November 1, 2024

Supreme Order : रामद्वारा विवाद-सम्पत्ति का कब्जा घनश्याम लश्करी को सौंपने वाला हाईकोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने किया निरस्त,पुलिस को भी लगाई फटकार,अभिभाषक दम्पत्ति पर अब दर्ज होगी एफआईआर

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रतलाम / नई दिल्ली,26 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। रामस्नेही संप्रदाय के बडा रामद्वारा के एक हिस्से को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने फरियादी घनश्याम लश्करी को सम्पत्ति का कब्जा दिए जाने का हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि जमानत स्वीकार करने के लिए इस तरह की शर्तें नहीं लगाई जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस द्वारा उक्त विवादित सम्पत्ति का कब्जा लिए जाने पर पुलिस को जमकर फटकार भी लगाई है। उधर दूसरी ओर रामद्वारे की सम्पत्ति को अवैध तरीके से विक्रय किए जाने के मामले में पुलिस द्वारा क्रेता अभिभाषक और उसकी पत्नी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी भी कर ली गई है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा शुक्रवार 25 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा गया है कि किसी अभियुक्त को जमानत देने के लिए हाईकोर्ट द्वारा किसी विवादित सम्पत्ति का कब्जा सौंपने जैसी शर्ते नहीं लगाई जा सकती। जमानत देते वक्त जो शर्ते लगाई जाती है,उनका उद्देश्य केवल यह रहता है कि प्रकरण के विचारण के दौरान अभियुक्त की उपस्थिति सुनिश्चित हो और यह सुनिश्चित किया जाए कि अभियुक्त किसी प्रकार से मामले की जांच को प्रभावित ना कर सके। लेकिन उच्च न्यायालय ने एक सिविल विवाद से जुडी शर्तें जमानत के लिए लागू कर दी,जो कि ठीक नहीं है। ऐसी स्थिति में उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट के जमानत आदेश दिनांक 25 जुलाई 2024 के पैरा क्र.7 में उल्लेखित शर्तों को पूरी तरह से हटा दिया है।

उच्चतम न्यायालय के समक्ष यह तथ्य लाया गया था कि पुलिस के कहने पर रामद्वारे के महन्त ने विवादित सम्पत्ति की चाबी पुलिस को सौंप कर सम्पत्ति का कब्जा भी पुलिस को दो दिया था। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस को कडे शब्दों में फटकार लगाई है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस किसी भी स्थिति में किसी अचल सम्पत्ति के कब्जे में दखल नहीं दे सकती। पुलिस द्वारा ऐसा किया जाना कानून की सरासर अवहेलना है।

रामद्वारे के संतद्वय रामरतन जी और सालिग्राम जी की और से दायर याचिका पैरवी सर्वोच्च न्यायालय अधिवक्ता अधिवक्ता मृन्मोई चटर्जी और वरुण देव मिश्रा ने की थी।

इन्दौर उच्च न्यायालय द्वारा संतों की जमानत के मामले में यह शर्त आरोपित की गई थी कि रामद्वारे के संत आदेश के पन्द्रह दिनों के भीतर विवादित सम्पत्ति की चाबी पुलिस को सौंप देंगे और पुलिस विवादित मकान का कब्जा आपत्तिकर्ता और मामले के फरियादी घनश्याम लश्करी को सौंप देगी। इसके साथ ही म.प्र. शासन को यह निर्देश भी दिए गए थे,कि विवादित सम्पत्ति के मुख्यद्वार पर कथित रुप से बनाई गई दीवार को प्रशासन द्वारा हटा दिया जाएगा और इसका खर्चा आरोपियों से वसूल किया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय ने संतों की जमानत के आदेश को यथावत रखते हुए उक्त दोनो शर्तों को निरस्त कर दिया है।

सर्वोच्च न्यायलय के इस इस आदेश के बाद अब पुलिस को पूर्व की स्थिति कायम करना होगी। विवादित संपत्ति का कब्ज़ा रामद्वारे के महंत ने पुलिस को सौपा था। सर्वोच्च न्यायलय ने अपने आदेश में साफ़ कहा है कि पुलिस किसी विवादित संपत्ति के कब्जे में दखल नहीं दे सकती। ऐसी स्थिति में अब विवादित संपत्ति का कब्ज़ा फिर से रामद्वारे को सौपा जायेगा।

उल्लेखनीय है कि विगत 22 अप्रैल 2024 अभिभाषक घनश्याम लश्करी ने स्टेशनरोड पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि रामद्वारा में रहने वाले कुछ संतों ने जबरन उनके मकान पर कब्जा कर लिया और घनश्याम लश्करी और उनके परिजनों के साथ मारपीट की। घनश्याम लश्करी की रिपोर्ट पर पुलिस ने रामद्वारे के कुछ संतों के विरुद्ध मारपीट और अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया था। इस मामले में आरोपी बनाए गए दो संतों को पुलिस ने घटना के पांच दिन बाद 27 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया था।

संतों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इस मामले में भादवि की धारा 326 को भी बढा दिया था। धारा 326 गंभीर चोट पंहुचाने की धारा है,जिसमें आजावन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसी धारा के चलते संतों द्वारा जिला न्यायालय में प्रस्तुत जमानत आवेदन को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद रामस्नेही संप्रदाय के सतों ने इन्दौर उच्च न्यायालय में जमानत का आवेदन प्रस्तुत किया था,जिस पर 25 जुलाई 2024 को उच्च न्यायालय ने सशर्त जमानत स्वीकार की थी।

रामद्वारे के विवादित हिस्से को लेकर शासन द्वारा एक सिविल वाद पूर्व में ही अभिभाषक घनश्याम लश्करी और उनकी पत्नी दुर्गा लश्करी के विरुद्ध न्यायालय में प्रस्तुत किया जा चुका है। रामस्नेही संप्रदाय का श्री बडा रामद्वारा शासकीय सम्पत्ति होकर इसके प्रबन्धक कलेक्टर रतलाम है। लेकिन घनश्याम लश्करी ने रामद्वारा ट्रस्ट के सचिव रहते हुए और यह जानते हुए कि यह सम्पत्ति शासकीय सम्पत्ति है,उक्त सम्पत्ति को खरीद लिया था। इसी तथ्य को लेकर जहां शासन ने घनश्याम लश्करी की रजिस्ट्री को शून्य घोषित करने के लिए सिविल वाद दायर किया है,वहीं अब इस मामले में घनश्याम लश्करी और उनकी पत्नी दुर्गा लश्करी के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की तैयारी भी की जा रही है। पुलिस विभाग के सूत्रों के मुताबिक पुलिस जल्दी ही उक्त दोनो के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करेगी।

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