का एहसास हो सके कि कानूनों को ताक पर रखे जाने के मामलों में कार्यवाही करने की पहली जिम्मेदारी उन्ही की है। अगर वे अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते तो उन्हे इसकी सजा मिलनी चाहिए।

जेहादी सोच के चलते एक हिस्ट्री शीटर ने महादेव का अपमान करने वाला विडीयो वायरल कर दिया। विडीयो वायरल होता रहा और महादेव के भक्त दुखी होते रहे। आखिरकार इस बात से बवाल बढने लगा और बात वर्दी वालों तक जा पंहुची। वर्दी वालों ने तुरत फुरत उस हिस्ट्रीशीटर को धर दबोचा। अब वह सींखचों के पीछे है। लेकिन वर्दी वालों ने मामले को बडे हल्के में निपटा दिया। इस तरह की भडकाउ हरकत करने वाले के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होना चाहिए थी कि उसे अपनी गलती हमेशा याद रहती। लेकिन ऐसा हुआ नही। गुस्से में भडके महादेव के भक्तों ने महादेव का अपमान करने वाले को खुद सबक सिखाने की सोची। जब वर्दी वाले उसे अस्पताल लेकर गए तो वहां मौजूद शिïवभक्तों ने उसकी जमकर धुलाई कर डाली।

वैसे शहर की हालत बारुद के ढेर पर बैठे हुए शहर जैसी है। जेहादी मानसिकता वाले लोगों की यहां कोई कमी नहीं है। सर तन से जुदा वाले नारे भी यहां लग चुके है। नारे भी उसी जेहादी ने लगाए थे,जिसने महादेव के अपमान वाला विडीयो वायरल किया था। इसीलिए लोगों को उम्मीद थी कि वर्दी वाले इस जेहादी को रासुका जैसे मामले में सींखचों के पीछे भिजवाएंगे ताकि वह लम्बे वक्त तक वहीं रह सके। लेकिन ऐसा हुआ नही। वर्दी वालों ने तो उस आदमी की तलाश भी नहीं की,जिसने ये विडीयो शूट किया था। विडीयो देखने से ही साफ हो जाता है,कि इस पूरे मामले में कम से कम एक आदमी और शामिल था,जिसने ये विडीयो बनाया। लेकिन उस आदमी पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। वर्दी वालों की इस तरह की ढील पोल कभी भी शहर पर भारी पड सकती है।

हफ्ते का आखरी दिन शहर वासियों के लिए बडा कौतूहल भरा और गर्व का दिन साबित हुआ। नारी को शक्ति रुप में पूजने वाले समाज की नारियां जब शहर के कोने कोने से शस्त्रों के साथ पोलोग्र्राउण्ड जाने के लिए निकली,तो देखने वालों को निश्चित रुप से गर्व की अनुभूति हुई। रतलाम के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर गौरवान्वित करने वाले दृश्य दिखाई देना सुखद होता है। जिस देश में एक तबका अपना नारियों को काले कपडों की कैद में रखकर खुश होता है,वहां बहुसंख्यक नारियां शस्त्रों से सुसज्जित होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती दिखाई देती है,तो यह उस तबके के लिए भी संदेश है कि उन्हे अपनी जहालत से आगे बढ जाना चाहिए।

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