2134 अध्यापकों का काटा 75 लाख रुपए वेतन
*हड़ताल ने बिगाड़ा घर का बजट *500 से लेकर 900 रुपए प्रतिदिन की कटौती
मंदसौर 14 अक्टूबर(इ खबरटुडे)। विभिन्ना मांगों को लेकर अध्यापक संवर्ग की हड़ताल का असर अब उनके घर के बजट पर पड़ रहा है। शिक्षा विभाग ने भोपाल से मिले निर्देशों के बाद हड़ताल पर रहे 2134 अध्यापक संवर्ग का वेतन काट लिया गया है। सभी का मिलाकर लगभग 75 लाख रुपए का वेतन कटने का अनुमान है। 9 दिनों तक चली हड़ताल में अध्यापकों के 500 से लेकर 900 रुपए प्रतिदिन के मान से काटे गए है। कटौती के कारण त्योहार के माह में अध्यापकों को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ेगा।
प्रदेश भर में अध्यापक संवर्ग की हड़ताल में जिले से भी अध्यापक संवर्ग शामिल हुए थे। अध्यापकों ने इसके लिए अवकाश लिया। बाद में हड़ताल के लिए अवकाश लेने के वाले अध्यापकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ वेतन काटने के भी निर्देश जारी किए गए। अक्टूबर में हड़ताल पर जाने वाले अध्यापकों को वेतन काटकर दिया गया है। अधिकांश अध्यापकों के वेतन में 5 से 9 हजार रुपए तक की कटौती की गई है। हड़ताल का कोई असर नहीं होने और उसके बाद वेतन कटकर आना अध्यापकों को खल रहा है। 2134 अध्यापकों का वेतन काटने से शिक्षा विभाग को लगभग 75 लाख रुपए से ज्यादा का फायदा हुआ है। लेकिन इसके विपरीत अध्यापकों पर वेतन कटौती का आर्थिक रूप से कुछ हद तक असर पड़ा है।
9 दिनों तक चली हड़ताल
जिले में कुछ अध्यापक 9 दिनों तक हड़ताल पर रहे तो किसी ने 4 से 8 दिन के लिए अवकाश लेकर हड़ताल में भाग लिया। जिले में करीब 500 अध्यापक पूरे 9 दिनों तक हड़ताल पर रहे। सहायक अध्यापकों के वेतन के हिसाब से औसतन 500 रुपए, अध्यापकों के 700 और वरिष्ठ अध्यापकों के वेतन से 700 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से वेतन काटा गया है। इससे आंकड़ा 75 लाख तक पहुंच गया।
त्योहारों पर असर
सहायक अध्यापकों को औसतन 1500 हजार, अध्यापकों को 21 हजार और वरिष्ठ अध्यापकों को 27 हजार रुपए तक वेतन मिल रहा है। 5 से 9 हजार रुपए की कटौती अध्यापकों केे वेतन से की गई है। सबसे ज्यादा प्रभाव 12 से 15 हजार रुपए वेतन पाने वाले अध्यापकों पर पड़ा है। आने वाले त्योहारों की तैयारी को लेकर अब अध्यापकों को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ेगा।
कर काटा वेतन
शुरुआत में अध्यापकों की अनुपस्थिति के ब्लॉक स्तर पर मनगढ़ंत आंकड़े जिला शिक्षा विभाग को भेजे जा रहे थे। बाद में शिक्षा अधिकारी ने नामवार आंकड़े विकासखंड अधिकारियों से मंगवाए गए। इसके बाद वेतन काटकर तनख्वाह जारी की गई।