November 23, 2024

1987 से पहले जन्में या माता-पिता का जन्म इससे पहले हुआ, वो भारतीय हैं

नई दिल्ली,21 दिसंबर (इ खबरटुडे)।नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर जारी प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स बिल (NRC) पर बड़ा संकेत दिया है। केंद्र सरकार के हवाले से खबर है कि एनआरसी पर विरोध करने वालों से सुझाव मांगे जाएंगे और जहां जरूरी होगा, इन सुझावों को माना भी जाएगा। सरकार इसके लिए तैयार है।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन लोगों का जन्म 1987 से पहले यहां हुआ है, उन्होंने एनआरसी या सीएए, किसी कानून से डरने की जरूरत नहीं है। जिनके माता-पिता ने 1987 से पहले यहां जन्म लिया है, उन्हें भी कोई खतरा नहीं है। ऐसे मुसलमानों को भी किसी तरह की नागरिकता लेने की जरूरत नहीं होगी।

सरकार के मुताबिक, नागरिकता साबित करने के लिए किसी नागरिक को परेशान नहीं किया जाएगा। एक अधिकारी के अनुसार, भारतीय नागरिकों को माता-पिता/दादा-दादी के जन्म प्रमाणपत्र जैसे 1971 के पहले के रिकार्डों से विरासत साबित नहीं करनी होगी। भारत में जिनका जन्म 1987 के पहले हुआ या जिनके माता-पिता की पैदाइश 1987 के पहले की है, वो कानून के मुताबिक भारत के नागरिक हैं और नागरिकता कानून 2019 के कारण या देशव्यापी एनआरसी होने की स्थिति में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है ।

केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वालों के पास यदि कोई सुझाव है तो सरकार उसे लेने को तैयार है। हम सीएए को लेकर लोगों के संदेहों को विभिन्न तरीकों से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

नहीं देना होगी वंशावली
इस बीच केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारतीय नागरिकों को वंशावली देना की जरूरत नहीं होगी। दरअसल, लोकसभा में अमित शाह के बयान के बाद इस मुद्दे पर लोगों में कुछ दुविधा की स्थिति थी। शुक्रवार को सोनिया गांधी ने भी इस आशय का बयान जारी किया था, जिसके बाद सरकार की ओर से सफाई आई है।

वहीं, असम के भी मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने प्रदर्शनकारियों के नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। गुवाहाटी में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि वह असम के लोगों के अधिकारों तथा सम्मान को चोट पहुंचाने की किसी को इजाजत नहीं देंगे।

उन्होंने कहा- ‘असम हमेशा ही असमी लोगों का रहेगा। सीएए के जरिए कोई भी बांग्लादेशी असम नहीं आ पाएगा। सिर्फ वही लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे, जो धार्मिक आस्था के कारण प्रताड़ित होकर बांग्लादेश से यहां आकर दशकों से हमारे साथ रह रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी नगण्य है।

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