है सब पर मां उपकार तेरा
(पृथ्वी दिवस-22 अप्रैल पर विशेष लेख)
-डॉ.डीएन पचौरी
भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में मां और विशेषतया धरती माता का स्थान स्वर्ग से भी ऊंचा है। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। हिन्दू संस्कृति में तो जन्मभूमि की आराधना अनेक प्रकार से की गई है। वन्दे मातरम के रुप में सुखदाम वरदाम मातरम,वन्दे मातरम। नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि,आदि। इस सुख समृध्दि एवं जीवनदायिनी धरती माता के उपकार का बदला प्राणी किसी प्रकार से नहीं चुका सकता है। ऐसा ही विचार सन 1969 के आखरी महीनों में विश्व शान्ति के लिए पथ प्रदर्शक जान मेकोलेन के दिमाग में आया। उन्होने 21 मार्च का दिन पृथ्वी दिवस के रुप में मनाने का प्रस्ताव रखा था। 21 मार्च को दिन व रात बराबर होते है। पृथ्वी के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का दिन जब 21 मार्च 1970 निश्चित हो गया,तो संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्कालीन सचिव यू थान्त ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए किन्तु उसी समय यूनेस्को के फ्रान्सिस्को सम्मेलन में सीनेटर जेलार्ड मेनसन ने इसे एक माह पश्चात 22 अप्रैल 1970 को मनाने का प्रस्ताव रख दिया। क्योकि इस समय यूरोपीय देशों में ठण्ड कम हो जाती है। बर्फ पिघलती है और सब जगह वसन्त का सुहाना मौसम होता है। जिसमें यत्र तत्र सर्वत्र फूल खिलते है और चारो ओर हरियाली दिखाई देती है। अत: कुछ तर्क वितर्क के बाद 22 अप्रैल को अर्थ डे या पृथ्वी दिवस मनाने का निर्णय स्वीकार कर लिया गया। इसके लिए जेलार्ड को बाद में राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। पहली बार 22 अप्रैल 1970 को पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में अमेरिका के लगभग कालेज और यूनिवर्सिटी के दो हजार छात्र छात्राएं तथा प्रथामिक और हायर सेकेण्डरी के दस हजार छात्रों ने रैलियां निकालकर प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण तथा पर्यावरण के रक्षण हेतु प्रदर्शन किए,और पृथ्वी के सम्मान में विभिन्ना कार्यम आयोजित किए गए।
जन्मदिवस या बर्थ डे से मिलता जुलता नाम पृथ्वी दिवस या अर्थ डे रखा गया। सन 1990 में अर्थात 20 वर्ष बाद लगभग 141 देशों में इसका आयोजन होने लगा। आज हालत यह है कि धर्म,जाति,संप्रदाय,रंगभेद आदि से उपर उठकर लगभग एक अरब पृथ्वीवासियों द्वारा पृथ्वी दिवस मनाया जाने लगा है। लगभग 192 देशों में 22 अप्रैल को धरती माता के सम्मान में इस उत्सव का आयोजन होता है।
पृथ्वी दिवस क्यो ?
पृथ्वी दिवस क्यो मनाया जाता है या क्यो मनाया जाना चाहिए ,इसके अनेक कारणों में से मुख्य कारण इस प्रकार है-
पहला कारण यह है कि हमारी पृथ्वी सबसे अधिक विकसित ग्रह है। आकाशगंगा में नौ ग्रह मश: पृथ्वी,मंगल,बुध,गुरु,शु,शनि,अरुण,वरुण और यम है,जिसमें केवल पृथ्वी पर जीवन है। यहां प्राणी और वनस्पतियां पूर्ण विकसित अवस्था में है। सबसे बडी बात यह है कि पृथ्वी ग्रह पर मानव का निवास है।
यह नहीं मालूम कि अन्य किसी ग्रह पर मानव या अन्य प्राणियों का निवास है। एलियन की कल्पना की जा रही है,पर कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है। अत: पृथ्वीवासियों को पृथ्वी का आभार व्यक्त करना चाहिए। वैसे भी मानव जीवन की अनिवार्य आवश्यकताएं,रोटी,कपडा और मकान पृथ्वी से ही प्राप्त होते है।
मानव यह भूल जाता है कि पृथ्वी ही उसका घर है। हमे यदि स्वस्थ और सुखी जीवन जीना है,तो पृथ्वी का निर्ममता पूर्वक दोहन नहीं करना चाहिए। कोयला खनन,खनिज द्रव्यों का खनन,जलस्त्रोतों के लिए पृथ्वी को क्षत-विक्षत किया जाना,औद्योगिक अवशिष्टों से बढता प्रदूषण,वनोंकी अवैध और निर्बाध कटाई तथा कार्बनिक गैसों जैसे फ्रेओन का उत्सर्जन आदि पृथ्वी और विश्व पर्यावरण के लिए अत्यन्त हानिकारक है। फ्रेओन वहीं गैस है जो रेफ्रीजरेटर के पीछे लगी नलियों में प्रवाहित होती रहती सै,जिसके कारण फ्रीज ठण्डा होता रहता है। ये पृथ्वी की सतह से 30 से 50 किलोमीटर उंचाई पर स्थित ओजोन परत को हानि पंहुचाती है। ओजोन परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक नहीं पहुंचने देती है। पराबैंगनी किरणें जीवधारियों के नेत्रों और त्वचा को हानि पंहुचाती है।
इन सब कारणों स ग्लोबल वार्मिंग हो रहा है अर्थात विश्व का तापमान धीरे धीरे बढ रहा है। उद्योगों से निकलने वाली कार्बन डाई आक्साइड भी इसके लिए उत्तरदायी है। ग्लोबल वार्मिंग से बर्फ अधिक मात्रा में पिघलेगी और समुद्र में जल का स्तर बढेगा,जिससे समुद्र के निकट स्थित शहरों को अधिक खतरा है। पृथ्वी और पर्यावरण तथा प्रकृति से छेडछाड का नतीजा है भूकंप,बाढ,सुनामी,चवात,ज्वालामुखी और जंगलों में आग लगना।आग,प्राकृतिक आपदाएं मानव के महाविनाश की ओर इशारा करती है। अत: पृथ्वी दिवस पर उत्सव आयोजित करके पृथ्वीवासियों को सन्देश दिया जाता है ,या तो पृथ्वी और प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग रोक दे अन्यथा प्रलय और विनाश के लिए तैयार रहे।
इसके अतिरिक्त तीसरा एक और कारण है,जिससे पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। यह है एकला चालो का सिध्दान्त। यदि प्रत्येक व्यक्ति यह सोच ले कि वह प्रतिवर्ष कम से कम एक पेड अवश्य लगाएगा। पैट्रोल वाहनों का उपयोग कम से कम करेगा,थोडी दूरी पैदल या साइकिल से तय करेगा। पोलिथीन थैलियों का उपयोग बन्द करेगा। बीडी सिग्रेट से प्रदूषण नहीं फैलाएगा। चूंकि एक अरब पृथ्वीवासी अर्थ डे को मनाते है.अत: यदि सभी इन नियमों का पालन करने लगेगें तो हमारी पृथ्वी वास्तव में स्वर्ग जैसी सुन्दर हो जाएगी। हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा,प्रदूषण समाप्त होगा। अत: हमें पृथ्वीमाता का सम्मान करना चाहिए। वन्दे मातरम।