November 16, 2024

रतलाम पब्लिक स्कूल के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के प्रतिनिधि आए शहर में, महापौर प्रहलाद पटेल ने करी सहभागिता

रतलाम ,21 अक्टूबर (इ खबर टुडे)। समाज और समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए रतलाम जिले के प्रतिष्ठित रतलाम पब्लिक स्कूल ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की संस्था UNODC के सहयोग से स्कूल कैंपस में दो दिवसीय Round Table Discussion का आयोजन किया। इस आयोजन के मुख्य स्पीकर UNODC के छः देशों के साउथ एशिया के Communications Officer श्री समर्थ पाठक व NCERT के सहायक प्रोफेसर डॉ. सत्य भूषण जी रहे। रतलाम शहर के मंच पर इतनी बड़ी हस्तियों का आना अपने आप में गर्व की बात है।

वर्कशॉप के प्रथम दिन मुख्य अतिथि के रूप में शहर महापौर प्रह्लाद पटेल, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती सुलोचना शर्मा, आरपीएस के अभिभावक व पुलिस सहायक उपनिरीक्षक डॉ. मो. वाहिद खान, नगर निगम IEC टीम के सदस्य एवं शतरंज प्रशिक्षक मनीष पंवार, अरिहंत कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के संयोजक पीयूष जैन, विद्यालय के अन्य अभिभावक सहित शिक्षक गण उपस्थित रहे।

बढ़ते संघर्षों, संकटों और असमानताओं के कारण युवाओं पर पड़ने वाले गहरे प्रभाव के मद्देनजर रतलाम पब्लिक स्कूल “शिक्षा भागीदारों के गठबंधन” के रूप में संयुक्त राष्ट्र की इकाई UNODC के साथ एक नई पहल RiseUp4Peace चला रहा है। यह पहल शांति, अखंडता और कानून के शासन के साथ उच्च गुणवत्ता शिक्षा (Quality Education) को मजबूत करने के लिए एक जीवंत समुदाय का निर्माण करना चाहती है। यह पहल 35 से अधिक देशों के प्रमुख शिक्षक भागीदारों के साथ संचालित की जा रही है।

इस कार्यशाला पर अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हुए महापौर श्री प्रह्लाद पटेल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज के समय में छात्र-छात्राओं और माता-पिता के मध्य बातचीत का गठबंधन नहीं है क्योंकि उनके पास बातचीत का समय ही नहीं है जिस वजह से आज का छात्र अवसाद जैसी समस्या से ग्रस्त होता जा रहा है । उन्होंने अपने समय को याद करते हुए बताया कि पुराने समय में मोबाइल के अभाव में माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय बिताते थे और बच्चों में भी माता-पिता की महत्वपूर्णता को स्थान दिया जाता था ।

महापौर ने रतलाम पब्लिक स्कूल की इस पहल को नगर में सर्वोत्तम पहल बताते हुए युवाओं को नशे एवं मादक पदार्थों की ओर आकर्षित होने की बजाय योग एवं ज्ञान की ओर आकर्षित होने को जीवन की उत्तम अवस्था बताया । साथ ही कार्यशाला में उपस्थित रतलाम नगर के नागरिकों को अपने शहर को साफ एवं स्वच्छ रखने एवं रतलाम नगर को स्वछता में देश में प्रथम स्थान दिलाने की प्रतिज्ञा करवाई ।

कार्यशाला में उपस्थित पुलिस सहायक उपनिरीक्षक डॉ. वाहिद खान ने भी अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि गाड़ी चलाते समय ट्रैफिक व्यवस्था का पूरा पालन करना चाहिए। यातायात नियमों को ध्यान में रखकर ही वाहन चलाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे dial 100 के माध्यम से पिछले कई वर्षों के डेटा को रिसर्च कर पुलिस ने शहर में बढ़ते एक्सीडेंट में कमी करी है।

श्री अरिहंत कॉलेज से पधारे पीयूष मूणत ने शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़, किफायती एवं शिक्षा की रोजगार उपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि आज के समय में सरकार व प्रशासन द्वारा संस्थाओं के लिए बहुत अच्छे नियम तो बनाये गये है परन्तु उन नियमों के पालन करवाने पर कार्य करना ज़रूरी है।

नगर निगम IEC के सदस्य श्री मनीष पंवार ने भी स्कूली छात्र छात्राओं का बदलते समय के साथ बदलते व्यवहार पर ज़ोर दिया ओर कहा कि जब माता पिता को महसूस हो जाये कि बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है तो माता पिता को उनसे बात करना चाहिए । विद्यालय के अभिभावकों ने भी अपने आने विचार प्रस्तुत किये ।

मेजबान स्कूल की प्रधानाचार्या डॉ. संयोगिता सिंह ने कहा कि रतलाम पब्लिक स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के शैक्षणिक लक्ष्यों को सही मायने में आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्यशाला इस तथ्य का प्रमाण है कि कला एकीकरण और अंतर-विषयक दृष्टिकोण विद्यार्थियों को शांति, न्याय, वैश्वीकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर शिक्षित करने में बेहद प्रभावी हैं। युवाओं में नशीली दवाओं और अपराध, हिंसा और मानसिक स्वास्थ्य से उत्पन्न होने वाली कमजोरियों को दूर करने के लिए सतत विकास लक्ष्यों (SDG – Sustainable Development Goals) और विशेष रूप से SDG-16 पर शिक्षा को मुख्यधारा में लाना महत्वपूर्ण है।

