Raag Ratlami Trible Unrest : लगातार तेज होती जा रही है आदिवासी इलाकों में बजती खतरे की घण्टी,खेल मेले के जरिये शहर को मिल गई कई सौगातें लेकिन जाम में फंसा रहा पूरा शहर
-तुषार कोठारी
रतलाम। हफ्ते का आखरी दिन जहां सूबे के मुखिया के नाम रहा,वहीं हफ्ता खत्म होते होते वर्दी वालों पर पथराव और विवादों की खबरें आने लगी। सूबे के मुखिया ने चेतना खेल मेले में आकर जहां खिलाडियों की हौंसला आफजाई की,वहीं जिले के लिए कई सौगातों की घोषणा भी कर डाली। सूबे के मुखिया अभी रतलाम से उडे ही थे कि जिले के आदिवासी अंचल के आखरी छोर पर बसे बाजना में बवाल की शुुरुआत हो गई। आदिवासी इलाके में अब खतरे की घण्टी बजने लगी और गुजरते वक्त के साथ इस घण्टी की आवाज तेज होती जा रही है।
अभी पिछले ही हफ्ते की तो बात है कि सैलाना से चुने गए माननीय ने सरकारी अस्पताल में पंहुचकर बवाल काटा था। पहले तो माननीय एक चिकित्सक से बेवजह भिड गए। फिर जब सफेद कोट वाले ने उन्हे लिफ्ट नहीं दी,तो मामला रिपोर्ट दर्ज कराने तक जा पंहुचा। दोनो तरफ से एफआईआर दर्ज करवा दी गई। माननीय को ये बात अखर गई,तो उन्होने सफेद कोट वाले को बर्खास्त कराने के नाम पर इंतजामिया के बडे साहब तक को भला बुरा कहा और शहर में जमकर जोर आजमाईश करने की ठानी। जिला इंतजामिया के अफसर पहले से भडके हुए थे,तो उन्होने जोर आजमाईश करने पर रोक लगा दी और माननीय को सींखचों के पीछे भेज दिया। अब माननीय सूबे की राजधानी में उठापटक कर रहे हैैं।
कुछ ही वक्त शांति से गुजरा था कि अब ये बाजना का नया बवाल सामने आ गया है। मामले की शुरुआत शुक्रवार को हुए रोड एक्सीडेन्ट से हुई जिसमें तेज रफ्तार वाली एक बस ने दो नौजवानों को कुचल कर मौत के घाट उतार दिया। इस दर्दनाक हादसे के बाद अगले दिन यानी शनिवार को मामला गरमाना शुरु हुआ। कुछ लोगों ने हादसे में मरे दोनो युवकों के शव बस संचालक के घर के सामने रखकर प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया। उनकी मांग थी कि बस मालिक मरने वालों के परिजनों को 25-25 लाख का यानी कुल 50 लाख रु.हर्जाना चुकाए। तौल मोल भाव ताव के बाद बस मालिक तेरह लाख रु.देने को भी राजी हो गया,लेकिन मांगने वाले अडे रहे। मामला देर रात को अचानक से बिगड गया,जब प्रदर्शन कर रहे लोगों ने वर्दीवालों पर पथराव कर दिया। इस पथराव में कई सारे वर्दी वाले घायले हो गए। इसके बाद वर्दी वालों ने जमकर लाठियां भांजी और आखिरकार हालात काबू में आए।
इसके बाद शुरु हुआ दूसरे वाले पक्ष का विरोध। बाजना के व्यापारियों ने भांजगडे के नाम पर होने वाली वसूली को लेकर दुकानें बन्द कर दी। उनका कहना है कि केवल यही नहीं बल्कि हर छोटे मोटे विवाद में भांजगडे के नाम पर मोटी रकम की वसूली की जाती है और आम व्यापारी इसका शिकार बन रहे है। सडक़ दुर्घटना के मामले में हर्जाना जरुर दिया जाता है,लेकिन ये हर्जाना वाहन की बीमा कंपनी पीडीत व्यक्ति को चुकाती है और इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया पूरी करना होती है। वाहन स्वामी से पचास लाख रु.जैसी बडी रकम की मांग किसी भी तरह जायज नहीं है। पूरे आदिवासी अंचल में आजकल इस तरह की अवैध वसूलियां बढ गई है। व्यापारियों को धमकाया जाता है और उनसे रंगदारी वसूली जाती है। अवैध मांग पूरी नहीं करने पर मारने पीटने की धमकियां दी जाती है और इन्हे पूरा भी किया जाता है।
समस्या सिर्फ यही नहीं है। पूरे आदिवासी अंचल में इन दिनों गले में क्रास लटकाए घूमने वालों की तादाद बढती जा रही है। जहां जहां गले में क्रास लटकाए लोग पंहुचते है,वहां के आदिवासियों में दूसरे वर्गोँ के प्रति घृणा बढने लगती है। वसूली के मामले भी बढते जा रहे है। आदिवासी अंचल में बज रही खतरे की घण्टी की आवाज तेज होती जा रही है। ये और तेज होगी तो देश में आखरी सांसे गिन रहे नक्सलवाद को नई सांसे मिलने लगेगी। ना सिर्फ वर्दी वालों को बल्कि सामाजिक संस्थाओं को भी इस चुनौती को गंभीरता से लेना चाहिए।
खेल मेले के जरिये शहर को मिली सौगातें
सूबे के मुखिया आए तो थे सिल्वर जुबली वाले खेल मेले की शुरुआत करने,लेकिन इस बहाने शहर को भी कई सौगाते मिल गई। उन्होने खेले मेले का शुभारंभ किया तो पूरे सूबे को मिलने वाली खेल सौगातों का जिक्र किया। उन्होने बताया कि सरकार ने खेलों के लिए पहली बार भारी भरकम बजट रखा है,जो कि साढे पांच सौ करोड से ज्यादा है। रतलाम में करोडों की लागत का स्पोर्ट काम्प्लेक्स बनाया जा रहा है। जिले के दूसरे शहरों में भी खेल सुविधाएं बढाई जा रही है। मौका खेल मेले का था,तो खेलों की बातें तो होना ही थी। लेकिन इस मौके पर भैयाजी और फूल छाप के नेताओं ने एक लम्बा चौडा मांग पत्र भी उन्हे थमा दिया। उज्जैन वाले भाई सा. ने इस मांग पत्र को पढने के साथ घोषणाएं शुरु कर दी। पहली मांग थी कि मेडीकल कालेज में दिल की बीमारियों का इलाज और सर्जरी करने के लिए अलग से ब्रान्च बनाई जाए। उन्होने तुरंत घोषणा कर डाली। दूसरी मांग थी कि नमकीन क्लस्टर और गोल्ड काम्प्लेक्स की तर्ज पर साडी क्लस्टर भी स्थापित किया जाए। उन्होने साडी क्लस्टर तो स्वीकृत कर ही दिया,इसके साथ ही यहां साडी निर्माण की इकाईयां शुरु करवाने की भी घोषणा कर डाली। रतलाम वालों की लिस्ट बहुत लम्बी थी,इसलिए बाद में उन्होने कह दिया कि बाकी की मांगे आने वाले दिनों में पूरी की जाएगी। कुल मिलाकर खेले मेले के बहाने रतलाम को कई सौगातें मिल गई।
बदइंतजामी का जाम
सूबे के मुखिया शहर में आए,खेल मेला शुरु हुआ शहर को कई सौगातें भी मिली,लेकिन इंतजामिया की बदइंतजामी ने रतलामी बाशिन्दों को घण्टों तक परेशान रखा। शहर की कई सडक़ो पर बेवजह जाम लग गए और लोगों को आने जाने के लिए घण्टों फंसे रहना पडा। सीएम साहब को बंजली हवाई पïट्टी पर उतरकर सीधे पोलो ग्र्राउण्ड आना था,और वहीं से लौट कर सीधे बंजली पंहुचना था। लगभग पूरा रास्ता अब फोरलेन बन चुका है। ऐसा नहीं है कि वे पहली बार रतलाम आए थे। इससे पहले तो वे रतलाम में रोड शो भी कर चुके थे। लेकिन कभी भी इस तरह के जाम नहीं लगे जिसमें कि लोगों को घण्टो फंसे रहना पडा। वर्दी वालों ने जो ट्रैफिक प्लान बनाया था,उसमें काफी सारे हिस्से को पहले से ही नो व्हीकल झोन घोषित कर दिया था। वर्दी वालों ने हवाई पïट्टी के आगे की सडक़ पूरी तरह बन्द कर दी थी और फूल छाप के नेताओं के लिए पार्किंग भी वहीं बनाई गई थी। इसका नतीजा ये हुआ कि हवाई पïट्टी पर सीएम का स्वागत करने जो फूल छाप वाले नेता वहां आए थे,वे खुद लम्बे समय के लिए जाम मेंंं फंस गए थे। सीएम का काफिला निकल जाने के काफी देर बाद तक बैरिकेंिटंग हटाई नहीं गई और हजारों वाहन रुके रहे। फिर जैसे ही बैरिकेटिंग हटाई गई,सडक़ों पर वाहनों की संख्या के कारण जाम लग गया। बंजली से गंगासागर,बरबड,होते हुए सज्जन मिल और राम मन्दिर वाले पूरे रोड पर ही नहीं,लगभग आधे शहर में सडक़ों पर जाम की स्थितियां बन रही थी। यहां तक कि चांदनी चौक और बाजना बस स्टैण्ड के इलाकों तक में जाम लगने लगे थे। अब सवाल ये पूछा जा रहा है कि जब सीएम के मार्ग वाला पूरा रोड फोरलेन है,तो पूरे रोड को बन्द करके नो व्हीकल झोन बनाने की जरुरत क्या थी। फोरलेन के एक हिस्से को बन्द रखकर यदि दूसरे हिस्से को यातायात के लिए चालू रखा जाता,तो शहर के बाशिन्दों को कोई समस्या नहीं झेलना पडती,लेकिन नो व्हीकल झोन वाली व्यवस्था लागू करने के चक्कर में वर्दी वालों ने पूरे शहर को हैरान कर दिया।