शहर की पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती सुलोचना शर्मा ने कहा कि इस पहल के तहत SDG 16 के लिए कार्यशाला का उद्देश्य कला, मूर्तिकला, नृत्य, संगीत और नाटक जैसे विभिन्न कला रूपों के माध्यम से शांति को बढ़ावा देने व रचनात्मक रास्ते तलाशने में छात्रों को शामिल करना है।

कार्यशाला में श्री समर्थ पाठक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “यह RPS – UNODC साझेदारी SDG 16 का सच्चा कार्यान्वयन है। UNODC हिंसा, न्याय और असमानताओं से मुक्त एक बेहतर दुनिया की मांग करने वाले छात्रों की आवाज को बढ़ाने के लिए ईमानदार प्रयास करेगा।हमारा प्रयास है कि छात्रों को एक ऐसा वातावरण मिले जहा उन्हें उचित सम्मान मिले।

सम्मानित अतिथि एनसीईआरटी के सहायक प्रोफेसर एवं एनसीईआरटी के अंतर्राष्ट्रीय संबंध प्रभाग में कार्यरत डॉ.सत्य भूषण ने कहा कि नैतिकता को शिक्षा के साथ पढ़ाना बहुत आवश्यक है साथ ही विद्यार्थियों को शिक्षकों से प्रश्न करना बहुत जरूरी है प्रश्नों के अभाव में ज्ञान की महत्ता कम हो जाती है।

कार्यशाला के दूसरे दिन प्रथम भाग में स्पीकर्स ने रतलाम जिले के सीबीएसई विद्यालयों से पधारे 35 से अधिक शिक्षकों के साथ कार्यशाला की शुरुआत की जिसमें तरह तरह की गतिविधियों के साथ छात्रों के जीवन से चिंता, भय, संदेह, मानसिक उलझन को दूर कर करियर के प्रति विश्वास एवं शिक्षा के प्रति रुचि को बढ़ावा देने के प्रयास पर चर्चा हुई।

शिक्षकों के समूह ने अलग अलग विषयों पर चार्ट पेपर के माध्यम से आने विचारों को उकेरकर अभिव्यक्ति के माध्यम से उन्हें संपादित किया। समस्त शिक्षकों को संबोधित करते हुए संस्था प्राचार्य डॉ. संयोगिता सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है हमें अपने रतलाम जिले का नाम आगे लाने के लिए समस्त शिक्षकों को आगे आना होगा एवं मिलजुल कर रतलाम जिले के सभी विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाना होगा और विद्यार्थियों को मानसिक और शारीरिक रूप से इतना मजबूत बनाना होगा कि वह भय,चिंता तथा अवसाद जैसी समस्याओं से दूर रहे ।

दिन के दूसरे प्रहर में विद्यालय के एनसीसी कैडेट्स ने बैंड से अतिथियों का स्वागत कर मार्च पास्ट किया तथा बच्चों ने मधुर गीत के माध्यम से अतिथियों को मंत्रमुग्ध किया। अतिथियों ने माँ सरस्वती पूजन के साथ झंडा वंदन कर छात्रों के साथ बातचीत की। इस दौरान नन्हें मुन्हे विद्यार्थियों ने समाज को शांति का संदेश देने के लिए Pigeon (कबूतर) की आकृति भी बनाई जो निश्चित ही बहुत सुन्दर प्रतिर हो रही थी।

इस दौरान अतिथियों ने छात्रों को अपने अधिकारों को समझने, नैतिक निर्णय लेने, अन्याय को चुनौती देने और निष्पक्ष समुदायों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया और स्वयं को कैसे सशक्त बनाया जाए इस पर बल दिया।

छात्रों ने कला की शक्ति का उपयोग सामाजिक परिवर्तन और शांति को बढ़ावा देने के लिए एक परिवर्तनकारी माध्यम के रूप में किया। इंटरैक्टिव सत्रों और सहयोगात्मक गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों ने सीखा कि शांति की वकालत करने और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में अपनी कलात्मक प्रतिभा का उपयोग कैसे किया जाए।

छात्रों ने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) -16 यानी शांति, न्याय और मजबूत संस्थानों पर विचार-विमर्श किया। छात्रों को संबोधित करते हुए भूषण ने कहा, “एनसीएफ शिक्षा में कला को एक शिक्षाशास्त्र के रूप में निर्धारित करता है जो शांति, न्याय और मजबूत संस्थान वाले विश्व के लिए एक दृष्टिकोण बनाने और एक मिशन शुरू करने में काफी मदद करेगा। विद्यार्थियों ने तरह तरह की कलात्मकता चित्रकारी के माध्यम से माननीय अतिथियों को बहुत प्रभावित किया।

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